DAP को लेकर सरकार हुई सख्त | DAP लेने जाने से पहले ये रिपोर्ट जरूर पढ़ लें
आगरा में सहकारी समितियों से डाई अमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) खरीद के लिए अब कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज अनिवार्य कर दिए गए हैं। अब किसानों को डीएपी खाद खरीदने के लिए अपनी खतौनी, आधार कार्ड, और मोबाइल नंबर प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इन तीनों साक्ष्यों के बिना किसान को डीएपी खाद नहीं दी जाएगी। यह कदम खाद वितरण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि केवल योग्य और वास्तविक किसान ही इस सुविधा का लाभ उठा सकें।
सहकारी समितियों में इस प्रक्रिया के सही और सुचारू रूप से संचालन के लिए प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। सभी समितियों पर एसडीएम, तहसीलदार सहित 100 से अधिक अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि खाद वितरण में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अनियमितता न हो। यह अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि सभी दस्तावेजों की सही तरीके से जांच हो और खाद का वितरण नियमानुसार किया जाए।
शमसाबाद ब्लॉक के कई क्षेत्र में सहकारी समिति पर डीएपी (डाई अमोनिया फॉस्फेट) वितरण में अनियमितताएं पाए जाने के बाद जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने नई व्यवस्था लागू की है। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि पहले 4 अक्टूबर की शाम को कुछ जगह से 25 टन डीएपी अवैध रूप से डंप करने का मामला सामने आया था। इस मामले में छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। डीएपी की कमी को देखते हुए प्रशासन ने 400 से अधिक अधिकारियों की ड्यूटी समितियों और बाजार में खाद विक्रेताओं की दुकानों पर तैनात की है। इनमें एडीएम, एसडीएम, और तहसीलदार जैसे अधिकारी शामिल हैं। जिलाधिकारी के अनुसार, यह व्यवस्था 30 अक्टूबर तक लागू रहेगी ताकि किसानों को सही समय पर और उचित मात्रा में डीएपी मिल सके।
जिले में इस समय रबी फसलों की बुवाई की शुरुआत हो चुकी है। जिले में कुल 103 सहकारी समितियां हैं, जिनमें 3 लाख से अधिक किसान सदस्य हैं। वर्तमान में डीएपी का मूल्य सहकारी समितियों में 1350 रुपये प्रति बैग है, जबकि खुले बाजार में इसकी कीमत 1600 से 1800 रुपये प्रति बैग तक पहुंच चुकी है। इस कीमत में अंतर के कारण किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और सहकारी समितियों पर डीएपी की मांग बढ़ गई है।
किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज शर्मा ने आरोप लगाया है कि प्रशासन इस मुद्दे पर लापरवाह बना हुआ है। उनका कहना है कि शासन से डीएपी की मांग, बिना कागजों के बिक्री और नई मांग के लिए भुगतान में हो रही लापरवाही के कारण जिले में आलू और गेहूं की बुवाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को किसानों की जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए और डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि रबी फसलों की बुवाई समय पर और सुचारू रूप से हो सके।
इस नई व्यवस्था के तहत प्रशासन का उद्देश्य यह है कि डीएपी वितरण में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके। जिलाधिकारी का मानना है कि अधिकारियों की ड्यूटी से इस प्रक्रिया की निगरानी में सुधार आएगा और किसानों को सही समय पर खाद प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे जिले में फसलों की बुवाई का समय सही रहेगा और कृषि उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने जानकारी दी है कि जिले में सहकारी समितियों पर अगले 24 घंटों के भीतर 2700 टन डीएपी पहुंचाई जाएगी। इसके अलावा, 20 अक्टूबर तक 12 हजार मीट्रिक टन डीएपी और आने की उम्मीद है। प्रशासन का प्रयास है कि सभी समितियों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध कराई जाए, ताकि किसानों को खाद की कोई कमी न हो और उनकी फसलों की बुवाई समय पर हो सके।
जिले से डीएपी की कुल 15 हजार टन की मांग भेजी गई थी, जिसमें से अब तक करीब 3000 टन डीएपी प्राप्त हो चुकी है। डीएम ने यह भी आश्वासन दिया कि प्रशासन किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है और उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करने दिया जाएगा। समितियों पर डीएपी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है, ताकि जिले के किसान रबी फसलों की बुवाई में बाधा का सामना न करें।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।