सिंचाई उपकरण पर मिल रही है 90% की सब्सिडी | जाने क्या है पूरी प्रक्रिया इस रिपोर्ट में
किसान साथियो कन्नौज के किसानों के लिए जिला उद्यान विभाग ने एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई योजना का लाभ उठाकर 80 से 90% तक का अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। यह योजना किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है। सबसे पहले, यह पानी की बचत में मदद करेगा क्योंकि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे पानी का बर्बाद होना कम होता है। दूसरा, इससे फसल की पैदावार बढ़ेगी क्योंकि पौधों को पर्याप्त पानी मिलने से उनकी वृद्धि अच्छी होती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। तीसरा, यह योजना किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी क्योंकि अधिक उत्पादन होने से उनकी आय में वृद्धि होगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
क्या होती है ड्रिप सिंचाई
ड्रिप सिंचाई एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों को सीधे उनकी जड़ों के पास बूंद-बूंद करके पानी और पोषक तत्व दिए जाते हैं। इसके लिए जमीन के नीचे पाइपों का एक नेटवर्क बिछाया जाता है, जिनमें छोटे-छोटे छेद होते हैं। ये छेद पौधों की जड़ों के ठीक ऊपर स्थित होते हैं और इनसे पानी धीरे-धीरे टपकता रहता है। ड्रिप सिंचाई के कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह पानी और पोषक तत्वों का बहुत कम उपयोग करते हुए अधिकतम उत्पादन देती है। चूंकि पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, इसलिए पानी का वाष्पीकरण कम होता है और मिट्टी में नमी बनी रहती है। दूसरा, यह पौधों को रोगों से बचाने में मदद करती है क्योंकि मिट्टी हमेशा गीली नहीं रहती, जिससे फंगस और बैक्टीरिया के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है। तीसरा, ड्रिप सिंचाई से खेतों में पानी की निकासी की समस्या कम होती है और मिट्टी का कटाव भी कम होता है। उबड़-खाबड़ जमीनों पर ड्रिप सिंचाई के लिए प्रेशर कॉम्पेनसेटिंग ड्रिपर्स का उपयोग किया जाता है। ये ड्रिपर्स सभी पौधों को समान मात्रा में पानी देते हैं, भले ही पाइप में पानी का दबाव कम या ज्यादा हो।
क्या होती है स्प्रिंकलर सिंचाई
मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली एक आधुनिक कृषि तकनीक है जो फसलों को पानी देने का एक प्रभावी तरीका है। इस प्रणाली में जमीन के अंदर पाइपें बिछाई जाती हैं, जिनके ऊपर छिद्र वाले सिर लगे होते हैं। ये सिर पानी को बारीक बूंदों के रूप में छिड़कते हैं, जिससे पूरी भूमि को पानी मिलता है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक वर्षा के समान होती है। मिनी स्प्रिंकलर सिंचाई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पानी का उपयोग बहुत ही कुशलता से होता है। पारंपरिक सिंचाई विधियों की तुलना में इस प्रणाली में लगभग 80-85% पानी की बचत होती है। इसके अलावा, यह प्रणाली काफी विश्वसनीय और टिकाऊ होती है। यह विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए उपयुक्त है और खेतों में पानी के वितरण को समान रूप से सुनिश्चित करती है।
कितनी मिलेगी सब्सिडी
सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक नई सिंचाई प्रणाली आधुनिकीकरण योजना शुरू की है। इस योजना के तहत लघु और सीमांत किसानों को ड्रिप, मिनी और माइको स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने पर लागत का 90 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा। वहीं, अन्य किसानों को इसी उपकरण के लिए 80 प्रतिशत तक का अनुदान मिलेगा। अगर कोई किसान पोर्टेबल, सेमी परमानेंट या रेनगन स्प्रिंकलर लगाना चाहता है तो उसे लघु और सीमांत किसान होने की स्थिति में लागत का 75 प्रतिशत और अन्य किसान होने की स्थिति में 65 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।
एक बार में कितनी जगह में होगी सिंचाई
किसानों के लिए सिंचाई हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। खेतों में पानी पहुंचाने के लिए उन्हें काफी मेहनत और समय देना पड़ता था। लेकिन अब ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली ने इस चुनौती को आसान बना दिया है। लगभग 50 हजार रुपये की लागत से किसान एक ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम खरीद सकते हैं, जिससे लगभग एक एकड़ खेत की सिंचाई आसानी से हो सकती है। अगर किसान थोड़ा अधिक निवेश करते हैं तो वे ऐसी मशीनें खरीद सकते हैं जो दो एकड़ तक के क्षेत्र को एक बार में सिंचित कर सकती हैं। इन सिस्टमों के इस्तेमाल से किसानों को पानी देने के लिए खेतों में दौड़ने की जरूरत नहीं होती है और उनकी मेहनत भी बचती है। साथ ही, ये सिस्टम पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाते हैं, जिससे पानी का बर्बाद होना कम होता है और फसल को पर्याप्त पानी मिलता है। इस प्रकार, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई न केवल किसानों के समय और मेहनत को बचाती है बल्कि फसल उत्पादन को भी बढ़ाती है। यह प्रणाली पानी के संरक्षण में भी मदद करती है, जो कि आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है।
क्या बोले अधिकारी
जिला उद्यान अधिकारी सीपी अवस्थी ने किसानों को एक सुनहरा अवसर प्रदान करने वाली ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई योजना के बारे में जानकारी दी है। इस योजना के अंतर्गत किसान 80 से 90% तक का अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली पौधों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पानी प्रदान करने का एक प्रभावी तरीका है। इस पद्धति से पौधे को न तो कम पानी मिलता है और न ही अधिक। इससे पौधों की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। पारंपरिक सिंचाई विधियों में अक्सर पानी की बर्बादी होती है और पौधों की जड़ों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे पानी का अधिकतम उपयोग होता है। किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए कृषि कार्यालय में जाकर उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।