सरसों के किसान और व्यापारी सरसों की यह रिपोर्ट जरूर देख लें। मासिक सरसों बाजार रिपोर्ट
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों पिछले 1 महीने से सरसों के भाव एक सीमित में दायरे में आकर फंस गए हैं। सरसों की लगातार कमजोर आवक भाव को नीचे नहीं जाने दे रही और अन्य तेलों के भाव में कमजोरी रहने के कारण भाव उपर भी नहीं जा पा रहे। आज की रिपोर्ट में हम आपके सामने पिछले एक महीने में तेल तिलहन के बाजार में हुई हलचलों का लेखा-जोखा रखने वाले हैं। हमारे बहुत सारे किसान साथी और व्यापारी भाई हैं जो इस समय सरसों को स्टॉक करके बैठे हुए हैं। इस रिपोर्ट से उन्हें काफी मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है।
सरसों बाजार में क्या है माहौल
साथियो अप्रैल माह में सरकारी एजेंसियों ने सरसों की सरकारी खऱीद में काफी उत्साह दिखाया। सरकार ने किसानों से करीब 9 लाख टन सरसों की खरीद की, जबकि मार्च में केवल 50 हजार टन की खरीद हुई थी। इस खरीदारी के परिणामस्वरूप प्रमुख उत्पादक मंडियों में सरसों के दाम में निचले स्तर से 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक का सुधार दर्ज किया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 18 मार्च को सरसों के भाव ने निचला स्तर 6025 का बनाया था जो कि कमजोर आवक रहने और सरकारी खऱीद का सपोर्ट मिलने के कारण 2 अप्रैल तक आते-आते 6400 रुपये हो गया था । इसी दौरान 42% कंडीशन सरसों के दाम दिल्ली में ₹6200 प्रति क्विंटल तक पहुँच गए थे। हाल फ़िलहाल के भाव को देखें तो इस समय जयपुर में सरसों के भाव 6275 भरतपुर में 5950 दिल्ली में 6100 चरखी दादरी में 6100 हिसार में 5700 बरवाला में 5750 मुरैना में 6065 ग्वालियर में 6100 खैरथल में 5925 निवाई में 6000 टोंक मंडी में 5980 सिवानी में 5900 बीकानेर में 5550 और गंगापुर सिटी में सरसों के भाव 5975 के चल रहे हैं।
सरसों तेल में बदलाव
भारत मे ओलिन अब सबसे सस्ता तेल बन गया है। ओलिन सरसों तेल से 10 रुपए किलो सस्ता हुआ है। मगर नोर्थ और ईस्ट में ओलिन की शॉर्टेज से कच्ची घानी तेल की डिमाण्ड निकल रही है, उस अनुमान से सरसों तेल ने 132 रुपए पर वापसी की है । पिछले डेढ़ महीने में सरसों की कीमतों में थोड़े बहुत हुए सुधार के कारण सरसों तेल का दाम भी थोड़ा सुधरा है। दिल्ली में एक्सपेलर तेल ₹1290 प्रति 10 किलो तक बढ़ा, वहीं मुरैना और कोटा में भी ₹100 तक की वृद्धि देखी गई। कच्ची घानी तेल के दाम में ₹10-15 का सुधार आया, हालांकि गंगा नगर आगरा में इसके मूल्य में ₹10 की गिरावट आई।
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आवक में गिरावट और बढ़ती प्लान्ट खऱीद
सरसों की आवक में प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गिरावट देखी गई है। सरसों की आवक ने मार्च महीने की 24 तारीख को 1550000 बोरी का स्तर दिखाया था उसके बाद मई महीना आते-आते आवक 4 लाख बोरी तक आ चुकी है। मार्च महीने की औसत आवक सवा 10 लाख बोरी की रही जबकि अप्रैल महीने में यह 7 लाख बोरी से कम रही। पिछली कुछ आवक को देखें तो जहाँ 26 अप्रैल को 5.50 लाख बोरी, 28 अप्रैल को 6.25 लाख बोरी और 29 अप्रैल को 5.25 लाख बोरी आवक हुई। वहीँ, 30 अप्रैल को आवक 4.25 लाख बोरी, 1 मई को 3.50 लाख बोरी, 2 मई को 4.50 और 3 मई को 4 लाख बोरी की आवक हुई। आवक घटने के कारण तेल प्लांट को पर्याप्त सरसों नहीं मिल रही है इसीलिए वे भाव को बढ़कर खरीद कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सलोनी प्लांट पर सरसों का रेट बढ़कर 6975 पर पहुंच गया है। जयपुर में उपरी स्तरों से भले ही कमजोरी आई हो लेकिन प्लांट पर खरीद बनी हुई है।
वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव
पिछले 1 महीने में विदेशी बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है । पाम तेल के भाव जो कि मलेशिया में 4600 रिंगित प्रति टन पर चल रहे थे वह आज की डेट में 3880 पर आ गए हैं । हालांकि चीन और अमेरिका के बीच टेरिफ वॉर के चलते सोया तेल में गिरावट नहीं हुई है लेकिन अन्य सभी तेलों में गिरावट का माहौल देखने को मिला है । वैश्विक स्तर पर ब्राजील और अर्जेंटीना से सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और सोयाबीन के वायदा मूल्य में नरमी आई है। इन कारकों के कारण पिछले एक दो हफ्तों से घरेलू बाजार में तिलहन-तेल के दाम में नरमी देखी जा रही है।
