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क्या और गिरेंगे बासमती के भाव | जाने बासमती के बाजार की इस सटीक रिपोर्ट में

क्या और गिरेंगे बासमती के भाव | जाने बासमती के बाजार की इस सटीक रिपोर्ट में
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दोस्तो, धान के किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। पिछले साल की तरह इस साल भी बासमती के बाजार को एक के बाद एक बुरी खबर का सामना पड़ रहा है। हालांकि इस साल सरकार ने बासमती के किसानों को सपोर्ट करने के लिए काफी नीतिगत सुधार किए हैं, लेकिन अब यह डर बनने लगा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे तनाव के कारण सरकार द्वारा किए गए सुधारों पर पानी न फिर जाए। दोस्तो, जिस दिन ईरान ने इजरायल पर मिसाइल से हमला किया था, उसी दिन मंडी भाव टुडे ने अपने वीडियो में बता दिया था कि यह धान के किसानों के लिए अच्छी खबर नहीं है। हमले के एक-दो दिन तक तो बाजार तेज हुआ, लेकिन अब बाजार में खतरनाक कमजोरी दिखने लगी है। दोस्तो, आज इस रिपोर्ट में हम बासमती के बाजार का बारीकी से विश्लेषण करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि बासमती के भाव, जो पहले से ही 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक कमजोर चल रहे हैं, क्या इसमें और भी गिरावट हो सकती है या फिर बाजार सामान्य हो जाएगा। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

ईरान और इजरायल की लड़ाई से होगा नुकसान
दोस्तो, इसमें कोई शक नहीं कि ईरान और इजरायल की लड़ाई के चलते बासमती के बाजार को नुकसान होगा। ईरान और इराक़ बासमती चावल के बड़े आयातक हैं और यहां पर फैल रही अशांति हमारे निर्यात को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकती है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इजरायल-ईरान युद्ध ने बासमती चावल उद्योग को संकट में डाल दिया है। ईरान के हमले के बाद अब ईरान पर इजरायल के संभावित जवाबी हमले की आशंका और अमेरिका द्वारा दी गई ईरानी ऑयल फील्ड्स पर हमले की चेतावनी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव और अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसका सीधा असर पश्चिम एशिया में भारत के आर्थिक हितों पर पड़ना शुरू भी हो गया है। एक तरफ जहां कच्चा पेट्रोलियम तेल और गैस के महंगा होने से जहाजों के किराए बढ़ने की संभावना बन गई है, वहीं बीमा कंपनियों ने ईरान जाने वाले कन्साइनमेंट का बीमा करने से मना कर दिया है। इन्हीं सब कारणों के चलते भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा बाजार, ईरान में अनिश्चितता बढ़ने से, एक्सपोर्टर तनाव में हैं।

मंडियों में दिखने लगा है असर
दोस्तों, मंडियों में अभी ईरान और इजरायल की लड़ाई का असर दिखने लगा है। एक तरफ जहां बासमती धान के भाव पिछले दो दिनों में ₹200 तक गिर गए हैं, वहीं खरीदार भी मंडियों में माल लेने के लिए कम आ रहे हैं। हालांकि निर्यात मांग में कोई कमी नहीं है, लेकिन निर्यातकों को डर सताने लगा है कि माल जाने के बाद उनका पैसा फंस सकता है। इसलिए मिलर्स की धान की खरीद डिमांड एकदम से घट गई है। मंडी भाव टुडे ने मंडियों में जाकर व्यापारियों से बातचीत के दौरान यह पता लगाया कि व्यापारी भारत सरकार से निर्यात का पैसा मिलने की गारंटी चाह रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार यह आश्वासन दिलाए कि जितना चावल ईरान और इराक को भेजा जाएगा, उसकी पेमेंट समय से हो जाएगी।

चावल के भाव हुए कमजोर
बासमती चावल के भाव पिछले दो दिनों में ₹100 तक कमजोर हुए हैं। बासमती 1509 चावल, जिसका रेट पिछले कुछ दिनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा था, अभी लड़ाई के चलते यह ₹100 नीचे फिसल गया है। शनिवार को बासमती 1509 सेला चावल का रेट 5650 से गिरकर 5550 प्रति क्विंटल रह गया। हालांकि, 1121, 1718, 1401 और पूसा चावल के भाव फिलहाल स्थिर चल रहे हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

मंडियों से क्या मिल रही है रिपोर्ट
शनिवार के बाजार को देखने पर धान 1509 के 7 टॉप भाव इस प्रकार से रहे: नरेला मंडी धान 1509 हाथ भाव ₹3100 आवक 80000 बैग्स, अलीगढ़ मंडी धान 1509 हाथ भाव ₹2940 आवक 50000 बैग्स, पातड़ां मंडी पंजाब धान 1509 कंबाइन भाव ₹2945 आवक 80000 बैग्स, धान खैर मंडी धान 1509 हाथ भाव ₹2912 आवक 55000 बैग्स, गढ़मुक्तेश्वर मंडी धान 1509 हाथ भाव ₹2901 आवक 40500 बैग्स, खुर्जा मंडी धान 1509 हाथ भाव ₹2901 आवक 8000 बैग्स, खनौरी मंडी धान 1509 कंबाइन भाव ₹2935 आवक 50000 बैग्स का रहा |

क्या और गिरेंगे बासमती के भाव?
दोस्तों, मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि बासमती धान के भाव में और गिरावट होगी या नहीं। साथियों, इस समय बासमती धान के भाव पहले से ही काफी नीचे चल रहे हैं। बहुत सारी मंडियों में 1509 कंबाइन के टॉप माल का रेट ही 2700 के आसपास मिल रहा है, तो मीडियम माल पहले से ही गैर बासमती धान के बराबर बिक रहा है ही। गैर बासमती धान का सरकारी रेट 2320 रुपये है। बासमती धान गैर बासमती के भाव से नीचे जाएगा, ऐसा नहीं लगता। पिछले साल अच्छा निर्यात हुआ है। MEP पर को हटा लिया है, जिसका असर मंडियों से गायब हो चुका है। चाहे लड़ाई लंबी चले या ना चले, ईरान और इराक़ के लोग चावल तो खाएंगे ही, इसलिए कुछ न कुछ समाधान जरूर निकलेगा। पिछले साल भी दिक्कतें कम नहीं थीं, फिर भी बासमती के निर्यात ने सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं। इस साल भी बासमती की डिमांड ठीक-ठाक है। इसे देखते हुए यह तो कहा जा सकता है कि अगर परिस्थितियां सामान्य रहती हैं, तो धान के भाव में और गिरावट नहीं होगी। बुरी से बुरी परिस्थिति में भी धान के भाव ज्यादा से ज्यादा 200 रुपये और कमजोर होंगे। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।