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बढ़िया भाव मिलने से प्याज किसानों के खिले चेहरे | जाने आगे कैसा रह सकता है प्याज का बाजार

बढ़िया भाव मिलने से प्याज किसानों के खिले चेहरे | जाने आगे कैसा रह सकता है प्याज का बाजार
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दोस्तों प्याज हमारे खाने की थाली का ऐसा हिस्सा है, जिसके बिना कई व्यंजन अधूरे लगते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में प्याज के बढ़ते दामों ने इसे आम आदमी की थाली से दूर कर दिया था। दीपावली के बाद, राजस्थान की मंडियों में अलवर की नई फसल आने से न केवल थोक बाजार में हलचल मची है, बल्कि कीमतों में भी गिरावट आई है। पिछले दो दिनों में प्याज के थोक भाव में 5 से 8 रुपये प्रति किलो तक की कमी से आम आदमी तो कुछ राहत तो मिली  है। मानसून के कारण हुई प्याज की आपूर्ति में कमी से दाम आसमान छू रहे थे। लेकिन अब, अलवर के किसानों द्वारा प्याज की नई खेप के आने से बाजार में संतुलन बनता नजर आ रहा है। यह स्थिति केवल उपभोक्ताओं के लिए नहीं, बल्कि किसानों और व्यापारियों के लिए भी फायदेमंद होगा ।

दीपावली के तुरंत बाद राजस्थान के सीकर, नागौर, और अन्य मंडियों में अलवर का नया प्याज आना शुरू हुआ। इससे पहले, प्याज के दाम लगातार बढ़ रहे थे और कुछ जगहों पर तो प्याज के भाव 50 से 80 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा पार कर चुके थे। इस नई आपूर्ति ने थोक मंडियों में प्याज की उपलब्धता को बढ़ा दिया है। इससे आज के तारीख मे प्याज के भाव स्थिर बने हुए है 

बुवाई क्षेत्र में वृद्धि

कुछ जिलों जैसे सीकर जिले में हर साल लगभग 20,000 हेक्टेयर में प्याज की बुवाई होती है, जिससे करीब 70 लाख क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है। इस बार प्याज की बढ़ती मांग और अच्छे दाम मिलने से बुवाई क्षेत्र में 8,000 से 10,000 हेक्टेयर तक की वृद्धि होने की संभावना है।

नागौर, चूरू और सीकर जैसे जिलों में प्याज की खेती का रकबा 35,000 हेक्टेयर को पार कर सकता है। व्यापारियों का कहना है कि इस बार भाव स्थिर रह सकते है अगर मौसम ने साथ दिया, तो नए साल में प्याज की फसल किसानों के लिए समृद्धि लेकर आएगी।

50 से अधिक गांव जुड़े हैं प्याज उत्पादन से

सीकर जिले में प्याज उत्पादन मुख्य आजीविका का साधन है। जिला मुख्यालय के आस-पास के 50 से अधिक गांव और ढाणियां पूरी तरह से प्याज उत्पादन पर निर्भर हैं। मीठे प्याज के लिए प्रसिद्ध इन क्षेत्रों में 50,000 से ज्यादा किसान सीधे तौर पर प्याज की खेती से जुड़े हुए हैं। इस बार किसानों को न केवल लागत मूल्य मिला, बल्कि कुछ मुनाफा भी हुआ। मिनी स्प्रिंकलर के उपयोग से सिंचाई लागत कम हुई है, जिससे बुवाई क्षेत्र में लगातार वृद्धि हो रही है।

गर्मियों में अच्छे दाम और सर्दियों में बम्पर बुवाई

दोस्तों गर्मियों का प्याज इस साल प्याज बहुत अच्छे भाव मे बिका है जिसके कारण किसानों ने प्याज की खेती की ओर रुख किया है। यही वज़ह है कि प्याज की खेती का रकबा बढ़ सकता है । इसलिए जानकार मान रहे हैं कि प्याज का रकवा बढ़ने के कारण भावो नरमी भी आ सकती है। ये बात तो भविष्य की है परंतु आज की डेट मे तो प्याज की कीमतों में तेजी से किसानों के चेहरे पर मुस्कान आई है। अगर मौसम अनुकूल रहा, तो सर्दियों की फसल भी किसानों के लिए लाभकारी होगी ऐसी हमारी कामना है

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।