आलू की सिंचाई के समय भूल कर भी ना करें यह छोटी सी गलती | हो सकता है बड़ा नुकसान
किसान भाइयों, हमें हमेशा अपने खेतों में बेहतरीन फसल उगाने के लिए नई-नई तकनीकों को अपनाना चाहिए। चाहे वह बीज का चुनाव हो, खाद का उपयोग या फिर पानी की सही मात्रा का ध्यान रखना हो, हर कदम बहुत अहम होता है। आज हम बात करेंगे एक आम गलती के बारे में, जो बहुत से किसान भाइयों द्वारा आलू की फसल में की जाती है— ज्यादा पानी लगाना। आज हम बताएंगे कि कैसे अधिक पानी डालने से आलू की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और इसके बजाय पानी को सही मात्रा में देने से आपको बेहतरीन परिणाम मिल सकते हैं। हर एक किसान को यह समझना चाहिए कि टॉप गीला नहीं होना चाहिए और पानी का स्तर जड़ों तक ही रखना चाहिए, ताकि आलू स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता का हो। आलू की फसल में पानी का अधिक उपयोग न सिर्फ फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि इससे आलू के साइज, उसके स्वास्थ्य और पैदावार पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। बहुत से किसान भाई आलू की फसल में पानी बहुत ज्यादा डालते हैं, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस रिपोर्ट में, हम आपको बताएंगे कि कैसे आप आलू की फसल में सही मात्रा में पानी देकर बेहतर परिणाम पा सकते हैं और किस तरह से थोड़ी सी समझदारी से आप अपनी फसल को खराब होने से बचा सकते हैं। तो चलिए इन सब पहलुओं को विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
फसल में अधिक सिचाई
किसान भाइयों, अगर आप आलू की फसल में अधिक पानी डालते हैं तो यह आलू की जड़ों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अधिक पानी से आलू की जड़ें ठीक से फैल नहीं पातीं और इससे आलू की फसल में बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। आलू की फसल को पानी की नहीं, बल्कि नमी की आवश्यकता होती है। जब आप बहुत अधिक पानी डालते हैं, तो इससे खेत की मिट्टी गीली हो जाती है, जिससे आलू का टॉप गीला हो सकता है। अगर आलू के ऊपर के हिस्से को पानी लगने से गीला कर दिया जाता है तो यह फसल के लिए ठीक नहीं होता। पानी की रमाई (waterlogging) से आलू के आकार पर भी असर पड़ सकता है, जिससे वह छोटे और टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं। पानी की अधिक मात्रा के कारण आलू के उत्पादन में बीमारियों का खतरा तब बढ़ता है जब खेत में पानी का स्तर अधिक हो। तो अधिक पानी से आलू क्रैक हो सकते हैं और उनका आकार भी बढ़िया नहीं बन पाता। इसी तरह की गलतियों से किसान भाइयों को बचना चाहिए, ताकि फसल का स्वास्थ्य और पैदावार बेहतर हो।
फसल में पानी की सही मात्रा
किसान साथियों, जब आप आलू की फसल में पानी डालते हैं तो ध्यान रखें कि आलू का टॉप हमेशा सूखा होना चाहिए। यदि आप पानी को सिर्फ जड़ों तक पहुंचाते हैं और ऊपर के हिस्से को गीला नहीं होने देते, तो यह आलू के लिए सबसे बेहतर होगा। टॉप का सूखा रहना आलू की जड़ों के लिए अच्छा होता है, क्योंकि आलू को नमी की आवश्यकता होती है, ना कि पानी की ज्यादा मात्रा। जब आप पानी सही तरीके से देंगे, तो आलू के आकार में सुधार होगा और फसल भी स्वस्थ रहेगी। इसके अलावा, जब आप अपने खेत में पानी डालने की योजना बनाते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि पानी समान रूप से वितरित हो। जैसे कि यदि आप किसी खेत में पानी दे रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि पानी सही दिशा में जाए और खेत के अन्य हिस्सों तक पहुंचे।
पानी का सही तरीके से वितरण
किसान भाइयों, यदि आपके खेत में पानी अधिक है और यह एक ही जगह पर जमा हो गया है, तो आपको पानी के वितरण का तरीका समझना होगा। यदि आपके पास एक खाल (furrow) है जिसमें पानी बहुत ज्यादा है, तो उसे दो या तीन हिस्सों में बांटने की कोशिश करें। इससे पानी का स्तर समान रूप से खेत में फैल जाएगा और आपका आलू डूबेगा नहीं। आप खेतों में पानी के लेवल को नीचे रख सकते हैं ताकि आलू की जड़ों को सही मात्रा में पानी मिले, बिना ऊपर के हिस्से को गीला किए। एक खाल में आधा पानी डालकर, फिर अगले खाल में थोड़ा कम पानी डालने से आपका खेत बहुत जल्दी सूख जाएगा और आलू की जड़ों को सही मात्रा में नमी मिलेगी।
गति से बढ़ते पानी की समस्या
किसान साथियों, आलू की फसल में पानी की अधिकता की समस्या को आप सही तरीके से समझकर बहुत जल्दी ठीक कर सकते हैं। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया, यदि खेत में पानी बहुत ज्यादा है तो आपको इसे कई खालों में डिवाइड करना चाहिए, ताकि पानी का वितरण बेहतर तरीके से हो सके। ऐसा करने से आलू के पौधों को पानी की कमी नहीं होगी और वह अच्छे से बढ़ेंगे। किसान भाइयों, सही तरीके से पानी डालने से न सिर्फ आलू का आकार बेहतर होगा, बल्कि आपको बीमारियों से भी बचाव होगा और उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
कब करें सिंचाई
किसान भाइयों, आलू की फसल में पहली सिंचाई, बुआई के 8-10 दिन बाद यदि आपकी मिट्टी बलुई दोमट और दोमट मिट्टी है तो उसके लिए सही समय है। अगर आपके खेत में भारी मिट्टी है तो भारी मिट्टी में बुआई के 10-12 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। अगर आलू की फसल में आलू की दूसरी सिंचाई सिंचाई की बात करें तो, बुआई के 20-22 दिन बाद फसल में दूसरी सिंचाई करनी चाहिए। उसके बाद आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फसल में आवश्यकता अनुसार पानी दें और पानी की मात्रा को कम रखें। खेत में केवल नमी बनाए रखें और थोड़ा-थोड़ा करके नमी की मात्रा को ध्यान में रखते हुए आलू की फसल में 7 से 10 बार सिंचाई करने चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखें कि आलू की खुदाई से 10-15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।
सही सिंचाई विधि
किसान साथियों, आलू की फसल में सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई विधि सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ड्रिप सिंचाई विधि से पानी की बचत तो होती ही है, साथ ही फसल में सिंचाई भी सीमित मात्रा में होती है, जिसके कारण फसल में अधिक पानी की समस्या का खतरा नहीं होता और उसका फायदा यह होता है कि ड्रिप सिंचाई विधि से सिंचाई करने पर पत्तियों पर बीमारियां कम होती हैं। साथ ही इस विधि से सिंचाई करने पर किसान का शारीरिक परिश्रम भी बहुत कम हो जाता है, इसलिए यह सिंचाई प्रणाली आलू की फसल के लिए सबसे फायदेमंद और उत्तम बताई जाती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।