अगर धान की नर्सरी पीली हो रही है तो, करें इस उर्वरक का उपयोग
किसान साथियों, धान की नर्सरी में पत्तियों पर धब्बे दिखना एक आम समस्या है, जिससे किसान अक्सर परेशान हो जाते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से जिंक की कमी के कारण होती है, जिसे "खैरा रोग" कहा जाता है। इसके अलावा, फंगल संक्रमण, पोषक तत्वों की कमी या अधिक सिंचाई भी इसका कारण बन सकती है, जिसके कारण नर्सरी में कमजोर पौध तैयार होता है। जब धान की नर्सरी में जिंक की कमी होती है, तो पौधों में कुछ विशेष लक्षण दिखाई देते हैं। नई पत्तियों पर पीले-सफेद धब्बे बनने लगते हैं, और पत्तियों का आकार छोटा रह जाता है। पौधों की बढ़वार रुक जाती है, और कभी-कभी पत्तियों के किनारे सूखने भी लगते हैं। यदि समय रहते इन लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो उचित उपाय करके नर्सरी को बचाया जा सकता है। आज हम इसी बात पर चर्चा करेंगे कि यदि आपकी भी धान की नर्सरी में पौधे पीले हो रहे हैं, तो उसके लिए आप कौन-सी उर्वरक का और कितनी मात्रा में उपयोग करें |
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नर्सरी में आने वाली समस्याएं
1. जिंक की कमी (खैरा रोग)
यदि धान की नर्सरी में जिंक की कमी है, तो इसके कारण खैरा रोग हो जाता है। इस रोग में पत्तियों पर भूरे-पीले धब्बे दिखाई देते हैं, और पौधे का विकास रुक जाता है। यह समस्या नर्सरी के साथ-साथ रोपाई के बाद भी हो सकती है।
2. आद्र गलन (Damping Off)
यह एक फंगल बीमारी है जो अधिक नमी वाले माहौल में फैलती है। इसमें पौधे जमीन के पास से सड़ने लगते हैं और गिर जाते हैं।
3. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी
नर्सरी में अगर मैग्नीशियम, आयरन, बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो, तो पौधे पीले पड़ने लगते हैं और उनकी ग्रोथ रुक जाती है। इसके अलावा, गर्मी के मौसम में अगर नर्सरी में पर्याप्त नमी न बनाए रखी जाए, तो पौधे सूखने लगते हैं।
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5% जिंक सल्फेट का उपयोग कब करें
साथियों, जब पत्तियों पर भूरे या पीले धब्बे दिखाई दें, और पौधों की ग्रोथ रुक जाए और पत्तियां छोटी रह जाएं, या फिर नई पत्तियां पीली या सफेद होने लगें, तो इसका सबसे प्रभावी समाधान 5% जिंक सल्फेट का छिड़काव करना है।
छिड़काव का सही तरीका
इसके लिए 5 लीटर पानी में 250 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाकर घोल तैयार करें। इस घोल का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना चाहिए, क्योंकि तेज धूप में छिड़काव करने से पत्तियां जल सकती हैं। ध्यान रखें कि घोल को छिड़काव से पहले अच्छी तरह छान लें, ताकि कोई अवशेष नली में न फंसे। जिंक सल्फेट के घोल को पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों तरफ समान रूप से छिड़कना चाहिए। फव्वारे का दबाव हल्का रखें, ताकि घोल पत्तियों पर समान रूप से फैल सके। एक बार में पूरी नर्सरी को अच्छी तरह तर कर देना चाहिए। यदि समस्या गंभीर है, तो 5-7 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना उचित रहता है। जिंक सल्फेट का उपयोग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। घोल की मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक नहीं होनी चाहिए और छिड़काव के बाद कम से कम 24 घंटे तक पानी न लगाएं।
अन्य उपाय
साथियों, नर्सरी को स्वस्थ रखने के लिए जिंक सल्फेट के छिड़काव के साथ-साथ कुछ अन्य उपाय भी करने चाहिए जिसमें नर्सरी लगाने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं, ताकि पोषक तत्वों की कमी का पता लगाया जा सके। समय-समय पर नर्सरी का निरीक्षण करते रहना चाहिए, ताकि किसी भी समस्या को शुरुआत में ही पहचाना जा सके। अगर नर्सरी में आद्र गलन (Damping Off) की समस्या हो, तो मैन्कोजेब या कार्बेंडाजिम फफूंदनाशक का छिड़काव करें। इसके अलावा बाजार में मल्टीप्लेक्स जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट पाउडर उपलब्ध हैं, जिनका छिड़काव करने से पोषक तत्वों की कमी दूर होती है। इसके अलावा नर्सरी लगाने से पहले मिट्टी में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। इससे पौधों को शुरुआत से ही पोषण मिलता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।