सब कुछ डालने के बाद भी अगर गेहूं ने चाल नहीं पकड़ी है तो बस ये रिपोर्ट देख लेना
गेहूं में फुटाव और कल्ले बढ़ाने के लिए किसान अपनाएं ये बेहतरीन उपाय
किसान भाइयों, गेहूं की फसल किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण रबी की फसल होती है। इस फसल का सही विकास और बेहतर उत्पादन पाने के लिए कई पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू है कल्ले का फुटाव और कल्ले की बढ़वार। यदि गेहूं के पौधों में कल्ले सही समय पर नहीं फूटते या उनका विकास नहीं होता, तो इससे गेहूं की पैदावार पर सीधा असर पड़ता है। यह समस्या तब आती है जब किसानों ने सही समय पर खाद और सिंचाई की प्रक्रिया अपनाने के बावजूद, गेहूं के पौधों में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाती। गेहूं की फसल में कल्ले का फुटाव और उनकी बढ़वार यह सीधे तौर पर फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। अधिक कल्लों का मतलब है अधिक बालियां, जिससे गेहूं की पैदावार में वृद्धि होती है। इसके लिए सही पोषक तत्वों का उपयोग और सही समय पर सिंचाई बहुत जरूरी है। अगर फसल में पर्याप्त खाद और पानी का प्रयोग सही समय पर नहीं किया जाता, तो कल्ले अच्छे से नहीं फूटते, जिससे पैदावार में कमी हो सकती है। अब सवाल यह उठता है कि गेहूं में कल्ले बढ़ाने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए? चलिए, हम इस रिपोर्ट में उन उपायों की चर्चा करेंगे, जिन्हें अपनाकर किसान गेहूं में कल्ले बढ़ा सकते हैं और फसल को हरा-भरा बना सकते हैं। तो चलिए इन सब बातों पर विस्तार पूर्वक जानने के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।
कल्ले बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों का इस्तेमाल
किसान साथियों, किसी भी फसल की वृद्धि के लिए पोषक तत्वों का सही संतुलन बहुत महत्वपूर्ण होता है। गेहूं में कल्ले बढ़ाने के लिए सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व है नाइट्रोजन। नाइट्रोजन के बिना पौधों की उचित वृद्धि नहीं हो पाती और इस कारण कल्ले भी ठीक से नहीं फूट पाते। नाइट्रोजन की पहली खुराक बुवाई के समय डालें और दूसरी खुराक बुवाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई के साथ डालें। फसल के बढ़िया फुटाव के लिए 20 किलो यूरिया बुवाई के समय खेत में डालने और पहली सिंचाई के समय एक बैग यूरिया का प्रत्येक करके हिसाब से डालें। इसके अलावा, फॉस्फोरस और पोटाश का उचित अनुपात भी गेहूं में कल्लों की वृद्धि में मदद करता है। इसे खेत में डालने से पौधों की जड़ें और तने मजबूत होते हैं, जिससे कल्ले फूटने की संभावना बढ़ जाती है। एक और बेहतरीन उपाय है एनपीके 19:19:19 का इस्तेमाल। इसे 120-130 लीटर पानी में घोलकर फसल में छिड़कें। इस मिश्रण से पौधे ज्यादा हरे-भरे और मजबूत बनते हैं, और कल्लों का फुटाव भी तेज होता है। उर्वरकों के साथ-साथ नैनो डीएपी और ह्यूमिक एसिड का उपयोग भी फसल के विकास के लिए फायदेमंद हो सकता है। किसान 250 मिलीलीटर नैनो डीएपी और ह्यूमिक एसिड को पानी में घोलकर फसल में छिड़क सकते हैं, जिससे कल्ले तेजी से फूटते हैं और पौधे हरे-भरे नजर आते हैं।
जिंक और मैग्नीशियम का प्रयोग
किसान साथियों, जिंक की कमी से भी गेहूं में कल्ले बढ़ने में समस्या आ सकती है। जिंक की कमी से पौधों में पीलापन और विकास में रुकावट आ जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए किसान चिलेटेड जिंक या जिंक सल्फेट का प्रयोग कर सकते हैं। चिलेटेड जिंक को 120 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ फसल में छिड़कें। अगर चिलेटेड जिंक नहीं मिल रहा हो, तो आप जिंक सल्फेट को बालू रेत या यूरिया में मिलाकर एक एकड़ फसल में डाल सकते हैं। यह पौधों की वृद्धि में मदद करेगा और कल्लों की संख्या को बढ़ाएगा। मैग्नीशियम सल्फेट का भी इस मामले में महत्वपूर्ण रोल है। इसे 100 से 125 ग्राम मात्रा में 120 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़कने से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और कल्ले का फुटाव बेहतर होता है। इसके अलावा, 1 किलो यूरिया को पानी में घोलकर फसल में छिड़कने से भी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
