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सरकारी आदेश के बाद आज फिर से गिर सकते हैं सरसों के भाव | सरसो की आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

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किसान साथियो फ़सलों में तेजी मंदी का दौर आता जाता रहता है। लेकिन सरसों के भाव की जो दुर्गति हुई है उसके लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। सरकार से लेकर विदेशी बाजार और ज्यादा उत्पादन के आंकड़ों के चलते सरसों के भाव धरातल पर आ पहुँचे हैं। जानकारों को भी समझ नहीं आ रहा कि जब भारत इतने बड़े स्तर पर खाद्य तेलों का आयात कर रहा है फिर कैसे घरेलू तिलहन फ़सलों के भाव इतने कम रह सकते हैं। कारण चाहे जो भी हों लेकिन अब बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब तक सरसों और अन्य तिलहनों के भाव लागत मूल्य के आसपास घूमते रहेंगे। क्या सच में भारत ने इतना उत्पादन कर लिया है कि डिमांड से ज्यादा सप्लाई बन गई है। ऐसा तो बिल्कुल नहीं है क्योंकि अगर ऐसा होता तो खाद्य तेलों के आयात की नौबत ही नहीं आती।
फिर सरकार ऐसा क्यूँ कर रही है कि वह अपने किसानों को हतोत्साहित करके विदेशी बाजारों को सपोर्ट कर रही है। सरकार का यह बर्ताव समझ से परे है। हम मानते हैं कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह खाने पीने की चीजों का भाव को कम रखे लेकिन इसके लिए किसानों को बलि का बकरा बनाना भी सही नहीं है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

सरकार ने कल ही एक आदेश जारी किया है जिसमें सोया और सूरजमुखी तेल के आयात को 30 जून तक शुल्क मुक्त कर दिया है।  केंद्र सरकार ने अपने आदेश में भारतीय बंदरगाह पर एक अप्रैल से इंतजार कर रहे सोया व सूरजमुखी तेल को उतरने की इजाजत दे दी है । TRQ कोटा के तहत लगभग दो लाख टन इस तेल को बिना सीमा शुल्क के उतरने की इजाजत दी गई है। इससे सोया सूरजमुखी सहित लगभग सभी खाद्य तेलों पर दबाव बन सकता है। ऐसे समय में जब तेल तिलहन के भाव धरातल पर चल रहे हैं सरकार का यह आदेश भावों को और नीचे लेकर जा सकता है। गिरते भावों के बीच सरकारी खरीद को फिर से शुरू जरूर  किया गया है लेकिन इससे गिरते हुए भाव को सहारा मिलना मुश्किल है

मंडी भाव टुडे पर हमने पहले भी बताया है कि सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है लेकिन ऐसा बर्ताव किसानों के हित में यों बिल्कुल नहीं है। जब अच्छे भाव ही नहीं मिलेंगे तो जो किसान फ़िलहाल तिलहन फसलों की खेती कर रहे हैं वो भी इससे विमुख हो जाएंगे। फिर भारत देश कैसे खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर हो पाएगा। परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि किसान की कमर ना टूटे। जयहिंद

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। इस आर्टिकल में भाव के बारे में लगाया गया अनुमान मेरी अपनी राय है। पोर्टल पर दी गई अन्य जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।