खेती के खर्चे को करें आधा | किसानों के मुनाफे को दुगुना करने वाली रिपोर्ट
दोस्तो वैसे तो खेती करने वाले किसानों को हमारे भारत की रीड की हड्डी माना जाता है, लेकिन बढ़ती हुई महंगाई के इस दौर में हमारी रीढ़ की हड्डी कमजोर होने लगी है। भारत मे सदियों से खेती की जा रही है लेकिन किसान की हालत में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। अक्सर ऐसा हो जाता है कि किसानों को पूरा साल खेत में मेहनत करने के बाद अंत में आमदनी की बजाय नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे प्राकृतिक कारण तो हैं ही लेकिन इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण महंगाई है। फसल में आने वाले खर्च खाद,बीज, पानी , तेल और बिजली का खर्च इतना बढ़ गया है कि किसान की फसल की सारी आमदनी उसके खर्चों में ही पूरी हो जाती है, अगर कुछ कमी बचती है तो उसको बाजार में व्यापारी फसलों के दाम गिराकर पूरी कर देते हैं। ऐसे हालातों मे किसान भाई करें तो क्या करें। खेती में बढ़ते हुए खर्च के चलते हमारे किसानों को खेती छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
हालांकि सरकार ने खेती के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रखी हैं, जिनका किसान भाई लाभ भी उठाते हैं, लेकिन फिर भी खेती के बढ़ते हुए खर्चों को मद्देनजर रखते हुए खेती से किसान भाइयों का गुजारा नहीं हो पा रहा। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण टॉपिक बताएंगे जिनको अपना कर आप अपने खर्चे को कम कर सकते हैं और अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। दोस्तो खेती में सबसे महत्त्वपूर्ण पांच ऐसे पॉइंट्स हैं जिनके ऊपर आपकी खेती में बचत और लागत निर्भर करती है। अगर आपने इन घटकों पर ध्यान दे लिया तो आपके खर्चे काफी हद तक कम हो सकते हैं। वह कौन से पॉइंट है आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में।
1. बीज के खर्चे कैसे कम होंगे
किसान भाइयों आपके खर्च की शुरुआत बीज से ही शुरू हो जाती है। जब आप दुकान पर बीज खरीदने जाते हैं तो दुकानदार आपको कई प्रकार की वैराइटियां दिखता है और उनके फायदे गिनवाने लगता है। साथ ही बढा चढ़ा कर उनके मूल्य भी बताता है। जो की काफी महंगे होते हैं। आज के टाइम पे मार्केट में महंगे बीज आने लगे है। आप खुद सोच सकते हैं कि इस समय कम्पनियां आपकी सरसों को 65 रुपये किलो के हिसाब से भी खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन वही सरसों खरीद कर थोड़ी बहुत छांटने के और थोड़े बहुत उपचार के बाद आपको ₹1000 प्रति किलो के हिसाब से बीज़ के रूप में बेच रहे हैं। दोस्तो इस भारी खर्चे से बचने के लिए आप एक बार वैरायटी का सिलेक्शन करके अपना खुद का उसी क्वालिटी का बीज भी तैयार कर सकते हैं। या फिर कई किसान मिलकर भी कहीं पर अपने तरीके से या अपनी फसल से ही सेलेक्ट करवा के तैयार करवा सकते हैं। कई कंपनियां और फर्म ऐसी हैं जो मामूली खर्चे में आपका यह काम कर सकती है।