सरसों का स्टॉक और क्रशिंग
मार्च-अप्रैल 2025 में देशभर में कुल 39 लाख टन सरसों की आवक हुई, जिसमें से 29 लाख टन की आवक खुली मंडियों में और 10 लाख टन की आवक सरकारी क्रय केन्द्रों पर हुई। इस दौरान, 24.50 लाख टन सरसों की क्रशिंग भी हुई। इसके परिणामस्वरूप, 1 मई 2025 को किसानों के पास 71.25 लाख टन, स्टॉकिस्टों और मिलर्स के पास 6.50 लाख टन और सरकारी एजेंसियों के पास 16 लाख टन सरसों का स्टॉक उपलब्ध था।
सरकारी खरीद और स्टॉक की स्थिति
सरकारी एजेंसियां जैसे नैफेड और हैफेड के पास मार्च के आरंभ में 7 लाख टन सरसों का स्टॉक रखा था और अप्रैल में 9.50 लाख टन की नई खरीद की, जिससे कुल स्टॉक 16.50 लाख टन पर पहुंच गया।
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आवक में गिरावट के बावजूद कीमतों में स्थिरता
मंडी में आवक में गिरावट आने के बावजूद कीमतों में कोई बड़ी बढ़ोतरी नहीं देखी गई। अन्य प्रतिस्पर्धी तेलों के भाव में गिरावट होने का दबाव सरसों पर बन रहा है। इस स्थिति को देखते हुए, सरसों की क्रशिंग डिमांड काफी कमजोर नजर आई है, खास तौर पर पाम तेल के भाव घटने के कारण पाम तेल की डिमांड कम हुई है। इसलिए भाव में सम्भावित तेजी नहीं बन रही और सरसों को 6400 के स्तर पर भारी रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है।
खल के बाजार में स्थिति
इस सप्ताह के दौरान सरसों खल के बाजार में भी कुछ बदलाव देखे गए। सरसों खल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली, चरखी दादरी, मुरैना और कोटा मंडियों में खल के दाम ₹25 से ₹50 प्रति क्विंटल तक बढ़े हैं। हालांकि, पूरे देश में खल की डिमांड में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन अन्य तिलहन के मुकाबले सरसों खल की मांग कमजोर बनी रही है। इसके साथ ही, पशु आहार में DDGS (डिस्टिलर ड्राय ग्रेनेल्स) के बढ़ते उपयोग से खल की डिमांड में कमी आई है। सरसों खल के भाव की बात करें तो इस समय जयपुर में खल का रेट 2250, गंगापुर में 2200, भरतपुर में 2300, कोटा में 2250, सुमेरपुर में 2225 और चरखी दादरी में 2160 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहा है
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सरसों के बाजार में आगे क्या रह सकता है माहौल
किसान साथियों और व्यापारी भाईयो अगर इस समय सरसों के बाजार के भविष्य को देख तो बड़ी गिरावट दूर-दूर तक नजर नहीं आती। जहां तक तेजी की बात है बाजार को जयपुर में 6400 के स्तर पर भारी रजिस्टेंस का सामना करना पड़ रहा है। इस रेजिस्टेंस की सबसे बड़ी वजह विदेशी बाजारों में पाम तेल का उत्पादन बढ़ना और इसके भाव में आई गिरावट है। व्यापरियों और मिलर्स को सस्ते पाम तेल के आयात का डर है, इसलिए ऊंचे दाम में खऱीद नहीं आ रही। आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि जब मलेशिया में पाम तेल में गिरावट होती है तो सरसों के भाव में गिरावट आती है। लेकिन सरसों की कमजोर आवक भाव को ज्यादा नीचे नहीं जाने दे रही। वैसे भी पाम तेल के भाव साल के निचले स्तर 3700 रिंगिट से थोड़ा ही दूर हैं। और इसके नीचे जाने की उम्मीद नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल मई के के पहले 3 दिन में 14 लाख 50 हजार की टोटल आवक हुई थी और इस साल यह तीन दिन में 12 लाख ही हुई है। कमजोर आवक के अलावा सरकारी खऱीद का भी सरसों के बाजार को सपोर्ट मिलेगा और भाव MSP से नीचे नहीं जाएंगे। आने वाले समय में शादियों और का सीजन आयेगा जिससे मांग सुधर सकती है। खल के भाव भी अपने निचले स्तर से काफी उठ चुके हैं और यहां पर और सुधार की संभावना है। कुल मिलाकर परिस्थिति यह है कि सरसों के भाव में बड़ी गिरावट के चांस बहुत कम है और तेजी के चांस ज्यादा हैं। अगर आवक ऐसे ही कमजोर बनी रही और विदेशी बाजारों में कोई भारी गिरावट नहीं हुई तो मई महीने में ही बाजार उपर की तरफ चल पड़ेंगे। व्यापार अपने विवेक से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।