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एक महीने में ही पालक की खेती से कमाएं लाखों | जानिए वैज्ञानिक तरीका

एक महीने में ही पालक की खेती से कमाएं लाखों | जानिए वैज्ञानिक तरीका
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किसान भाइयों आज हम एक ऐसी सब्जी वाली फसल का जिक्र करेंगे जो मात्र एक महीने में तैयार हो जाती है। आज हम एक नगदी फसल का विश्लेषण करेंगे नकदी फसल वह होती है जो कि कम समय में तैयार होकर एक अच्छी आमदनी देती है। आज हम पालक की खेती के बारे में बात करेंगे, पालक एक ऐसी पत्तेदार सब्जी है जो किसी भी सब्जी में डाल दी जाए तो, सब्जी के स्वाद को ही बदल देती है। इसमें आयरन भरपूर मात्रा में होता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। पालक सेहत के लिए तो फायदेमंद होती ही है, साथ में अगर इसकी खेती सही विधि के अनुसार की जाए तो यह किसान भाइयों के लिए भी बहुत अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है। पालक एक हरी पत्तेदार सब्जी है, पालक का नाम सबसे जल्दी तैयार होने वाली फसलों में आता है। पालक की फसल 25 से 30 दिनों में तैयार हो जाती है। दूसरी सब्जियों के मुकाबले पालक की खेती में खर्चा भी ना के बराबर आता है। यदि बरसात के मौसम में पालक की खेती की जाए तो इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं पड़ती। पालक एक ऐसी सब्जी है जिनकी डिमांड बाजार में पूरे साल बनी रहती है। अगर किसान भाई पालक की खेती पर ध्यान दें तो, यह फसल काफी अधिक मुनाफा देने वाली है। अगर उत्पादन का अनुमान लगाया जाए तो आप प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल पालक का उत्पादन कर सकते हैं, जिसको बाजार में आप थोक भाव में 15 से 20 रूपए किलो बेच सकते हैं, अगर आप पलक की खेती सितंबर महीने में करते हैं तो आपको मंडी में और भी अच्छा भाव मिल सकता है, लेकिन अगर पालक की फसल से आपको अधिक मुनाफा कमाना है तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा, जैसे की बुवाई का सही समय, बीज की सही मात्रा, उत्पादन बढ़ाने के तरीके, सिंचाई की सही विधि, सही मात्रा में और सही समय पर खाद का प्रयोग, कटाई का सही समय आदि। आज की रिपोर्ट में हम इन्हीं बातों के बारे में चर्चा करेंगे, तो आईए जानते हैं पालक की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी आज की रिपोर्ट में।

मिट्टी का चयन
साथियों वैसे तो पालक की खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, नमकीन मिट्टी में भी आप पालक की खेती कर सकते हैं,अगर बात की जाए बढ़िया मिट्टी की तो पालक की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उत्तम होती है। पालक को लवणीय मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, जहां पर अन्य फैसले नहीं उगाई जा सकती। खेत का चयन इस प्रकार करें की पानी की निकासी का उचित प्रबंध हो।

खेत की तैयारी
साथियों पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जी का अधिक उत्पादन लेने के लिए,बिजाई से पहले खेत को अच्छी तरह दो-तीन बार कल्टीवेटर से तैयार करना चाहिए और उसमें 5 से 7 ट्रॉली गोबर की गली सड़ी खाद डालनी चाहिए,अगर आपके पास गोबर की खाद नहीं है तो आप कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, वैसे तो पालक की फसल में नाइट्रोजन डालने पर भी अच्छे परिणाम मिलते हैं, लेकिन गुणवत्ता और क्वालिटी को बढ़ाने के लिए जैविक खेती करने वाले किसान जीवामृत का प्रयोग कर सकते हैं। साथियों पालक एक ऐसी सब्जी है, जो हर सब्जी के साथ उपयोग में लाई जाती है इसलिए पालक में आप रासायनिक खादो का प्रयोग कम से कम करें।

बिजाई का तरीका
साथियों वैसे तो पालक की बिजाई का सही समय अक्टूबर नवंबर का होता है,लेकिन अगर आप पालक की बिजाई सितंबर महीने में करते हैं हो तो आपको मुनाफा अधिक हो सकता है, क्योंकि सितंबर में बिजाई की हुई फसल पहले तैयार हो जाती है जिसका मंडी में अच्छा खासा भाव मिल जाता है। बुवाई करते समय ध्यान रखें कि आप उपचारित बीजों का ही उपयोग करें, ताकि आगे चलकर फसल में आने वाली बीमारियों पर कंट्रोल किया जा सके और उत्तम क्वालिटी के बीजों की ही बुवाई करें। भारत में पालक की दो किस्म की ही ज्यादातर खेती की जाती है, देसी और विलायती। आप अपने क्षेत्र में मिट्टी के अनुसार देसी या विलायती किस्म का चयन कर सकते हैं। भारत में पालक की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में आलग्रीन,पूसा रहीत, पूसा ज्योति, जोबनेर ग्रीन है। पालक की बिजाई का सही तरीका छिड़काव विधि द्वारा किया जाता है। आप चाहे तो पालक की बिजाई आप मशीन के द्वारा भी कर सकते हैं।1 एकड़ में पालक का लगभग 10 से 12 किलो बीज की आवश्यकता होती है।

