यूरिया की ताकत को दोगुना करना है तो बस कर लो यह एक काम
गेहूं की फसल में यूरिया का कार्य और डालने की सही विधि। जाने इस रिपोर्ट में।
किसान भाइयों, यह बात तो आप सब जानते हैं कि गेहूं की फसल की शुरुआत से ही बढ़िया ग्रोथ, बढ़िया फुटाव और बेहतर उत्पादन के लिए सही उर्वरकों का चयन और उनका सही तरीके से उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है। अक्सर किसान भाई यूरिया, पोटाश और अन्य उर्वरकों को सही तरीके से नहीं डालते, जिसके कारण फसल में उचित वृद्धि नहीं हो पाती। दोस्तो इसी समस्या से निपटने के लिए आज हम गेहूं की फसल में यूरिया का सही उपयोग और गेहूं की फसल में कल्ले बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करेंगे। कई बार किसान भाई यूरिया का प्रयोग तो करते हैं, लेकिन उन्हें यूरिया डालने के सही तरीके पता नहीं होता फलस्वरुप आधा यूरिया आपकी फसल को कभी मिल हो नहीं पाता। इसी तरह, गेहूं के कल्ले बढ़ाने के लिए किसान प्रयास करते रहते हैं, लेकिन सही जानकारी की कमी के कारण उन्हें अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते। गेहूं में कल्ले बढ़ाने के उपाय और यूरिया का सही तरीका अपनाकर आप अपनी फसल की वृद्धि को बेहतर बना सकते हैं। इसके साथ ही, इस रिपोर्ट में हम यूरिया के साथ-साथ पोटाश और माइक्रो राइजा जैसे अन्य महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट्स के उपयोग के बारे में भी विस्तार से बात करेंगे। ताकि आप अपने खेतों में अच्छी पैदावार हासिल कर सकें और अपनी मेहनत का सही फल प्राप्त कर सकें। इसलिए आप इस रिपोर्ट को अंत तक पढ़ें और जानें कि किस तरह से आप अपनी फसल की वृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं और उसे पूरी तरह से उर्वरकों का लाभ दिला सकते हैं। तो चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
क्या है यूरिया डालने का सही तरीका
किसान भाइयों, यूरिया एक प्रमुख नाइट्रोजन आधारित उर्वरक है, जो पौधों की शुरुआत में उनकी वृद्धि को बढ़ाने में मदद करता है। लेकिन अगर यूरिया को सही तरीके से नहीं डाला जाए, तो इसके अच्छे परिणाम नहीं मिलते। अक्सर किसान यूरिया को पहले पानी के साथ एक साथ डाल देते हैं, जो पौधों को पूरी तरह से फायदा नहीं पहुंचाता। गेहूं की फसल में यूरिया डालने का सही तरीका है कि इसे पानी के साथ सही अंतराल पर डाला जाए। जब आप पहला पानी खेत में डाल रहे हों, तो यूरिया को पानी के साथ डालने के बजाय, पहले पानी डालने के बाद एक घंटे का अंतराल रखें। फिर उसमें यूरिया का छिड़काव करें। यदि आप एक एकड़ में दो बैग यूरिया डाल रहे हैं, तो एक बैग यूरिया पहले पानी के साथ डालें, और बाकी एक बैग यूरिया दूसरे पानी के साथ फसल में डालें। इससे पौधों को नाइट्रोजन की पर्याप्त आपूर्ति होती है और वह हवा में उड़ने की बजाय मिट्टी में रहकर पौधों को मिलती है। ऐसा करने से यूरिया का पूरा फायदा पौधों को मिलता है और उनका विकास सही तरीके से होता है। किसान भाई अक्सर यूरिया को एक बार में पूरी मात्रा डाल देते हैं, जिससे नाइट्रोजन हवा में उड़ जाता है और पौधों तक ठीक से नहीं पहुंच पाता। इसलिए यूरिया को दो हिस्सों में डालना ज्यादा प्रभावी होता है।
यूरिया में क्या क्या होता है
किसान भाइयों, यूरिया (NH₂CONH₂) एक मुख्य उर्वरक है, जो मिट्टी में पानी के संपर्क में आने पर अमोनियम आयन (NH₄⁺) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) में टूटता है। यह प्रक्रिया एक विशेष एंजाइम, यूरिज़ (Urease), की उपस्थिति में होती है। यूरिज़ मिट्टी में सूक्ष्म जीवों, पौधों की जड़ों और पत्तियों द्वारा उत्पन्न होता है। इसके अलावा, अमोनियम आयन पौधों द्वारा सीधे अवशोषित किया जा सकता है या यह नाइट्रेट (NO₃⁻) में परिवर्तित हो जाता है। नाइट्रेट में यह परिवर्तन मिट्टी में मौजूद नाइट्रोसोमोनास और नाइट्रोबैक्टर जैसे बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है। पौधे दोनों रूपों में (अमोनियम और नाइट्रेट) नाइट्रोजन का उपयोग करते हैं।
यूरिया कार्य कैसे करता है
