सरकार के फैसले से भावों में हल्की से मध्यम तेजी | लेकिन निकट भविष्य में स्थिरता की संभावना
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, मंडी मार्किट पर हमने आयात शुल्क लागू होने की खबर को पहले ही बता दिया था और यह भी बताया था की सरकार का यह निर्णय चने की गिरावट पर ब्रेक लगा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा चना पर 1 अप्रैल 2025 से 10% आयात शुल्क फिर से लागू करने के फैसले के बाद देशभर की प्रमुख मंडियों में चना के भावों गिरावट रुक गयी है और भाव में हल्की से मध्यम तेजी देखने को मिली है। आयात शुल्क लागू करने का यह निर्णय घरेलू उत्पादकों को समर्थन देने और आयात पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से लिया गया है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।
बाजार में कितना हुआ असर
दोस्तों अगर कल के मंडियों के रूझान देखें तो हलकी तेजी के रुझान मिले हैं। दिल्ली में लॉरेंस रोड पर चने के रेट 50 रूपए तक तेज हो गए इसके अलावा सोलापुर, लातूर, इंदौर, कटनी, कोलकाता, देगलुर और बीकानेर जैसी मंडियों में चना के भाव ₹ 50 से ₹ 200 प्रति क्विंटल तक बढ़े हैं। सोलापुर मंडी में चना अन्नागिरी ₹ 5800 से ₹ 6000, लातूर में विजया चना ₹ 6000 से ₹ 6100, कटनी में कांटा चना ₹ 6000, कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया चना ₹ 5800, बीकानेर में ₹ 5500, और इंदौर में कांटा चना ₹ 5950 तक बोला गया। हालांकि कुछ मंडियों जैसे अकोला, जालना आदि में भाव स्थिर बने रहे। राजस्थान की हाजिर मंडियों के ताजा भाव को देखें तो बीकानेर मंडी में चना ₹ 5200 से ₹ 5550, रामगंज मंडी में ₹ 5100 से ₹ 5380, गजसिंहपुर मंडी में ₹ 5176 से ₹ 5200, दूनी टोंक मंडी में ₹ 5180 से ₹ 5240, और रायसिंहनगर मंडी में ₹ 5350 से ₹ 5400 प्रति क्विंटल तक दर्ज किए गए हैं। व्यापारियों का कहना है कि यह तेजी सरकारी फैसले के कारण है, लेकिन रबी फसल की ताजा आवक से निकट भविष्य में भावों में स्थिरता रह सकती है। यदि सरकारी खरीद में तेजी आई और स्टॉक सीमित रहे तो लंबे समय में ₹ 6000 के पार की उम्मीद बनी हुई है।
विदेशी बाजारों से क्या है अपडेट
अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति भी चना के भावों पर असर डाल रही है। ऑस्ट्रेलिया में इस बार चना की बिजाई क्षेत्र में वृद्धि की उम्मीद है। एक तो वहां का मौसम अनुकूल है और दूसरा, गेहूं के भाव घटने से किसान चना की खेती में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। सरकारी एजेंसी ABARES के मुताबिक 2024-25 में ऑस्ट्रेलिया में चना उत्पादन 22.70 लाख टन तक पहुंच सकता है, जो एक रिकॉर्ड है। वहीं अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच ऑस्ट्रेलिया से 16 लाख टन चना का निर्यात हुआ, जिसमें अधिकांश हिस्सा भारत को गया। लेकिन अब भारत द्वारा आयात शुल्क लगाने से फरवरी और मार्च में भारत से डिमांड घट गई है। 1 मार्च तक ऑस्ट्रेलिया में 5.70 लाख टन स्टॉक बचा था, जिसमें से 50 हजार टन अगली बुवाई के लिए सुरक्षित रखा गया है और बाकी 5.20 लाख टन पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि को निर्यात किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया से भारत का रुख हटने के बाद वहां के बाजार में भी नरमी देखी गई है और भाव करीब $100 प्रति टन कम हो गए हैं, फिर भी वर्तमान दरें किसानों के लिए आकर्षक मानी जा रही हैं। वहां चना की अगली बिजाई मई-जून में होगी।
आगे क्या है उम्मीद
चना बाजार में आज की तेजी मुख्यतः आयात नीति में बदलाव के कारण आई है, लेकिन आगे की चाल नई आवक और सरकारी खरीदी की रफ्तार पर निर्भर करेगी। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आपको रोजाना भाव और आगे का अनुमान साथ में आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दिशा भी इस बाजार की चाल को तय करने में भूमिका निभाएगी। मंडी मार्केट मीडिया का मानना है कि बाजार में स्थिरता से लेकर तेजी का माहौल रह सकता है। व्यापार अपने विवेक से करे।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।