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चने के भाव का 6500 बनने का क्या है गणित | देखें चने की तेजी मंदी रिपोर्ट

chana teji mandi report
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किसान साथियो पिछले कई सालों से भाव के मामले में चने की दुर्गति चल रही थी। चने के भाव लगातार MSP के नीचे बने हुए थे। लेकिन पिछले दिनों आयी तेजी को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब चने के किसानों के भी अच्छे दिन आने वाले हैं। आज की रिपोर्ट में हम चने के भाव में बन रही तेजी मंदी को लेकर चर्चा करेंगे। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

क्या है बाजार में माहौल
साथियो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन दिनों देसी चने की आपूर्ति उत्पादक मंडियों में अनुकूल नहीं है। तथा सरकारी माल के पड़ते इस बार प्राइवेट सेक्टर के देसी चने से ऊंचे पड़ रहे हैं, इसे देखते हुए बाजार में करेक्शन के बाद फिर तेजी लग रही है तथा जिस हिसाब से माल की आवक कम हो गई है, उसे देखते हुए राजस्थानी चना लारेंस रोड पर शीघ्र 6500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर सकता है।

पिछले साल के नुकसान की भरपाई
साथियो चालू सीजन में देसी चने के व्यापारियों को पिछले दिनों चने में काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा है। क्योंकि मई के बाद से ही बास भाड़ा लगाकर देसी चना महंगा पड़ने लगा था। उधर पिछले साल पूरी अवधि में सरकार द्वारा मंडियों में देसी चना सस्ते भाव पर बेचा गया था, जिसके चलते चने के व्यापारी भारी नुकसान के चलते दहशत में आ गए थे। ये बात जरूर है कि जिन व्यापारियों ने चना होल्ड कर लिया था अब उन्हें लाभ जरूर मिल रहा है ।

उत्पादन में कमी के चलते घटी आवक
चने के उत्पादन में भारी कमी होने तथा पिछले साल माल बेचने के कारण सरकार के पास भी बहुत ज्यादा स्टाक नहीं होने से वितरक व खपत वाली मंडियों में चने की कमी बनने लगी है। जिन व्यापारियों ने  लूटने -पिटने के बावजूद भी स्टाक को नहीं निकाला था अब उनको और लाभ मिलने की संभावना है। गौरतलब है कि राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश सभी उत्पादक क्षेत्रों में देसी चने की आवक आधी रह गई है, जो आवक की कमी के चलते वहीं लोकल दाल मिलों में ही खपत हो रही है।

हल्के माल की भरमार
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार चना उत्पादक राज्यों में देसी चने की औसतन 37 प्रतिशत बिजाई कम होने की सूचना मिल रही है । चूंकि सारा सरकारी आलू MSP पर खरीदा गया है इसलिए सरकारी माल की क्वालिटी हल्की आने लगी है। जितनी आवक का प्रेशर में एमपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश की मंडियों में देसी चना में आना चाहिए था, उतना इस बार नहीं आ रहा है तथा दाने भी छोटे आ रहे हैं। आलम यह है कि माल की कमी से हल्के एवं नमी वाले माल की दाल मिलों को खरीद करनी पड़ रही है।

क्या और बढ़ेंगे भाव
भाव को देखें तो पिछले सप्ताह के मुकाबले वर्तमान में चना 400 रुपये बढ़कर लॉरेंस रोड पर 6000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुँच चुका है । कई दाल मिलर्स का कहना है कि हाजिर मंडियों से माल खरीदने पर राजस्थानी चना 6150 रुपए मिल के गेट पर पड़ रहा है। हम मानते हैं कि दिल्ली में चना 6000 रुपए बिककर सोमवार को करेक्शन के बाद 5900 रुपए रह गया है । हाल ही में आयी 1-2 छुट्टियों के चलते बाजार थोड़े समय के लिए 5800 रुपए के भाव भी दिखा सकता है। लेकिन उसके बाद फिर से चने में तेजी की संभावना है जो कि चने के भाव को 6500 रुपए तक लेकर जा सकती है। महाराष्ट्र के अकोला, जलगांव लाइन से आज की तारीख में देसी चना मंगाने पर 6100 रुपए का पड़ता है, राजस्थानी चना 6150 रुपए का यहां आकर पड़ रहा है। मध्य प्रदेश से देसी चना आना कम हो गया है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में माल नहीं है तथा इंदौर-ग्वालियर लाइन की दाल मिलें वहां से खरीद रही है। रायपुर में भी चने के भाव ऊंचे बोल रहे हैं । यही कारण है कि नोहर, भादरा, तारानगर, सवाई माधोपुर सार्दुलशहर आदि उत्पादक क्षेत्रों में चने के भाव ऊंचे बोलने लगे हैं । इसलिए कहा जा सकता है कि देसी चना करेक्शन के बाद 6500 रुपए बिकने की संभावना है । व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।