बीज की सही बुवाई
किसान साथियों, फसल में अधिक फोटो और बढ़िया उत्पादन के लिए बीजों की बुवाई के दौरान ध्यान देने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बीजों को 20 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए ताकि पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। साथ ही, 4-5 सेमी की गहराई पर बीजों की बुवाई करनी चाहिए ताकि पौधों की जड़ें सही दिशा में बढ़ें और मजबूत हों। इसके अलावा, वर्मी कंपोस्ट और गोबर की खाद का उपयोग मिट्टी की संरचना को सुधारने के लिए किया जा सकता है, जिससे पौधों को अच्छे पोषक तत्व मिलते हैं और कल्ले भी अच्छी तरह से फूटते हैं।
नैनो यूरिया का प्रयोग
किसान भाईयों, गेहूं के पौधों में कल्ले बढ़ाने के लिए ग्रोथ रेगुलेटर जैसे कात्यायनी फास्ट का उपयोग करें। यह पौधों की वृद्धि को उत्तेजित करता है और कल्ले तेजी से बढ़ते हैं। इसके अलावा, नैनो यूरिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्प्रे करने से भी कल्लों की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके लिए नैनो यूरिया को एक लीटर पानी में 2-4 मिलीलीटर मिलाकर पत्तों पर छिड़कना चाहिए। अगर हम 1 एकड़ की बात करें तो एक एकड़ में नैनो यूरिया छिड़कने के लिए 500 मिलीलीटर मात्रा पर्याप्त होती है। फसल की बढ़िया ग्रंथ और फोटो के लिए नैनो यूरिया का छिड़काव दो बार करना चाहिए। पहला छिड़काव अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद करना चाहिए। और दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 20-25 दिन बाद या फसल में फूल आने से पहले करना चाहिए।
फसल को रोग और कीटों से बचाव
किसान साथियों, गेहूं के पौधों में कल्ले बढ़ाने के लिए यह भी जरूरी है कि फसल को रोग और कीटों से बचाया जाए। इसके लिए आप कार्बेन्डाजिम जैसे कवकनाशी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, कीटों के लिए कीटनाशकों का उपयोग करना भी जरूरी है ताकि फसल सुरक्षित रहे और कल्लों की बढ़वार में कोई रुकावट न आए। फसल को रोग से बचने के लिए गेहूं में हृदा रोग यानी रस्ट को रोकने के लिए, प्रोपोनाज़ोल या कार्बेंडाज़िम का इस्तेमाल करें। इसके इस्तेमाल के लिए 1 मिलीलीटर प्रोपोनाज़ोल या 2 ग्राम कार्बेंडाज़िम को एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करें। इसके अलावा गेहूं की पत्तियों पर फफूंदी के फफोले होने पर, प्रोपिकोनोज़ोल 25% ईसी रसायन का इस्तेमाल करें। आधा लीटर प्रोपिकोनोज़ोल 25% ईसी रसायन को 1,000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। गेहूं की फसल में माहू के प्रकोप को रोकने के लिए, आईएमडी 70, फ़ोक्सी, के-एस्प्रो, और आईएमडी 178 जैसी दवाओं का इस्तेमाल करें। अगर आपको गेहूं की फसल में कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो एज़ाडिरैक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ईसीईओ की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके अलावा कीटों की रोकथाम के लिए किसान भाई डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ईसीईओ की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। या फिर किसान भाई मिथाइल-ओ-डेमेटान 25 प्रतिशत ईसीईओ की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। अगर फिर भी आपको फसल में कीटों का प्रभाव दिखाई दे तो किसान भाई मोनोक्रोटोफ़ास 36 एसओएल की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।