इस बार होलिका दहन का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है | 90% लोग नहीं जानते
साथियों, होली का पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर रंगों, आनंद, और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। होली न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह एक ऐसा पर्व है जो समाज में प्रेम और आपसी मेलजोल को बढ़ावा देता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर, गाने-बजाने और मिठाइयों का आदान-प्रदान करके अपने रिश्तों को और भी मजबूत बनाते हैं। हालांकि, होली से पहले आने वाले होलिका दहन का महत्व भी अत्यधिक है, क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन के दिन बुराई के प्रतीक होलिका की पूजा की जाती है और उसे आग में जलाकर बुराई को नष्ट करने का संदेश दिया जाता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस दिन का मुहूर्त, भद्रा की स्थिति और सही समय का निर्धारण बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इन सारी बातों का प्रभाव इस शुभ कार्य पर पड़ता है। भद्रा का साया होलिका दहन पर पड़ने से इसे लेकर धार्मिक दृष्टि से कई लोग असमंजस में रहते हैं, क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि भद्रा के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए।
इस साल, 2025 में होलिका दहन का शुभ समय और भद्रा की स्थिति को लेकर ज्योतिषाचार्य और शास्त्र विद्वानों के द्वारा खास जानकारी सामने आ रही है। इस वर्ष, 13 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा है, और इसी दिन होलिका दहन किया जाएगा। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा, जो लगभग 13 घंटे तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए, इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि कब होलिका दहन करना शुभ रहेगा और क्या भद्रा के प्रभाव को टालने का तरीका है। इसके अलावा, यह भी जानना जरूरी है कि इस साल होली कब खेली जाएगी और इसका सही दिन क्या होगा। इस रिपोर्ट में हम आपको विद्वान पंडितों द्वारा बताई गई होलिका दहन 2025 के मुहूर्त, भद्रा की स्थिति, और होली खेलने के सही समय के बारे में पूरी जानकारी देंगे। इसके साथ ही, हम आपको बताएंगे कि इस साल होली के पर्व को सही तरीके से कैसे मनाया जा सकता है, ताकि आप इस शुभ अवसर का आनंद ले सकें और कोई भी धार्मिक गलतियां न हों। तो यदि आप भी होली को सही मुहूर्त और शुभ समय में मनाना चाहते हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए है। तो चलिए जानें कि इस साल होली और होलिका दहन का कब और कैसे आयोजन होगा।
होलिका दहन का महत्व और भद्रा का असर
साथियों, होलिका दहन का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व राक्षसी शक्ति और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इसलिए होलिका दहन का समय और सही मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इसे भद्रा के साये से बचकर ही करना चाहिए। भद्रा, एक समय होता है जब कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। इस साल विशेष रूप से, होलिका दहन पर लगभग 13 घंटे तक भद्रा का साया रहने वाला है, जो सवाल उठाता है कि क्या हम इस समय में होलिका दहन कर सकते हैं या नहीं। आइए जानते हैं इस साल भद्रा की स्थिति और शुभ मुहूर्त के बारे में।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
साथियों, होलिका दहन के लिए, भद्रा का असर खत्म होने के बाद ही शुभ समय तय किया गया है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 10:35 बजे से 11:26 बजे तक रहेगा। यानी, 13 मार्च की रात को आपको लगभग 1 घंटे 9 मिनट का ही शुभ समय मिलेगा। इस दौरान ही होलिका दहन करना सर्वोत्तम होगा। यदि आप इस समय को छोड़ते हैं तो यह अशुभ माना जाएगा। भद्रा की समाप्ति के बाद, जब पूर्णिमा तिथि का समापन हो जाता है, तभी होलिका दहन का सही समय माना जाएगा। इस समय, लोग बुराई और दुखों को जलाकर शुभता और खुशहाली की कामना करते हैं। इसलिए, इस खास समय का पालन करना बहुत ज़रूरी है, ताकि शुभता और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
कब खेली जाएगी होली
अब बात करते हैं होली खेलने के समय की। होलिका दहन के बाद, रंगों की होली खेलने की तिथि भी लोगों के मन में कई सवाल खड़े करती है। इस साल, होलिका दहन के बाद होली का त्योहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि, कुछ स्थानों पर होली की तिथि 15 मार्च भी बताई जा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ जगहों पर उदयातिथि के अनुसार, चैत्र कृष्ण प्रतिपदा की तिथि 15 मार्च को मानी जा रही है, और इसी तिथि से होली की शुरुआत मानी जाती है। लेकिन अधिकतर जगहों पर 14 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं और एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाकर खुशियाँ मनाते हैं। यह दिन खासकर दोस्ती और भाईचारे का प्रतीक होता है।
होली का सांस्कृतिक महत्व
होलिका दहन और होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है, जबकि होली रंगों के माध्यम से प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। यह दिन समाज में एकता और प्रेम का प्रतीक बनता है, जहाँ सभी लोग अपनी भेदभावों को छोड़कर एक-दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद लेते हैं। साथ ही, होली का समय परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करने का भी होता है। विशेष रूप से, होलिका दहन के दिन लोग अपने घरों के आंगन में लकड़ी और पुराने कपड़े इकट्ठा करके होलिका का पुतला तैयार करते हैं और फिर उसे आग में जलाकर बुराई को नष्ट करने की कामना करते हैं। यह पुरानी मान्यता है कि होलिका दहन से सभी तरह के दुख और कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।