Movie prime

अगर रिश्तेदारो ने आपके हिस्से की जमीन बेच दी है | तो आप कहा कर सकते है उसकी शिकायत

अगर रिश्तेदारो ने आपके हिस्से की जमीन बेच दी है | तो आप कहा कर सकते है उसकी शिकायत
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

आज के समय में बढ़ती महंगाई के चलते प्रॉपर्टी खरीदना आम आदमी के लिए आसान नहीं रह गया है। इसीलिए कई बार लोग मिलकर एक प्रॉपर्टी खरीदते हैं। जब किसी प्रॉपर्टी के मालिक एक से अधिक व्यक्ति होते हैं, तो इसे साझा मालिकाना हक या जॉइंट ओनरशिप कहा जाता है। एक साझा मालिक के पास प्रॉपर्टी पर कई अधिकार होते हैं। जैसे कि, वह प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सकता है, उसका उपयोग कर सकता है और यहां तक कि उसे बेच भी सकता है। हालांकि, प्रॉपर्टी को पूरी तरह बेचने के लिए सभी सह-मालिकों की सहमति आवश्यक होती है। इसलिए, अगर आप किसी प्रॉपर्टी को साझा मालिकाना हक में खरीदने जा रहे हैं, तो आपको इसके कानूनी पहलुओं के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। यह जानना महत्वपूर्ण है कि साझा मालिकाना हक में संपत्ति को बेचने, किराए पर देने या किसी अन्य तरह से इस्तेमाल करने के लिए सभी सह-मालिकों की सहमति आवश्यक होती है। अगर कोई एक सह-मालिक अपनी मर्जी से प्रॉपर्टी का इस्तेमाल करना चाहता है या उसे बेचना चाहता है, तो उसे अन्य सह-मालिकों की सहमति लेनी होगी। इसलिए, प्रॉपर्टी खरीदने से पहले आपको अपने वकील से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि आप सभी कानूनी पहलुओं को समझ सकें और भविष्य में किसी भी तरह की समस्या से बच सकें। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

अक्सर देखा जाता है कि जब लोगों के बीच संपत्ति संबंधी कोई विवाद होता है, तो वे सबसे पहले सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय का रुख करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों को लगता है कि सब-रजिस्ट्रार के पास शिकायत दर्ज कराने से उनके मामले का निपटारा हो जाएगा। लेकिन यह धारणा पूरी तरह से गलत है। सब-रजिस्ट्रार का मुख्य कार्य किसी भी संपत्ति संबंधी दस्तावेज़ को पंजीकृत करना होता है, न कि विवादों का निपटारा करना। वह सरकार के लिए राजस्व एकत्र करने वाला एक अधिकारी है। जब भी कोई संपत्ति बेची जाती है या किसी अन्य व्यक्ति के नाम की जाती है, तो संबंधित दस्तावेज़ों को सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत करवाना अनिवार्य होता है। इसलिए, यदि आपके बीच किसी संपत्ति को लेकर कोई विवाद है, तो आपको सब-रजिस्ट्रार के पास जाने के बजाय संबंधित न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। न्यायालय ही आपके विवाद का निपटारा करने के लिए अधिकृत है।

पुलिस थाने के लगाने पड़ सकते है चक्कर
जिस तरह से संपत्ति संबंधी अधिकारिक दस्तावेजों के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाना अनिवार्य है, उसी तरह विवाद होने पर लोग अक्सर पुलिस थाने का रुख करते हैं। पुलिस आपके साथ चलकर दूसरे पक्ष को समझाने की कोशिश तो कर सकती है, लेकिन आपके हिस्से की जमीन बेचने से रोकने का कोई अधिकार पुलिस के पास नहीं है। पुलिस का दखल तभी होता है जब विवाद हिंसक रूप ले ले और किसी तरह की शारीरिक नुकसान या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति बन जाए। अगर आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति बेचे या न बेचे, तो आपको कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेना होगा। इसके लिए आपको एक वकील से संपर्क करना चाहिए। वकील आपको आपके अधिकारों के बारे में बताएगा और कानूनी कार्रवाई करने में आपकी मदद करेगा। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

करे तो करे पर क्या करें
यदि आप किसी संपत्ति के बंटवारे को लेकर परेशान हैं, तो सिविल कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करना सबसे उचित तरीका है। आप कोर्ट जाकर एक विधिवत आवेदन दे सकते हैं जिसमें आप संपत्ति का उचित बंटवारा करने का अनुरोध करेंगे। यदि आपको यह डर है कि कोई हिस्सेदार संपत्ति को जल्दी बेच देगा, तो आप कोर्ट में एक स्टे ऑर्डर की मांग भी कर सकते हैं। स्टे ऑर्डर लगाने के लिए एक अलग आवेदन देना होगा। स्टे ऑर्डर पर आमतौर पर जल्दी सुनवाई होती है और यदि कोर्ट संतुष्ट होती है कि स्टे लगाने की आवश्यकता है, तो वह ऐसा आदेश जारी कर देगा। बंटवारे के मामले में सुनवाई में थोड़ा समय लग सकता है। कोर्ट दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाएगी और यहां तक कि सब-रजिस्ट्रार को भी पक्षकार बनाया जा सकता है। सभी तथ्यों और दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट यह फैसला करेगी कि क्या बंटवारे का मामला निपटने तक संपत्ति पर स्टे लगाया जाना चाहिए।

कोर्ट में इन नियमों का कर सकते हैं प्रयोग
किसी संपत्ति को लेकर विवाद की स्थिति में, कानूनी कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक है। सबसे पहले, आपको न्यायालय में संपत्ति के बंटवारे के लिए एक आवेदन दायर करना चाहिए। साथ ही, संपत्ति को बेचे जाने से रोकने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के तहत आदेश 39 नियम 1 और 2 के अंतर्गत एक स्थगन आवेदन भी दायर करना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्ति को आपके सहमति के बिना न बेचा जाए, आप अदालत से संपत्ति की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश मांग सकते हैं। यदि फिर भी संपत्ति बेच दी जाती है, तो आपको उस खरीदार को मुकदमे में पार्टी बनाकर अपने हिस्से का दावा प्रस्तुत करना होगा।

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।