खेतों की नालियों और मेढ के खरपतवार से परेशान है तो ये रिपोर्ट सिर्फ आपके लिए बनाई गई है
किसान साथियों आपको तो पता ही है कि खाली पड़े खेत, मेड़ और सिंचाई नालियों में उगने वाले खरपतवार किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं। ये खरपतवार न केवल आपकी मेहनत से उगाई गई फसल से पोषक तत्व और पानी छीनते हैं, बल्कि कीटों को भी पनपने का सुरक्षित ठिकाना प्रदान करते हैं। इन कीटों के कारण आपकी फसल को भारी नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, समय पर खरपतवारों को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। किसान भाई इस समस्या से निपटने के लिए कई तरह के उपाय अपनाते हैं, लेकिन इसे नियंत्रित करना एक सतत और कठिन कार्य है। इस लेख में हम उन तरीकों पर चर्चा करेंगे, जो आपके खेत को खरपतवार से मुक्त रखने में मदद कर सकते हैं और साथ ही उन सावधानियों को भी समझेंगे, जो इन उपायों को अपनाते समय आपको बरतनी चाहिए ताकि आपकी मेहनत और फसल दोनों सुरक्षित रहें।
यांत्रिक विधि से खरपतवार नियंत्रण
मेड़ और नालियों में उगने वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए सबसे सामान्य तरीका यांत्रिक विधि है, जिसमें मशीनों या हाथों से खरपतवार हटाए जाते हैं। हालांकि, यह विधि अक्सर महंगी होती है, खासकर जब मजदूरों की आवश्यकता होती है। मजदूरों की मदद से खरपतवारों को नष्ट करना समय और धन दोनों की मांग करता है, जिससे यह छोटे किसानों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।
खरपतवार नाशक ग्लाइफोसेट का उपयोग
यांत्रिक विधि के अलावा, किसान खरपतवारों को नष्ट करने के लिए ग्लाइफोसेट (Glyphosate) नामक खरपतवार नाशक का उपयोग भी करते हैं। ग्लाइफोसेट एक प्रभावी रसायन है, जिसका उपयोग चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों और घासों को समाप्त करने के लिए किया जाता है। हालांकि, इस दवा का उपयोग करते समय किसानों को अत्यधिक सावधानी बरतनी होती है, क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल मुख्य फसल को भी नष्ट कर सकता है।
ग्लाइफोसेट का सही तरीके से छिड़काव
कृषि विशेषज्ञ के अनुसार, 1 लीटर ग्लाइफोसेट को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर भूमि पर छिड़काव किया जा सकता है। नालियों में छिड़काव करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि छिड़काव के बाद 3 से 4 दिनों तक नाली का उपयोग न करें। यदि इस अवधि में नाली में पानी छोड़ा जाता है, तो यह पानी खेत की मुख्य फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
मुख्य फसल की सुरक्षा
ग्लाइफोसेट का उपयोग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसका घोल मुख्य फसल के पौधों पर न गिरे। यदि गलती से यह दवा फसल के पौधों पर पड़ जाती है, तो पौधे नष्ट हो सकते हैं। इसलिए छिड़काव के दौरान नाली और मेड़ से दवा को बाहर जाने से रोकना आवश्यक है, ताकि मुख्य फसल सुरक्षित रहे।
खाली खेतों में ग्लाइफोसेट का उपयोग
किसान ग्लाइफोसेट का उपयोग खाली खेतों में उगने वाले खरपतवारों को नष्ट करने के लिए भी करते हैं। हालांकि, छिड़काव के बाद किसान को कम से कम 60 से 75 दिनों तक खेत में कोई भी फसल नहीं लगानी चाहिए। यदि किसान इस समय सीमा का पालन नहीं करते हैं, तो नई फसल के बीजों का अंकुरण प्रभावित हो सकता है और पौधों का विकास रुक सकता है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है। साथ ही, ग्लाइफोसेट के मिट्टी के संपर्क में आने से मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो सकते हैं, जो भविष्य की फसलों की उपज को प्रभावित कर सकते हैं।
खरपतवारों से निपटना किसानों के लिए एक जटिल कार्य है, जिसके लिए सही तकनीक और सावधानियों की आवश्यकता होती है। चाहे यांत्रिक विधि का उपयोग हो या खरपतवार नाशक का, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि मुख्य फसल को किसी प्रकार का नुकसान न हो। सही जानकारी और दिशा-निर्देशों का पालन करके किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रखते हुए बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।