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गेहूं बुवाई के समय बेसल डोज में कितना और क्या क्या डालें | 90% लोगों को नहीं पता जाने इस रिपोर्ट में

गेहूं बुवाई के समय बेसल डोज में कितना और क्या क्या डालें | 90% लोगों को नहीं पता जाने इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो रबी की सबसे प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का समय आ गया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, नवंबर के पहले सप्ताह से लेकर 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है। इस दौरान गेहूं को बुवाई करने पर फसल को पर्याप्त समय मिल जाता है और उत्पादन भी अच्छा होता है। गेहूं की बुवाई के समय बेसल डोज के महत्ब को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।  बेसल डोज में उर्वरक का उपयोग करने से पहले मिट्टी की जांच कर लेना बेहद जरूरी है। मिट्टी की जांच से यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन कौन से पोषक तत्वों की कमी है और किन पोषक तत्वों की अधिकता है। इससे किसान उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग कर सकते हैं और फसल को अधिक पोषण प्रदान कर सकते हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार फसलों की अच्छी पैदावार के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरक डालने का बहुत महत्व है। उर्वरक पौधों के लिए पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे भोजन मनुष्यों के लिए होता है। ये मिट्टी में उन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक होते हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि गेहूं की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरूर करवा लें। हालांकि, यदि मिट्टी परीक्षण संभव न हो तो किसान विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार संतुलित मात्रा में उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं।

गोबर की खाद से बढ़ाएं फसल की पैदावार
खेत में गोबर की सड़ी हुई खाद डालने से फसल की पैदावार बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. एन.पी. गुप्ता के अनुसार, गेहूं की बुवाई से पहले खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 100 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद डालने से फसल को कई लाभ होते हैं। गोबर की खाद में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा, इसमें 20 से 25 प्रतिशत तक ऑर्गेनिक कार्बन भी होता है जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाकर फसल की पैदावार को बढ़ाने में सहायक होता है। गोबर की खाद मिट्टी की संरचना को सुधारकर जलधारण क्षमता को बढ़ाती है जिससे पौधे सूखे का प्रभाव कम महसूस करते हैं। साथ ही, यह पौधों की जड़ों को मजबूत बनाती है जिससे पौधे अधिक मजबूत और स्वस्थ होते हैं।

गेहूं की 1 एकड़ फसल में कितना डाले फास्फोरस, नाइट्रोजन, पोटाश
साथियो डॉ. एन.पी. गुप्ता के अनुसार, यदि किसान अपनी मिट्टी की जांच नहीं करवा पा रहे हैं तो वे अपनी फसलों के लिए संतुलित मात्रा में खाद का उपयोग कर सकते हैं। एक एकड़ भूमि के लिए लगभग 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम सल्फर और 10 किलोग्राम जिंक का उपयोग करना उपयुक्त रहेगा। इनमें से फास्फोरस, पोटाश, सल्फर और जिंक को फसल बोने के समय एक साथ डाल देना चाहिए। वहीं, नाइट्रोजन को दो बराबर भागों में बांटकर पहली और दूसरी सिंचाई के समय देना चाहिए। इस प्रकार खाद का उपयोग करने से फसलों को पर्याप्त पोषण मिलेगा और उत्पादन में वृद्धि होगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

क्या कहते हैं गेहूं के जानकार
देश की जान हमारे किसान युटुब चैनल पर कृषि से सम्बंधित बढ़िया जानकारी मिलती है और उनका कहना है कि संतुलित बेसल डोज में आपको  डीएपी लगभग 30 से 35 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता होगी, विशेषकर डीएपी की कमी को ध्यान में रखते हुए, यदि आप NPK का उपयोग कर रहे हैं। आप 12-32-16 ग्रेड की लगभग डेढ़ बोरी प्रति एकड़ ले सकते हैं। यदि आप अलग से डीएपी, पोटाश, और यूरिया का उपयोग करना चाहते हैं, तो डीएपी की मात्रा 30-35 किलो, पोटाश 30-35 किलो, और यूरिया 20 किलो प्रति एकड़ रखनी चाहिए। इसके अलावा, आप सल्फर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि उपलब्ध हो, तो 3 किलो प्रति एकड़ 80 या 90 प्रतिशत पाउडर सल्फर का या फिर बेंटोनाइट सल्फर का 10 किलो प्रति एकड़ उपयोग करें। इसे खेत के शुरुआती चरण में मिलाएं ताकि पौधे के अंकुरण के समय उसकी जड़ें अच्छी तरह विकसित हो सकें और पौधा प्रारंभिक चरण से ही सुदृढ़ खड़ा हो। यह प्रारंभिक देखभाल गेहूं की फसल के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।