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क्या आगे बढ़ेंगे भाव या रुक जाएगी सरसों की रफ्तार। जानिए इस रिपोर्ट में

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किसान भाइयों सरसों का बाजार इस समय एक मिश्रित रुख दिखा रहा है। एक तरफ जहां घरेलू मांग ने कीमतों को संभाल रखा है, वहीं विदेशी तेलों की गिरावट ने दबाव बनाया हुआ है। अगर आप सरसों की खेती या कारोबार से जुड़े हैं, तो आपको बाजार की इन उठापटक को समझना बेहद जरूरी है। क्योंकि अभी बाजार में स्थिरता है, लेकिन आने वाले दिनों में क्या होगा, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगा। आपको बता दें कि इस बार सरसों का उत्पादन का अनुमान 115 लाख टन का लगाया जा रहा था लेकिन अभी अनुमान घटकर 1 लाख टन बताया जा रहा है। इसके अलावा जुलाई महीने में अगर औसत आवक की बात करें तो पिछले साल की 3.50 लाख बोरी की अपेक्षा इस बार चार लाख बोरी के आसपास है। फिलहाल सरसों के भाव में ज्यादा तेजी नहीं देखी जा रही लेकिन बाजार की स्थिति को देखते हुए मंदी की उम्मीद भी कम ही बताई जा रही है। हालांकि आने वाले त्योहरी सीजन को देखा जाए तो सरसों के दामों में बढ़ोतरी की संभावनाएं बन रही हैं। आज जयपुर में सरसों का भाव 6975 रुपए प्रति क्विंटल बोला गया जो सरसों के भाव में स्थिरता को दिखाता है। हालांकि भरतपुर मंडी में कीमतों में हल्की नरमी देखी जा रही है। किसानों ने अभी भी पूरी तरह से सरसों बेचने का मन नहीं बनाया है क्योंकि उनको उम्मीद है कि सरसों का भाव 7000 को पार करेगा। यदि सरसों का भाव 7000 पर पहुंचता है तो मंडियों की आवक बढ़ सकती है क्योंकि किसान जमा किए हुए स्टॉक को बेचना शुरू कर देंगे। यदि सरसों का भाव 7000 को पार करता है तो इसका अगला टारगेट 7150 रुपए का होगा जो पिछले साल के अधिकतम भाव 7125 रुपए से ऊपर जा सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरसों का बाजार 7000 के भाव को पार करेगा और यदि ऐसा होता है तो फिर बाजार के ऊपर जाने की कितनी संभावनाएं हैं। फिलहाल सरसों के बाजार में स्थिरता देखने को मिल रही है। चलिए सरसों के बाजार को और अधिक विस्तार से समझते हैं इस रिपोर्ट के द्वारा।

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सरसों बाजार में स्थिरता

इस समय सरसों बाजार में स्थिरता का माहौल बना हुआ है, और इसके पीछे कई कारण हैं। पहला और सबसे बड़ा कारण है घरेलू खरीदारी का सीमित होना। जब व्यापारी और मिलें ज्यादा मात्रा में खरीदारी नहीं करते, तो भाव में तेजी नहीं आ पाती। दूसरी ओर, विदेशी तेलों के दाम भी सरसों की कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं। अगर पाम ऑयल या सोयाबीन ऑयल के भाव गिरते हैं, तो सरसों तेल की डिमांड भी प्रभावित होती है। लेकिन एक अच्छी बात यह है कि सरसों तेल की घरेलू खपत का सीजन चल रहा है। इस वजह से मांग बनी हुई है, जिसने बाजार को गिरने से बचाया हुआ है। अगर विदेशी तेलों के दाम स्थिर रहते हैं, तो हम आने वाले दिनों में सरसों बाजार में धीमी तेजी देख सकते हैं।

क्या 7,000 का स्तर पार होगा

किसानों और ट्रेडर्स की नजर अब ₹7,000 प्रति क्विंटल के स्तर पर टिकी हुई है। अगर यह लेवल पार हो जाता है, तो अगला टारगेट ₹7,150 तक जा सकता है, जो पिछले साल के हाई 7122 से भी ऊपर होगा। लेकिन फिलहाल बाजार स्लो मूवमेंट में है, इसलिए जल्दबाजी में कोई नतीजा नहीं निकाला जा सकता।

मंडी भाव

आज जयपुर में सरसों के भाव ₹6950 से ₹6975 प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। वहीं भरतपुर मंडी में सरसों का भाव ₹6600 रहा, जबकि दिल्ली 42% कंडीशन पर ₹6600 पर ₹50 की गिरावट दर्ज की गई। बरवाला मंडी में सरसों का भाव ₹6275 से ₹6280 प्रति क्विंटल पर बिना किसी बदलाव के स्थिर रहा। सलोनी सरसों की बात करें तो सामसाबाद और डिग्नेर दोनों जगह भाव ₹7600 पर रहे, जिसमें ₹25 की तेजी देखी गई, जबकि अलवर मंडी में सरसों ₹7575 प्रति क्विंटल बोली गई, वहां भी ₹25 की तेजी रही। दिल्ली मंडी में बीते सप्ताह 24 जून से लेकर 1 जुलाई तक सरसों के भाव ₹6500 से ₹6650 के दायरे में रहे, जहां 1 जुलाई को भाव ₹6600 पर बंद हुए।

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दैनिक आवक और खपत

आज सरसों की आवक लगभग 4.25 लाख बोरी के आसपास पहुंची। वहीं अगर बिक्री की बात करें तो लगभग 3.75 लाख बोरी की बिक्री हुई। इससे स्पष्ट होता है कि सप्लाई ज्यादा है, लेकिन डिमांड उसके मुकाबले थोड़ी कम है। इसलिए मिलों ने शाम के सौदों में ₹25 से ₹50 प्रति क्विंटल की कटौती की। हालांकि, कुछ ट्रेडर्स ने भाव में सुधार की भी रिपोर्ट दी है, जो दिखाता है कि बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।

सरसों तेल के भाव

सरसों तेल के दाम भी अलग-अलग शहरों में अलग ट्रेंड दिखा रहे हैं। मुंबई: में सरसों तेल का भाव ₹1,475 प्रति 10 किलो (स्थिर), स्वादनपुर: में ₹1,485–1,490 प्रति 10 किलो (कमजोर) और कोलकाता में ₹1,540–1,570 प्रति 10 किलो बोले गए। वहीं हल्दिया पोर्ट पर सरसों के तेल में ₹70 प्रति 10 किलो की बढ़त दर्ज की गई।

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आगे क्या होगा

फिलहाल बाजार में न तो बड़ी तेजी दिख रही है और न ही गिरावट। मिलों की खरीद सीमित है, और स्टॉक उपलब्धता भी पर्याप्त है। लेकिन लंबी अवधि में तेजी की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि आगामी त्योहरी सीजन को देखते हुए तेल की घरेलू खपत बढ़ सकती है। वहीं दूसरी ओर विदेशी तेलों में स्थिरता आने से सरसों तेल की डिमांड बढ़ेगी। इसलिए, किसानों और व्यापारियों को बाजार की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए और अपनी खरीद-बिक्री समझदारी से करनी चाहिए। बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, इसलिए कोई भी निर्णय अपने विवेक को संयम से लें।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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