आलू की खेती से अगर लाखों कमाने हैं तो बस ये पोस्ट पढ़ लो | कम खर्च में दोगुना फाइदा
किसान साथियों आलू की खेती की बुबाई का काम लगभग खतम ही हो गया है इसके आगे आलू की बढ़िया फसल पाने के लिए हमें उसके हर विकास चरण पर ध्यान देना पड़ता है। आलू की बुवाई से लेकर उसकी जड़ों, पत्तियों और कंदों के विकास तक हर स्टेज पर सही पोषण और देखभाल की जरूरत होती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आलू की फसल में किस प्रकार से जड़ों और पत्तों के विकास पर ध्यान देना चाहिए, ताकि पैदावार अधिक हो।
दोस्तों ,आलू की फसल में जड़ों का विकास बहुत महत्वपूर्ण होता है। जैसे ही आलू की फसल लगाई जाती है, उसकी जड़ें धीरे-धीरे मिट्टी में फैलना शुरू करती हैं, और ये जड़ें पौधे को पोषण प्रदान करने का काम करती हैं। इसके अलावा, सही तापमान और पोषक तत्वों की सही मात्रा आलू की फसल को तेजी से बढ़ने में मदद करती है। ठंडे मौसम में करीब 24 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान आलू के लिए उपयुक्त माना जाता है, और इस समय पौधे का विकास और फुटाव भी अच्छा होता है। इस लेख मे माध्यम से विस्तार से जानेंगे कि कैसे सही पोषक तत्व, जैसे कि फॉस्फोरस, नाइट्रोजन आदि, आलू की फसल की वृद्धि और पैदावार को प्रभावित करते हैं।
आलू की फसल में जड़ों का विकास और उसका महत्व
आलू की खेती में सबसे पहले ध्यान देने वाली चीज़ है जड़ों का विकास। जैसे ही फसल लगाई जाती है, उसकी जड़ें मिट्टी में फैलने लगती हैं और पौधे को जरूरी पोषण देती हैं। फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व जड़ों के विकास में काफी सहायक होते हैं। आलू की फसल में जड़ों का बढ़िया विकास फसल की पैदावार को बढ़ाने में मददगार होता है। आलू की फसल में पहले 45 दिन तक जड़ों का विकास ज्यादा होता है, फिर धीरे-धीरे आलू की सेटिंग, यानी कंदों का बनना शुरू हो जाता है।
इस दौरान, अगर आप फसल को सही समय पर और सही मात्रा में पोषण की आवश्यकता पड़ती हैं, तो जड़ों के साथ-साथ पौधे का ऊपरी भाग भी तेजी से बढ़ता है। फसल की शुरुआत में फॉस्फोरस के स्प्रे का इस्तेमाल करने से पौधों को न सिर्फ जड़ से जुड़ी ताकत मिलती है बल्कि पौधों का ढांचा भी मजबूत होता है। एनपी के (NPK) 12-61-00 एक अच्छा विकल्प है जो प्रति एकड़ 1.5 किलोग्राम स्प्रे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, नैनो डीएपी (Nano DAP) भी 250 मिलीलीटर प्रति एकड़ में उपयोगी होता है, जिससे पौधों को विकास के लिए जरूरी ऊर्जा मिलती है।
स्प्रे करने का सही वक्त
फसल की शुरुआत में पौधों को ऊर्जा देने के लिए स्प्रे करना फायदेमंद होता है।क्योंकि इससे आलू की जड़ें मजबूत होती हैं इस दौरान फॉस्फोरस के स्प्रे का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इस पौधों का शरीर बनता है। इसके लिए यारा विटा क्रॉप बूस्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें लिक्विड फॉस्फोरस होता है। इस स्प्रे को 4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ स्प्रे किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें मैग्नीशियम और जिंक जैसे तत्व भी होते हैं जो पौधों के विकास को तेजी देते हैं।
स्प्रे में फॉस्फोरस देने का महत्व खासकर उन जमीनों में अधिक होता है जहां का पीएच लेवल ज्यादा है। ऐसी मिट्टी में बुवाई के समय दिया गया फॉस्फोरस पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता है, इसलिए स्प्रे द्वारा यह पोषण देना अधिक कारगर होता है। फॉस्फोरस के साथ ह्यूमिक एसिड और फुल्विक एसिड का स्प्रे पौधों के लिए मिनरल्स, न्यूट्रिएंट्स और ट्रेस एलिमेंट्स के अवशोषण को भी बढ़ाता है, जिससे ग्रोथ जल्दी होती है।
फसल में नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों का योगदान
नाइट्रोजन पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो उनके विकास में अहम भूमिका निभाता है। नाइट्रोजन के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन केवल फॉस्फोरस और नाइट्रोजन से ही काम नहीं चलता है। आलू के पौधों को ताकत और ऊर्जा के लिए कई अन्य तत्वों की भी आवश्यकता होती है। कुछ खास उत्पाद में पोटाश, मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, बोरन, मैंगनीज, और मोलिब्डेनम जैसे तत्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि के लिए जरूरी होते हैं। ये तत्व पौधों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम करते हैं, जिससे उनका विकास तेजी से होता है।
आलू की फसल में कीट और फफूंद नियंत्रण के उपाय
अक्सर आलू की फसल पर रस चूसने वाले कीट या मच्छर हमला कर सकते हैं, जो पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में थायो मिथम या इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल करना लाभदायक होता है। अगर मौसम में नमी ज्यादा हो या बारिश हो जाए, तो फफूंद संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस परिस्थिति में थायोफेनेट मिथाइल जैसे फंगीसाइड का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पौधों को फंगस से बचाता है और उनकी रक्षा भी करता है।
आलू की जल्दी बढ़वार के लिए अतिरिक्त उपाय
जिन किसानों को जल्दी आलू निकालना है, उनके लिए फसल की तेजी से बढ़वार होना जरूरी है। इसके लिए फॉस्फोरस के साथ-साथ अन्य उत्पादों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। न्यूट्रोपिड जैसे उत्पाद, जिसमें 26% शुद्ध पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं, पौधों को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करते हैं। न्यूट्रोपिड को 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे किया जा सकता है, जिससे पौधों को शक्ति मिलती है और उनकी वृद्धि तेजी से होती है।
इस आर्टिकल में हमने आलू की खेती में जड़ों के विकास से लेकर फसल की तेजी से बढ़वार के हर महत्वपूर्ण पहलू को विस्तार से जाना। सही समय पर पोषक तत्वों का स्प्रे, सही फंगीसाइड और कीटनाशकों का इस्तेमाल और पौधों को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करना फसल को बेहतर पैदावार दिलाने के लिए आवश्यक हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।