सरसों के बाजार में फिर से उठी तेजी की लहर क्या 7000 करेगी पार
किसान साथियों सरसों के बाजार में कई दिनों से अजीब सा सन्नाटा देखने को मिल रहा था। पिछले कुछ हफ्तों से जो हलचल, उतार-चढ़ाव और उम्मीदों की गर्मी थी, वो ठन्डी पड़ने लगी थी। खासतौर पर युद्धविराम की खबरों के बाद तेल मिलों की खरीद में जो सुस्ती आयी थी अब उसका उसका असर सरसों के भाव पर से हटने लगा है और बाजार फिर से तेजी के मोड में आ गए हैं। जयपुर मंडी की बात करें तो यहाँ 42% कंडीशन वाली सरसों ने फिर से 6900 का भाव छू लिया है। ये भी सच है कि हर बार जब बाजार रुकता है, तो कोई न कोई बड़ा मोड़ आने वाला होता है। फिलहाल किसान अपना माल रोके हुए हैं, स्टॉकिस्ट धीरे-धीरे खरीद कर रहे हैं, और मंडियों में आवक भी घटी है। दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर भी तेल बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। मलेशिया में पाम आज थोड़ा सुधरे जरूर हैं लेकिन ओवर ऑल बाजार नर्म दिख रहे हैं, जबकि शिकागो में सोया तेल में थोड़ी मजबूती देखी गई है। लेकिन समग्र रूप से कहें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की अधिक उपलब्धता ने सरसों के भावों पर दबाव बना रखा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरसों का बाजार इस दबाव को झेल पाएगा? चलिए इन सभी बातों को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में।
तेल मिलों की सीमित खरीद
बाजार की स्थिति को देखते हुए तेल मिलें इन दिनों थोड़ा संभल-संभल कर काम कर रही हैं। जून महीने में जब पाम ऑयल और सोया ऑयल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरम हुईं, तो लगा कि शायद सरसों भी पीछे हटेगा। ऐसे में मिलों ने खरीदारी धीमी कर दी। लेकिन किसान ने नीचे भाव पर माल नहीं बेचा और होल्ड कर लिया। यही कारण है कि मंगलवार को जो आवक 4.75 लाख बोरी थी, वह बुधवार को घटकर 3.85 लाख बोरी रह गई। आज भाव थोड़े बढ़िया है इसलिए आवक भी 4.5 लाख बोरी है। सलोनी प्लांट ने आज सरसों के भाव में ₹25 की बढ़ोतरी करके 7475 रुपए के हिसाब से खरीद की है यह भाव सीजन तो भाव से मात्र ₹25 कम है । यानी किसान कह रहे हैं कि "जब दाम बढ़ाओगे, तभी माल मिलेगा।" ये एक तरह से मंडी में किसानों की चुपचाप हड़ताल जैसी स्थिति है। दूसरी ओर किसानों को लग रहा है कि आगामी त्योहारी सीजन में तेल की मांग बढ़ने पर सरसों के कीमतों में तेजी आनी तय है। इसलिए उन्होंने स्टॉक रोक रखा है।
वैश्विक बाजार का असर
अब एक बात समझना बहुत जरूरी है कि भारत में सरसों का भाव सिर्फ जयपुर या भरतपुर की मंडियों से तय नहीं होता, बल्कि कुआलालंपुर (मलेशिया) और शिकागो (USA) के बाजारों से भी इसका गहरा नाता है। क्योंकि मलेशिया में पाम ऑयल और अमेरिका में सोया ऑयल की जो चाल होती है, वही भारत के खाद्य तेल बाजार का मूड सेट करती है। पिछले तीन दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में नरमी देखी जा रही थी लेकिन आज थोड़ा सेंटिमेंट सुधरा है । मलेशिया के CPO वायदा (Futures) में 1.19% की तेजी आई और रेट 4012 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुआ। शिकागो में सोया ऑयल के दामों में मामूली तेजी तो आई, लेकिन समग्र रूप से देखा जाए तो दुनिया में खाद्य तेल की भरपूर उपलब्धता है। इसलिए वहाँ से कोई बहुत बड़ी तेजी का संकेत नहीं मिलता।
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स्टॉकिस्टों की मौन भूमिका
अब जब किसान माल नहीं ला रहे, और मिलें खरीद नहीं रही तो ऐसे में असली खिलाड़ी बनते हैं स्टॉकिस्ट। ये वो व्यापारी होते हैं जो बाजार की नब्ज़ को बहुत बारीकी से पकड़ते हैं। जैसे ही भाव थोड़ा नीचे आया, स्टॉकिस्टों ने धीरे-धीरे माल उठाना शुरू कर दिया। न ज़्यादा दिखावा, न अचानक भारी उठाव — बस हर दिन थोड़ा-थोड़ा माल जमा करना, ताकि आने वाले दिनों में जब भाव ऊपर जाएं, तो फायदा उठाया जा सके। यानी स्टॉकिस्टों के लिए ये “खरीद का सही समय” है। हालांकि, सरकार की ओर से स्टॉक लिमिट जैसी पॉलिसी आती है तो ये उनकी रणनीति पर असर डाल सकती है, लेकिन फिलहाल वे पूरे कॉन्फिडेंस में हैं।
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मुख्य मंडियों के ताजा भाव
अगर हम आज के सरसों के मंडी भावों की बात करें तो जयपुर मंडी में ₹6900, भरतपुर मंडी में ₹6521, दिल्ली मंडी में ₹6700, चरखी दादरी मंडी में ₹6675, अलवर मंडी में ₹6600, बरवाला मंडी में ₹6350, हिसार मंडी में ₹6375, कोटा (गोयल) मंडी में ₹6700, मुरैना मंडी में ₹6475, ग्वालियर मंडी में ₹6425, खैरथल मंडी में ₹6530, टोंक मंडी में ₹6480, निवाई मंडी में ₹6500, और सिवानी मंडी में ₹6350 रुपए प्रति क्विंटल के रहे। इन मंडियों के अलग-अलग ट्रेंड से ये साफ है कि बाजार में एक जैसी स्थिति नहीं है, कुछ जगह तेजी, कहीं स्थिरता, तो कहीं-कहीं मामूली कमजोरी।
आगे का अनुमान
साथियों बाजार जानकारों का कहना है कि वैश्विक बाजार में पाम और सोया जैसे खाद्य तेलों की उपलब्धता अधिक होने के कारण इनके भावों में और नरमी आ सकती है। लेकिन इसके विपरीत सरसों तेल की मांग बनी हुई है, जिससे बाजार को समर्थन मिल रहा है। तेल की बात करें तो पिछले दो दिनों में टोंक-निवाई लाइन पर सरसों तेल में ₹1.5 से 2 रुपये प्रति किलो की तेजी दर्ज की गई है । कच्ची घानी जयपुर में ₹1468 से बढ़ते हुए अब ₹1500 के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, हालांकि यह तेजी धीरे-धीरे देखने को मिलेगी। जिन साथियों को रिस्क नहीं लेना है वे निकट अवधि में थोड़ा बहुत माल निकाल सकते हैं। जो साथी लंबी अवधि तक रुक सकते हैं वे 200 रुपए तक की और तेजी का इंतजार कर सकते हैं। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए सरसों में आगे तेजी के संकेत तो हैं लेकिन इसकी गति सीमित रह सकती है। क्योंकि जो बात हर जगह कॉमन है वो है कि "अभी किसान माल बेचने के मूड में नहीं हैं।" और इसी बात ने बाजार को एक स्टेबल, लेकिन संभावनाओं से भरे मोड़ पर खड़ा कर दिया है। बाजार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखें और व्यापार अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।