दोस्तों क्या आपको पता है बीज कंपनियां बीज कहां से लेकर आती हैं, कंपनियां हमारे द्वारा बेचे हुए अनाज को खरीद कर, उन्ही में से गुणवत्ता वाले दोनों को अलग निकालकर उनको उगाकर , सिंपली उनके अंदर से छंटनी करके बीज को तैयार किया जाता है। अलग-अलग ट्रायल्स करके उसी तरीके से किसान साथी भी अपना बीज घर पर तैयार कर सकते हैं। अगर किसी किसान की फसल अच्छी निकली है उस फसल को अगले साल के लिए बीज के तौर पर तैयार करके प्रयोग किया जा सकता हैं। इस विधि को आप सभी प्रकार अनाज, फल, सब्जियां, या फिर तिलहनी और दलहनी फसलों में प्रयोग कर सकते हैं। इस विधि के द्वारा बीज तैयार करके आप सिर्फ अपना पैसा ही नहीं बचाते बल्कि बाजार में बिकने वाले लुभावने और गलत बीज के चयन से भी अपने आप को बचाते हैं। तो इस तरीके से आप अपने बीज के जो हजारों रुपए का जो बीज आता है उसको आप चंद रुपयों में कन्वर्ट करके इस खर्चे को आप बचा सकते हैं, तो जितना हो कोशिश करें खुद का बीज खुद तैयार करें। बीज तैयार करने की इस विधि को चार-पांच किसान मिलके भी कर सकते हैं, या फिर आप अकेले भी कर सकते हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
2.फर्टिलाइजर्स के खर्च
दोस्तों किसान के लिए फर्टिलाइजर्स मतलब न्यूट्रिशन, जो खेतों के अंदर डाला जाता है ये भी एक ऐसी चीज है जो हमारे खर्च को बहुत ज्यादा लेवल तक बढ़ा देती है। बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा की खेत की आधी कमाई तो किसान भाइयों की रासायनिक खादो और कीटनाशकों पर ही खर्च हो जाती है। रासायनिक खादो और कीटनाशकों को की वजह से आमदनी आज के समय में ना के बराबर हो गई हैं। किसी भी फसल में चाहे यूरिया हो या डीएपी या फिर कोई कीटनाशक हो, अधिक उत्पादन के चक्कर में केमिकल की खेती करने वाले किसान बहुत महंगे प्रोडक्ट्स का प्रयोग करते हैं। अगर आपको इन खर्चों से बचाना है तो आप जैविक तरीके से यह सारे फर्टिलाइजर्स खुद भी तैयार कर सकते हैं। जैविक खाद में आप केचुआ खाद, वर्मी वॉश, जीवामृत ,घन जीवामृत और स्प्रे के लिए नीम ऑयल घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इससे न सिर्फ आपका फसल पर आने वाला खर्च कम होगा, बल्कि आपकी फसल की गुणवत्ता भी काफी अच्छी बनेगी।
3.सिंचाई के खर्च
दोस्तों किसी भी फसल के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है सिंचाई, सिंचाई एक ऐसा पॉइंट है, जिसके बिना आप खेती करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। अगर सिंचाई पर आने वाली लागत की बात की जाए तो सिंचाई पर सबसे ज्यादा खर्च की लागत गर्मियों में आती है क्योंकि गर्मियों में जमीन तेजी से सूखती है और सिंचाई में ज्यादा खर्चा लगता है लेकिन गर्मियों में अगर बारिश ना हो तो सिंचाई का खर्चा इतना बढ़ जाता है कि उसको किसी भी तरीके से कंट्रोल नहीं किया जा सकता। सिंचाई के अंदर खर्चे को आप ऐसे कम करना चाहते हैं तो आप फ्लडेड वाटर विधि का इस्तेमाल कर सकते है। या फिर ओपन स्प्रिंकलर्स जो पुराने आते थे या रेनन लगा लीजिए, ओपन स्प्रिंकलर या फिर मिनी स्प्रिंकलर और सबसे एडवांस और सबसे सही जो किसानों के लिए है वो है ड्रिप इरिगेशन । इनमे से आप अपनी फसल के हिसाब से ऐसी विधि को अपनाए जिसमें आपका पानी भी कम खराब हो आपकी फसल भी अच्छी हो खरपतवार नियंत्रण भी हो जाए और प्रोडक्शन पर भी इफेक्ट ना आए । आपको ऐसी तकनीक अपनानी चाहिए सिंचाई मे जो खर्चा है वह बिलकुल जीरो हो जाए। अगर आप पेट्रोल ,डीजल या बिजली के बिल से बिल्कुल छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको एक बार पैसा लगाना है, आप अपने खेत में सोलर पंप लगवा लीजिए, इससे आप इन तीनों खर्चों को बिल्कुल जीरो कर सकते हैं।एक बार पैसा लगाने के बाद आपको 25-30 साल तक बिना पैसे के वो आपको लगातार पानी देगा। आप अपने खेत की कैपेसिटी के हिसाब से सोलर पंप लगाए। अब तो सरकार ने भी सोलर पंप के लिए विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं के तहत 50% से 90% तक सब्सिडी देने की घोषणा कर रखी है। जीरो खर्चे में सिंचाई के लिए इससे उत्तम विकल्प आपके पास और कोई नहीं हो सकता।
