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सरसों किसानों के लिए ये रिपोर्ट देखना जरूरी है | सरसों की खेती को लेकर A To Z जानकारी

sarso ki kheti

सरसों किसानों के लिए ये रिपोर्ट देखना जरूरी है | सरसों की  खेती को लेकर A To Z जानकारी

किसान साथियो भारत में तेल तिलहन की फसलों में सरसों का मुख्य स्थान है। सोयाबीन और पाम के बाद सरसों विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा महत्तवपूर्ण तिलहन फसल है। सरसों का तेल लगभग सभी घरों में खाद्य तेल के रूप में काम आता है। सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है। सरसों की खास बात यह है कि यह सिंचित और असिंचित, दोनों ही तरह के खेतों में उगाई जा सकती है। राजस्थान के बड़े हिस्से में असिंचित भूमि में सरसों की खेती होती है। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

ज्यादा दिन नहीं हुए जब सरसों के भाव इतने आकर्षक नहीं थे। लेकिन पिछले दो सीज़न से किसानों को सरसों के काफी अच्छे भाव मिल रहे हैं जिससे किसानो का सरसों की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। घरेलू बाज़ार के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भी सरसों की मांग में तेजी आने के कारण किसानों को इस साल सरसों का काफी अच्छा भाव मिला है।  केंद्र सरकार ने इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में ठीक ठाक बढ़ोतरी की है। किसान साथियों अगर आपको सरसों की खेती करनी है या आपने सरसों लगा रखी है तो निम्नलिखित बातें आप के उत्पादन को अच्छा खासा बढ़ा सकती हैं।

जलवायु
सरसों भारत की प्रमुख तिलहन फसल में से एक है, रबी की फसल होने के कारण आमतौर पर मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर तक सरसों की बुवाई कर देनी चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरसों की फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 15 से 25 डिगी तापमान की आवश्यकता होती है। देखें आज के HR, UP, MP, RJ के सरसों, गेहू, नरमा, कपास, ग्वार, मुग, मोठ, अरंडी,मुंगफली, जीरा, इसबसोल भाव 10 Dec 2022

उपयुक्त मिट्टी
वैसे तो सरसों की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन सरसों की अच्छी उपज पाने के लिए समतल एवं अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है, लेकिन यह नमकीन या रेह वाली एवं बंजर भूमि नहीं होनी चाहिए।

खेत की तैयारी कैसे करें
सरसों की खेती में भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है, खेत को सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करनी चाहिए। इसके बाद दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटरv(Cultivator)  के माध्यम से करना चाहिए। इसकी जुताई करने के बाद खेत में नमी रखने के लिए व खेत समतल करने के लिए पाटा (मेज) लगाना अति आवश्यक हैं। पाटा लगाने से सिंचाई करने में समय व पानी दोनों की बचत होती है। देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 10 Dec 2022

सरसों की बुवाई के लिए बीज की मात्रा
जिन खेतों में सिंचाई के ठीक ठाक साधन उपलब्ध हो वहां सरसों की फसल की बुवाई के लिए 2 से 2.5  किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करना चाहिए। जिन खेतों में सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध ना हो वहां सरसों की बीज की मात्रा अलग हो सकती है। आपकी जानकारी बता दें कि बीज की मात्रा फसल की किस्म के आधार पर निर्भर करती है। यदि फसल की अवधि अधिक दिनों की है तो बीज की मात्रा कम लगेगी और यदि फसल कम अवधि की है तो बीज की मात्रा ज्यादा लगेगी।

सरसों की उन्नत किस्में
सरसों की खेती के लिए जमीन के हिसाब से उन्नत किस्मों की जानकारी होना भी आवश्यक है, जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकें। सरसों की कई तरह की किस्में सिंचित क्षेत्र व असिंचित क्षेत्र के लिए अलग-अलग हैं