किसान साथियों, यूरिया एक ऐसा पदार्थ है जिसे कार्बनिक माना जाता है, लेकिन इसे अकार्बनिक उर्वरकों में रखा जाता है क्योंकि यह अकार्बनिक स्रोतों से प्राप्त होता है। यह सफेद रंग के छोटे दाने और गोलियों के रूप में आता है और जल में अत्यधिक घुलनशील होता है। यूरिया में नाइट्रोजन की सबसे अधिक मात्रा पाई जाती है, जो लगभग 46 प्रतिशत होती है। यह वातावरण से नमी को जल्दी अवशोषित कर लेता है। यूरिया को उच्च तापमान पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि 55 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान में यह अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड में टूट जाता है। जब यूरिया मिट्टी में मिलाया जाता है, तो यह जल को अवशोषित कर अमोनियम कार्बोनेट में बदल जाता है। इसके बाद, यह अमोनिया नाइट्रीकरण प्रक्रिया द्वारा नाइट्रस और नाइट्रिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है। नाइट्रिक अम्ल मिट्टी में मौजूद क्षारों के साथ मिलकर नाइट्रेट्स में बदल जाता है, जिन्हें पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। इस प्रकार, यूरिया पौधों को दोनों प्रकार के नाइट्रोजन - अमोनिया और नाइट्रेट - प्रदान करता है। यूरिया में नाइट्रोजन की अत्यधिक सघनता होती है, और यह सभी पौधों के लिए उपयुक्त खाद के रूप में काम आता है। जब यूरिया मिट्टी में मिलाया जाता है, तो 24 घंटे के भीतर यह अमोनिया में बदल जाता है, हालांकि यह प्रक्रिया भूमि के प्रकार, तापमान, नमी और उनकी प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। यूरिया का प्रमुख दोष इसकी अत्यधिक घुलनशीलता है। यह पानी में बहुत जल्दी घुल जाता है और हवा से भी नमी अवशोषित कर सकता है। इसके कारण, जो यूरिया फसल में डाला जाता है, उसमें से 20 से 50 प्रतिशत नाइट्रोजन ही पौधों द्वारा अवशोषित हो पाती है, जबकि शेष नाइट्रोजन मिट्टी में स्थिर हो जाती है या अन्य रूपों में नष्ट हो जाती है।
पोटाश और जिंक का उपयोग
किसान भाइयों, यूरिया के साथ-साथ पोटाश और जिंक जैसे उर्वरक भी गेहूं की फसल में कल्ले बढ़ाने में मदद करते हैं। पोटाश की आवश्यकता पौधों को मजबूत बनाने और उनके खड़े रहने में मदद करती है। साथ ही, पोटाश से पौधों को दाना बनाने में मदद मिलती है। यह पौधों को हरा-भरा रखता है और उनकी प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। वहीं, जिंक भी पौधों के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह पौधों को सही तरह से पत्तियां और कल्ले विकसित करने में मदद करता है। अगर इनकी मात्रा की बात की जाए तो एक एकड़ ज़मीन में गेहूं की फ़सल में 25 किलोग्राम पोटाश डालना चाहिए, और एक एकड़ ज़मीन में गेहूं की फ़सल में 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट डालना चाहिए। गेहूं की फ़सल में जिंक का पहला छिड़काव पानी के समय 40 किलोग्राम यूरिया के साथ 5 किलोग्राम जिंक मिलाकर करना चाहिए। अगर फ़सल में ओस गिरने के बाद पत्तियां पीली दिखें, तो सुबह 10 बजे के बाद जिंक का छिड़काव करना चाहिए। लेकिन किसान भाई ध्यान रखें कि जिंक की ज़्यादा मात्रा डालने से फ़सल जल सकती है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि पानी की कमी होने पर खाद की मात्रा कम कर देनी चाहिए। इस प्रकार यदि आप पोटाश और जिंक का गेहूं की फसल में उपयोग करते हैं तो इससे आपकी फसल में कल्ले में अधिक फुटाव के साथ-साथ पौधों की वृद्धि में भी बढ़ोतरी होती है।
माइक्रो राइजा का उपयोग
किसान साथियों, माइक्रो राइजा का उपयोग भी गेहूं की फसल के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह पौधों की जड़ों को मजबूत करता है और पौधों को जमीन में घुसने में मदद करता है। इससे पौधे की जड़ें बेहतर तरीके से पानी और पोषक तत्वों को सोख पाती हैं। माइक्रो राइजा पौधों की ताकत को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है, जिससे पौधों को ज्यादा लाभ होता है। इसके अलावा, माइक्रो राइजा की मदद से पौधों की जड़ों के चारों ओर एक प्राकृतिक कवच बनता है, जो पौधों को कीटों और रोगों से बचाने में मदद करता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके गेहूं के पौधे न केवल स्वस्थ रहें, बल्कि अच्छे तरीके से बढ़ें, तो माइक्रो राइजा का उपयोग बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।