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धान में शीथ ब्लाइट और ब्लास्ट रोग से बचना है तो पहले से कर लें ये काम | लक्षण और उपचार

diseases of basmati
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किसान साथियो बासमती धान की फ़सल अब बालियां निकालने की प्रक्रिया में प्रवेश करने वाली है। यहा एक ऐसा समय है जब फ़सल में बीमारियों का प्रकोप होने की सबसे ज्यादा संभावना है। साथियो इस समय होने वाली बीमारियों से अगर आप अपने धान को बचा लेते हैं तो निश्चय ही आप अपने उत्पादन को डेढ़ गुना तक बढ़ा सकते हैं। तो दोस्तो तैयार हो जाइए आज की रिपोर्ट में हम उन सभी जरूरी बातों पर गौर करेंगे जो आपके धान को इसी समय पर आने वाली दो मुख्य बीमारियों शीथ ब्लाइट और ब्लास्ट से बचा सकती हैं।किसान साथियो धान में शीथ ब्लाइट और ब्लास्ट जैसी बीमारियों के समाचार मिलने लगे हैं। सबसे पहले हम इन बीमारियों के लक्षणों को जानेंगे फिर इनसे छुटकारा पाने के लिए क्या करना होगा इस पर चर्चा करेंगे।

किसान साथियो शीथ ब्लाइट एक ऐसा रोग है जो आपकी फ़सल को 50% तक खत्म करने की क्षमता रखता है। शीथ ब्लाइट एक मृदा जनित रोग है जो राइजोक्टोनिया सोलानी AG1-IA कवक के कारण होता है ।

शीथ ब्लाइट के लक्षण
शीथ ब्लाइट रोग के धब्बे धान के तने पर लिपटी बाहरी पत्तों पर अनियमित आकार के मटमैले सफेद व हरे धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं। यह रोग धान में फुटाव से लेकर गोभ की अवस्था में आने के बीच दिखाई देते है। इन धब्बों के किनारे गहरे भूरे तथा बैंगनी रंग के होते हैं। बाद में इन धब्बो का रंग पुआल जैसा हो जाता है। शुरुआत में इस रोग के लक्षण मेडों के आसपास व खेत में उन जगहों पर पाये जाते हैं जहां खरपतवार हों। अधिक प्रकोप की स्थिति में यह रोग सबसे ऊपर की पत्ती (फ्लैग लीफ) तक पहुँच जाता हैं। ये धब्बे आपस में मिलकर पूरी की पूरी पर्णच्छद और पत्तियों को झुलसा देते हैं जिसके परिणामस्वरुप बालियों में दाने पूरी तरह नहीं भरते । नमी के मौसम में इन धब्बों के ऊपर फफूँद का कवकजाल व भूरे काले रंग के पिण्ड भी पाए जाते हैं। ये पिण्ड कवकजाल (माईसिलियम) की सहायता से धब्बों पर चिपके रहते परंतु हल्का सा झटका लगने पर गिर जाते हैं। ज्यादा तापमान होने पर इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

शीथ ब्लाइट उपचार
शीथ ब्लाइट बीमारी के लक्षण दिखने पर आप पल्सर दवा (Thifluzamide 24% SC) का स्प्रे कर सकते हैं। इस दवा को आप 1 ml प्रति लिटर पानी में के हिसाब से मिला लें। 1 लिटर का यह डब्बा 6 से साढ़े 6 एकड़ में काफी रहता है। एक एकड़ में 150 ml दवाई को आप 150 लिटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने से शीथ ब्लाइट रोग से मुक्ति पा सकते है।

बासमती धान में ब्लास्ट रोग
ब्लास्ट रोग पाइरीकुलेरिया ओराइजी नामक फफुंद के द्वारा फैलता है। यह रोग वायुजनित व मृदाजनित दोनों प्रकार का होता है। इस रोग के कीटाणु पूरे वर्ष हवा में उपस्थित रहते है और अनुकूल वातावरण मिलते ही धान की फसल को संक्रमित कर देते है। इस रोग का आर्थिक क्षति स्तर 3-5 घाव / पत्ती होता है। यह रोग धान फसल की विभिन्न वृद्धि अवस्था (नर्सरी से लेकर दाना बनने तक) पर हमला करता है। जिसके कारण रोग फैलने की अवस्था के अनुसार रोग का नाम भी बदल जाता है ।

उदाहरण के लिए
लीफ ब्लास्ट :- नर्सरी से कल्ला अवस्था तक पत्तियो पर आँख या नाव के आकार के धब्बे
नोड ब्लास्ट:- कल्ला अवस्था में तने की गांठ हरे रंग से काले रंग की हो जाती है व थोडा हिलने से ही टूट जाती है ।
नेक ब्लास्ट :- गोभ अवस्था से बाली बनने तक हल्के काले रंग के घाव आंशिक या पूरी तरह बाली की नीचे वाली गांठ या आधार पर दिखाई देते हैं ।

रोग का प्रकोप होने का कारण:
1. अधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग करना
2. अनुकूल वातावरण जैसे रात्रि में अधिक आर्द्रता व कम तापक्रम का होना व बादलो वाला मौसम
3. पत्तियों का अधिक समय तक गीला रहना या अधिक ओस पडने पर भी यह रोग अधिक फैलता है।

रोग आने से पहले सावधानियां /बचने के उपाय
स्वस्थ्य बीज का प्रयोग करें एवं बीज उपचार अवश्य करें। उचित समय पर (15 जुलाई से पहले) रोपाई करें। नाइट्रोजन (यूरिया) का संतुलित प्रयोग करें। ज्यादा यूरिया न डालें । खेतों में लगातार नमी बनाये रखें। कल्ले एवं बाली निकलते समय सूखा न लगने दें ।

बासमती धान में ब्लास्ट रोग उपचार
यदि आपके खेत में ब्लास्ट रोग का प्रकोप हो गया है तो आपको स्प्रे करने की जरूरत है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि रोगों की स्प्रे अगर ज्यादा मात्रा में हो जाती है तो यह धान की क्वालिटी को नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार ऐसा हो चुका है कि ज्यादा केमिकल की मात्रा चावल में रहने के कारण भारतीय बासमती को विदेशों में रिजेक्ट कर दिया गया है। इसलिए आपको संतुलित मात्रा में ही स्प्रे करनी है। दोस्तो ब्लास्ट रोग के लिए वैसे तो बहुत सारे केमिकल बाजार में मिल रहे हैं लेकिन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी Amistar Top (Azoxystrobin 18.2% + Difenoconazole 11.4% SC) को रेकमेंड करती है। इसलिए आप चाहें हो 200 ml प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लिटर paani में मिलाकर इसका स्प्रे कर सकते हैं। रोगग्रस्त पौधों एवं अवशेषों को जलाकर नष्ट करें।

नोट :- दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्त्रोतों से प्राप्त की गई है। किसी भी प्रकार का छिड़काव करने से पहले नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।