(a) आर.एच (RH) 30, सिंचित क्षेत्र व असिंचित क्षेत्र
(b) टी 59 (वरूणा) : यह किस्म उन क्षेत्रों में अच्छी पैदावार प्रदान करती हैं जहां सिंचाई की अच्छी व्यवस्था नहीं हैं। इसकी उपज असिंचित क्षेत्र में 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसके दाने में तेल की मात्रा लगभग 36 प्रतिशत होती है।
(c) पूसा बोल्ड : आशीर्वाद (आर.के), यह किस्म देर से बुवाई के लिए (25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक) उपयुक्त है।
(d) एन.आर.सी. एच.बी. (NRC HB) 101 : ये किस्म उन क्षेत्रों में अच्छी पैदावार प्रदान करती हैं जहां सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होती हैं। ये किस्म 8 से 9 क्विंटल प्रति  एकड़ तक पैदावार देती हैं।

सरसों की फसल में सिंचाई
सरसों की फसल में पहली सिंचाई 25 से 30 दिन पर  तथा दूसरी सिंचाई फलियाें में दाने भरने की अवस्था में करनी चाहिए, यदि जाड़े में वर्षा हो जाती है, तो दूसरी सिंचाई न भी करें तो भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है। किसान साथियो को ध्यान रहे कि सरसों में फूल आने के समय खेत की सिंचाई नहीं करनी चाहिए।

खाद व उर्वरक  
जिन खेतों में सिंचाई के उपयुक्त साधन उपलब्ध हो वहां के लिए 6 से 12 टन सड़े हुए गोबर की खाद, 160 से 170 किलोग्राम यूरिया, 250 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट ,50 किलोग्राम म्यूरेट व पोटाश एवम 200 किलोग्राम जिप्सम बुवाई से पूर्व खेत में मिलाना उपयुक्त होता है। यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के समय एंव बची हुई आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत में मिला दें। जिन खेतों में सिंचाई के उपयुक्त साधन उपलब्ध ना हो वहां के लिए वर्षा से पुर्व 4 से 5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद, 85 से 90 किलोग्राम यूरिया, 125 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 33 किलोग्राम म्यूरेट व पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई करते समय खेत में डाल दें। देखें आज के गेहूं/कनक के लाइव रेट wheat kanak gehu Live Rate Today 10 Dec 2022

खरपतवार का नियंत्रण
सरसों की खेती में बुवाई के 15 से 20 दिन बाद खेत से घने पौधों को निकाल कर उनकी आपसी दूरी 15 सेंटीमीटर कर देनी चाहिए, खरपतवार खत्म करने के लिए सरसों के खेत में निराई व गुड़ाई सिंचाई करने से पहले  करनी चाहिए। खरपतवार खत्म ना होने की स्थिति में दूसरी सिंचाई के बाद भी निराई व गुड़ाई करना चाहिए। रासायनिक विधि से खरपतवार का नियंत्रण करने के लिए बुवाई के तुरंत बाद 2 से 3 दिन के अंदर पेंडीमेथालीन 30 ईसी रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

फसल की कटाई और भंडारण
सरसों की फसल में जब 75% फलियां सुनहरे रंग की हो जाए, तब फसल को मशीन से या हाथ से काटकर, सुखाकर या मड़ाई करके दाने को अलग कर लेना चाहिए, सरसों के दाने जब अच्छी तरह से सूख जाएं तभी उनका भंडारण करना चाहिये। Aaj Ka Narma Ka bhav नरमा और कपास के ताजा मंडी भाव Narma Price Today 10 December 2022

कितना होता है उत्पादन
जिन क्षेत्रों में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है वहां इसकी पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है तथा जिन क्षेत्रों में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हैं वहां 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक की उपज प्राप्त हो सकती हैं।

सरसों का बाज़ार भाव व कमाई
चालू सीज़न के लिए केंद्र सरकार ने इस साल सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 150 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि कर 5200 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तय किया है। जबकि पिछले वर्ष सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5050 रुपये था। सरसों की बढ़ती मांग और उपलब्धता में कमी के कारण इस बार खुले बाज़ारों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी ज्यादा भाव मिल रहे हैं। खुले बाज़ारों में सरसों 6500 से 7000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। किसान अपनी सरसों की फसल देश की प्रमुख मंडियों में जहां भाव अधिक हो, वहां अपनी फसल बेच सकते हैं। मंडी भाव टुडे पर हमारी कोशिश है कि हम आपकों सही समय पर सही भाव की जानकारी देते रहे। बता दें कि इस साल सरसों की फसल ने किसानों को अच्छे दाम दिलाए हैं। किसानों को आगे भी सरसों के अच्छे भाव मिलने की उम्मीद है।