अगर सरसों बोई हुई है तो ये नुकसान से बचाने वाली पोस्ट जरूर पढ़ लेना
सरसों के खेत में ये कीट कर सकता है भारी नुकसान | अभी से कर लें इलाज।
किसान भाइयों, रबी की प्रमुख फसलों में से एक सरसों की फसल तिलहनी फसलों में अपना एक सम्मानित दर्जा रखती है। इसका उत्पादन केवल देश की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए नहीं, बल्कि किसानों की आजीविका के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। सरसों का तेल हमारे दैनिक जीवन का अहम हिस्सा है और इसका उपयोग खाद्य पदार्थों से लेकर औषधियों तक में होता है। हालांकि, इस फसल की खेती में कई चुनौतियां सामने आती हैं, जिनमें सबसे बड़ी चुनौती कीटों का प्रकोप है। खासकर कड़ाके की ठंड और कोहरे के मौसम में सरसों पर कीटों का हमला बढ़ जाता है, जो फसल के उत्पादन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। फसल पर कीटों का हमला तब और भी घातक हो जाता है जब ठंडी और कोहरे के कारण वातावरण में नमी और ठंडक बनी रहती है। इस मौसम में सरसों की फसल पर अधिकतर कीट सक्रिय हो जाते हैं, जो न सिर्फ फसल की बढ़वार को रोकते हैं, बल्कि उत्पादकता भी कम कर देते हैं। इससे किसान परेशान हो जाते हैं, क्योंकि एक छोटे से कीट का हमला भी फसल के उत्पादन पर भारी असर डाल सकता है। इसलिए, कृषि विशेषज्ञों ने कुछ प्रभावी और वैज्ञानिक तरीके सुझाए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अपनी सरसों की फसल को इन खतरनाक कीटों से बचा सकते हैं। इन कीटों की पहचान कैसे करें और इनसे बचने के लिए क्या उपाय हैं, इन सब बातों को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।
लाही कीट (Aphid)
किसान साथियों, लाही कीट सरसों की फसल के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। ये छोटे, भूरे या काले रंग के कीट होते हैं, जो पौधों के रस को चूसकर उन्हें कमजोर कर देते हैं। जब ये कीट पौधों से रस चूसते हैं, तो सबसे पहले पत्तियां मुरझाने लगती हैं और धीरे-धीरे वे सिकुड़ने लगती हैं। इससे पौधों का विकास रुक जाता है और फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। लाही कीट के अत्यधिक प्रकोप के कारण फसल में दाने नहीं बन पाते, जिससे फसल की उपज में भारी कमी हो जाती है।
बचाव के उपाय
1. पीली स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल : दोस्तों, लाही कीट को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है कि खेत में पीली स्टिकी ट्रैप्स लगाएं। इन ट्रैप्स को एक एकड़ में 5-6 की संख्या में लगाना चाहिए। ये ट्रैप्स कीटों को आकर्षित करते हैं और उन्हें चिपका लेते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आती है।
2. खरपतवार की सफाई : साथियों, लाही कीट की रोकथाम के लिए खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाना बहुत जरूरी है, क्योंकि लाही कीट इन्हीं खरपतवारों में शरण ले सकते हैं। यदि खरपतवार की सफाई नहीं की जाती, तो यह कीट को पनपने का मौका देता है, और उनका प्रकोप बढ़ सकता है।
3. कीटनाशक का प्रयोग: साथीयों, जब सरसों की फसल लगभग 40-45 दिन की हो जाए और लाही कीट का प्रकोप दिखाई देने लगे, तो आपको उसे समय अपनी सरसों की फसल में कीटनाशक का छिड़काव अवश्य करना चाहिए। इसके लिए आप कीटनाशक क्लोरोपायरीफॉस 20% EC को 200 मिलीलीटर की मात्रा में 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। यह कीटनाशक लाही कीटों के साथ-साथ अन्य कीटों को भी नष्ट करता है।
अन्य कीटों से बचाव
किसान भाइयों, फलिया बनने की अवस्था में सरसों की फसल पर लाही कीट के अलावा भी कई अन्य कीटों का प्रकोप हो सकता है, जो फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कीटों में झींझी (Flea beetles), टर्निप ह्यूमरल (Cabbage seed pod weevil) और कटवर्म (Cutworm) शामिल हैं। इनकी पहचान और रोकथाम के उपाय भी कृषि विशेषज्ञों द्वारा बताए गए हैं।
झींझी कीट (Flea Beetle)
दोस्तों, यह कीट छोटे होते हैं और यह पौधों की पत्तियों को कुतरकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी पहचान पत्तियों में छोटे-छोटे सुराखों से की जा सकती है। अगर आपको अपनी सरसों की फसल में इस प्रकार के कोई लक्षण दिखाई दे तो इनसे बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि नमक का घोल या फिर प्योरीथ्रिन आधारित कीटनाशक का छिड़काव अपनी फसल में करना चाहिए लेकिन ध्यान रखें इन नमक के घोल का अधिक इस्तेमाल खेत में ना करें क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता के लिए हानिकारक हो सकता है।
कटवर्म (Cutworm)
दोस्तों, कटवर्म फसल के ऐसे कीट हैं जो अक्सर रात के समय में सक्रिय होते हैं और पौधों की जड़ें खा जाते हैं। इससे पौधा गिर सकता है और पूरी फसल नष्ट हो सकती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसके बचाव के लिए खेत में सिरका आधारित कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा इस कीट की रोकथाम के लिए मेलाथियान 50 ईसी की दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है, या फिर डायमिथोएट 30 ईसी और इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL जैसी दवाएं भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।
मौसम का प्रभाव
किसान साथियों, सरसों की फसल में कड़ाके की ठंड और कोहरे के मौसम में कीटों के प्रकोप के बढ़ने का कारण यह है कि इस समय वातावरण में नमी और ठंडक अधिक होती है, जो कीटों के विकास के लिए अनुकूल होती है। ऐसे मौसम में, सरसों की फसल को बचाने के लिए अतिरिक्त ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है। किसानों को समय-समय पर फसल की निगरानी करनी चाहिए और कीटों के प्रकोप की स्थिति को पहचानने के लिए नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त ठंड से बचाने के लिए सरसों की फसल में सल्फ़र का इस्तेमाल करना चाहिए। सरसों की फसल में सल्फ़र की मात्रा लगभग सिंचाई के बाद प्रति एकड़ 4 किलो सल्फ़र का छिड़काव करें। अगर आप बेंटोनाइट सल्फ़र का इस्तेमाल करते हैं तो बेंटोनाइट वाली सल्फ़र 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। या फिर आप ग्रोमोर 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। यह न केवल आपकी फसल को सर्दी से बचाएगा, बल्कि सल्फ़र का उपयोग सरसों की फसल में तेल की मात्रा को बढ़ाने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।