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चावल के निर्यात को लेकर आयी नयी अपडेट | जाने कैसा हुआ है 2024 में निर्यात

चावल के निर्यात को लेकर आयी नयी अपडेट | जाने कैसा हुआ है 2024 में निर्यात
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किसान साथियों भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक और वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए जाना जाता है। चावल भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल घरेलू खाद्य सुरक्षा का आधार है बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी बड़ी भूमिका निभाता है। हालांकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में चावल के निर्यात में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट का प्रमुख कारण गैर-बासमती सफेद चावल पर लगाए गए प्रतिबंध को माना जा रहा है। इस पोस्ट में हम चावल के निर्यात में आई इस गिरावट उसके कारणों और आने वाले महीनों में निर्यात के संभावित सुधार पर विस्तृत चर्चा करेंगे। साथ ही कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर भारत के चावल निर्यात पर गहराई से नजर डालेंगे।

इस सीजन कितना हुआ चावल का निर्यात
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों के दौरान भारत से कुल 90,12,568 टन चावल का निर्यात हुआ। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि (अप्रैल-अक्टूबर 2023) में दर्ज 99,26,204 टन के मुकाबले 9,13,636 टन कम है। प्रतिशत के हिसाब से देखें तो यह गिरावट लगभग 10 प्रतिशत है। गिरावट के ये आंकड़े चावल निर्यात में आई बड़ी चुनौती को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं। ऐसे समय में जब भारत वैश्विक चावल व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा था यह कमी अंतरराष्ट्रीय बाजार में देश की स्थिति पर प्रभाव डाल सकती थी। नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव चाइये तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

चावल में गिरावट का प्रमुख कारण
चावल निर्यात में गिरावट का सबसे बड़ा कारण गैर-बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध है। यह प्रतिबंध जुलाई 2023 में लगाया गया था जो अगस्त 2024 तक लागू रहा। इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में चावल की उपलब्धता सुनिश्चित करना और कीमतों को नियंत्रण में रखना था। हालांकि इस प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति प्रभावित हुई। अप्रैल-जून 2023 की तिमाही में प्रतिबंध लागू नहीं था जिसके कारण उस दौरान सफेद चावल का शिपमेंट जारी रहा। लेकिन प्रतिबंध के लागू होने के बाद निर्यात में गिरावट देखी गई। सितंबर 2024 में सरकार ने यह प्रतिबंध हटा लिया जिसके बाद चावल के निर्यात में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिलने लगे हैं।

बासमती और गैर-बासमती चावल: अलग-अलग प्रदर्शन
भारत के चावल निर्यात में दो प्रमुख श्रेणियां शामिल हैं: बासमती चावल और गैर-बासमती चावल। इन दोनों श्रेणियों ने चालू वित्त वर्ष में अलग-अलग प्रदर्शन किया।

1. बासमती चावल का प्रदर्शन :- बासमती चावल ने निर्यात के मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन किया। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीनों में बासमती चावल का निर्यात 26,08,444 टन से 24.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 32,43,611 टन पर पहुंच गया। यह बढ़ोतरी भारतीय चावल निर्यातकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी उच्च गुणवत्ता और स्वाद के लिए मशहूर है।

2. गैर-बासमती चावल का प्रदर्शन :- इसके विपरीत गैर-बासमती चावल का निर्यात घटकर 57,68,957 टन पर आ गया जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 73,17,760 टन था। यह 15,48,803 टन की कमी को दर्शाता है। इस गिरावट का प्रमुख कारण सफेद चावल पर प्रतिबंध और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी को माना जा सकता है।

सरकार के नीतिगत कदम और उनके प्रभाव
भारतीय चावल निर्यात को प्रभावित करने वाले ये आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि सरकार की नीतियां अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। चावल निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध और शुल्क ने घरेलू बाजार में स्थिरता बनाए रखने में मदद की लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति को प्रभावित किया। सितंबर 2024 में प्रतिबंध हटाने और नवंबर 2024 में सेला चावल पर 20 प्रतिशत शुल्क समाप्त करने के निर्णय ने निर्यातकों को राहत दी है। इन नीतिगत सुधारों से आने वाले महीनों में चावल के निर्यात में तेजी देखने को मिल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति
भारत ने पिछले कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय चावल बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखी है। 2023-24 में भारत ने वैश्विक चावल व्यापार में लगभग 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ टॉप स्थान हासिल किया। हालांकि चालू वित्त वर्ष की गिरावट ने इस स्थिति को कुछ हद तक प्रभावित किया है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा जलवायु परिवर्तन और नीतिगत फैसले जैसे कारक भी चावल निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।