4.खरपतवार नियंत्रण के खर्चे
भाइयों खेतों में खरपतवार को निकालने के लिए हमारा जो लेबर खर्च आता है, वह भी किसान को सोचने पर मजबूर कर देता है, अगर किसान खरपतवार को खेत से ना निकलवाए तो वह पूरी फसल को खराब कर देता है और अगर वह खरपतवार को फ्लेवर के द्वारा खेत से निकलता है तो लेबर का जो खर्च है वह उत्पादन का कम से कम 10% होता है। क्योंकि खरपतवार को निकालने के लिए बार-बार स्प्रे करना पड़ता है उसमें भी लेबर कॉस्ट भी लगती है स्प्रे का पैसा भी लगता है उसके अलावा अगर मैं बात करूं अलग-अलग प्रकार के जो खरपतवार उग जाते हैं, तो उसके लिए आप फ्लडेड वाटर वगैरह का यूज कर सकते हैं। सबसे पहला जो तरीका खरपतवार नियंत्रण का है उसके लिए आप ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल कीजिए। इससे आप अपनी फसलों में न्यूट्रिशन भी अच्छे से दे पाएंगे और आपका खर्चा भी बच जाएगा साथ ही आपका सिंचाई का पानी भी बचेगा। इसके अलावा आप मल्चिंग पेपर लगा कर खरपतवार पर आने वाले खर्चे को कम कर सकते हैं। अगर मल्चिंग पेपर का खर्चा आपको ज्यादा लगता है तो नेचुरल मल्चिंग के बहुत सारे तरीके हैं आप डोल मेड पर पराली भी बिछा सकते हैं। इससे आपके खेत के अंदर देसी खाद की मात्रा भी बढ़ेगी और साथ ही खेत में नमी भी बनी रहेगी और आपके खेत में खरपतवार को उगने में भी रोकथाम करेगी। इस प्रकार आप कम खर्चे में अपने खेत में खरपतवार पर नियंत्रण कर सकते हैं इन तरीकों में आपको शुरुआत में थोड़ी मेहनत अधिक करनी होगी। लेकिन बाद में यह तरीके आपके लिए काफी आसान हो जाएंगे। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
5.हार्वेस्टिंग (कटाई) का खर्च
किसान भाइयों फसल पर आने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण और अधिक आने वाला खर्चा है वो है हार्वेस्टिंग का। हार्वेस्टिंग का खर्चा कहीं फसलों में सबसे ज्यादा लगता है जैसे कपास का लगा लीजिए कपास की चुगाई मे बहुत ज्यादा खर्चा लगता है। इसमें कपास के उत्पादन का लगभग 25% फसल की हार्वेस्टिंग में चला जाता है इसके अलावा गेहूं की कटाई की बात करें तो इसमें फसल की कमाई का लगभग 10% हिस्सा कटाई में लग जाता है। अगर आप किसी भी फसल की कटाई वाला कार्य मशीनों के द्वारा करवाते हैं तो इससे आपका समय और पैसा दोनों बचते हैं। अगर इसमें आपको और अधिक बचत करनी है तो और अगर हो सकता हो तो आप मशीन खुद खरीद भी सकते हैं या फिर चार-पांच किसान मिलकर भी मशीन लेकर आ सकते हैं। इसके लिए किसान समूह बनाकर एफपीओ जैसी संस्था बना सकते हैं। और आप अपने समूह से बाहर भी उसको चला कर अलग से इनकम कर सकते हैं। दोस्तो हमने कोशिश की है कि आपको खेती के खर्चे कम करने के ऐसे तरीके बताये जाएं जो व्यावहारिक रूप से अपनाए जा सके। हम जानते हैं कि सारे तरीके सब लोग नहीं अपना सकते लेकिन फिर भी अगर उपर बताये गये तरीके से आपका थोड़ा बहुत भी खर्च बचता है तो हम अपनी मेहनत को सफल मां लेंगे
Note:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी निजी विचारों पर आधारित है आप कोई भी कार्य कृषि विशेषज्ञों की सलाह एवं अपनी समझ से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है