खरपतवार नियंत्रण
भाइयों पालक एक हरी और पत्तेदार सब्जी है, पालक की फसल को खरपतवारों से 60% तक नुकसान हो सकता है, क्योंकि खरपतवार फसल को फैलने में रुकावट पैदा करती हैं और जमीन के पोषक तत्वों को भी खत्म करते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए आप बुवाई के तुरंत बाद पैडीमेथिलिन का छिड़काव खेत में जरूर करें। परंतु छिड़काव से पहले यह जरूर देखें की खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। अगर बीमारियों की बात की जाए तो अगर आप बढ़िया क्वालिटी का उपचारित बीज का प्रयोग करते हैं तो पालक की फसल में बीमारी आने की उम्मीद बहुत ही कम होती है।पालक की खेती में रोग व कीट काफी कम लगते हैं मच्छर वाहिनी के प्रकोप से बचाने के लिए आप नीम ऑयल का स्प्रे कर सकते हैं जो कि पूरी तरह से ऑर्गनीक है।

सिंचाई प्रबंधन
भाइयों जैसा कि आपको पता है पालक एक हरे पत्ते वाली फसल है,और बहुत ही कम अवधि मैं तैयार हो जाती है। पालक में नियमित रूप से पानी की आवश्यकता पड़ती है,इसलिए पालक में समय-समय पर सिंचाई करनी चाहिए, पालक की फसल में 10 से 12 दिन में हल्की हल्की सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई इस तरीके से करें की मिट्टी में नमी बनी रहे।अगर आप पालक की बिजाई बरसात के मौसम में करते हैं तो आपको सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं है।

उत्पादन
अगर आप पालक की खेती सितंबर महीने में करते हैं तो 15 अक्टूबर से 15 नंबर के आसपास आपको पालक का काफी अच्छा भाव मिलेगा हमें इस समय पालक का 20 से 25 रुपए किलो मंडी थोक भाव मिल सकता है। अलग-अलग मंडियों में भाव थोड़ा ऊपर नीचे भी हो सकता है। पालक की फसल की आप 5 से 6 बार कटाई कर सकते हैं। हालांकि पालक में वजन कम होता है,लेकिन कुछ किसान भाइयों से बात करने पर यह अनुमान लगाया गया कि पालक की खेती से आप 100 से 125 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन ले सकते हैं। पालक की खेती आपकी डेली इनकम का एक बढ़िया स्रोत है। जिससे आपकी पैसों की रोटेशन बनी रहेगी।

कटाई का तरीका
भाइयों पालक की फसल बहुत ही जल्दी तैयार हो जाती है, यह फसल बिजाई के 25 से 30 दिन के अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। अगर आपके पत्तों की लंबाई 15 से 20 सेंटीमीटर हो गई है तो आप पालक की पहली कटाई कर सकते हैं। कटाई करते समय ध्यान रखें की आपको कटाई जड़ से 5 से 6 सेंटीमीटर ऊपर से करनी चाहिए, क्योंकि अगर आप इतने ऊपर से कटाई करेंगे तो आपकी पालक की दूसरी कटाई में फुटाव बहुत ही जल्दी होगा और आपको जल्दी ही दूसरी कटाई के लिए तैयार फसल मिल जाएगी। आपकी फसल दूसरी कटाई के लिए 15 से 20 दिनों के अंदर ही तैयार हो जाएगी और आप थोड़े ही समय में पालक में 5 से 6 कटाई लेकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।पालक की कटाई हल्के हाथों से करें ताकि पौधे की जड़े ना निकले इसके लिए आपको एक बात का और ध्यान रखना होगा की आप सिंचाई के तीन-चार दिन बाद ही पालक की कटाई करें। या फिर आप कटाई के तुरंत बाद पालक में सिंचाई करें ताकि जब अगली कटाई का समय आए तो आपके खेत में अधिक नमी न हो और आपके पौधों की जड़े निकलने का खतरा ना रहे।

Note: ऊपर दी गई सभी जानकारी इंटरनेट और सार्वजनिक तथ्यों पर आधारित है, कृषि संबंधित कोई भी कार्य करने से पहले कृषि विषय से क्योंकि सलाह जरूर लें एवं निर्णय अपने विवेक और समझ से लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।