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तेल मिलों की मांग बढ़ने से सरसों के दामों में आया उछाल

तेल मिलों की मांग बढ़ने से सरसों के दामों में आया उछाल
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साथियों भारतीय बाजार में सरसों और इससे जुड़े उत्पादों की कीमतें हमेशा से किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए चर्चा का विषय रही हैं। पिछले कुछ दिनों में तेल मिलों की बढ़ती मांग के कारण सरसों के दामों में एक बार फिर सुधार देखने को मिला है। जयपुर जैसी प्रमुख मंडियों में सरसों के भाव में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। इसके अलावा, सरसों की दैनिक आवक भी स्थिर बनी हुई है, जिससे बाजार में आपूर्ति और मांग का संतुलन बना हुआ है। हालांकि, कुछ मंडियों में तेल मिलों ने शाम के सत्र में खरीदारी कीमतों में कटौती भी की है, जिससे व्यापारियों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस रिपोर्ट में हम सरसों से जुड़े हर पहलू को विस्तार से समझेंगे, जिसमें बाजार की स्थिति, वैश्विक प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी।

तेल मिलों की बढ़ती मांग

तेल मिलों की मांग में हाल ही में आई वृद्धि ने सरसों के बाजार को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। जयपुर मंडी में कंडीशन सरसों के भाव 25 रुपये बढ़कर 6,775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से तेल निर्माता कंपनियों द्वारा सरसों की खरीदारी में तेजी के कारण हुई है। तेल मिलों द्वारा सरसों की खरीद बढ़ने से किसानों और व्यापारियों को बेहतर दाम मिल रहे हैं। हालांकि, शाम के सत्र में कुछ मिलों ने खरीदारी कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती भी की, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। साथ ही सरसों की दैनिक आवक 5.25 लाख बोरियों के स्तर पर बनी हुई है, जो बाजार में स्थिरता का संकेत देती है। आपको बता दें कि उत्पादक राज्यों में अभी भी सरसों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, जिसके कारण आवक अगले कुछ दिनों तक बनी रहने की उम्मीद है। लेकिन बाजार की गतिशीलता अभी भी विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।'

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वैश्विक बाजार का प्रभाव

भारतीय सरसों बाजार पर वैश्विक खाद्य तेलों की कीमतों का सीधा असर पड़ता है। पिछले कुछ दिनों में मलेशियाई पाम ऑयल और शिकागो में सोया तेल के दामों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, जिसने घरेलू बाजार को भी प्रभावित किया है। हाल ही में मलेशियाई क्रूड पाम ऑयल (CPO) के वायदा भाव में 0.88% की बढ़ोतरी हुई है, जिससे भारतीय आयातकों पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा शिकागो में सोया तेल के भाव में 0.1% की मामूली तेजी आई है, लेकिन पाम ऑयल और सोया तेल के बीच कीमतों का अंतर कम होने से तेजी सीमित रही। इसका असर सरसों के तेल पर भी देखने को मिल रहा है। एक और कारण जिसने खाद्य तेलों के दामों को प्रभावित किया है, वह यह कि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 85.43 के स्तर पर आ गया है, जिससे आयातित तेलों की कीमतें और बढ़ गई हैं। इन वैश्विक कारकों के कारण घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम बढ़ते हैं, तो भारत में सरसों तेल की मांग और बढ़ सकती है।

सरसों तेल की कीमतों का रुझान

सरसों तेल की कीमतों में हाल के दिनों में मिलाजुला रुख देखने को मिला है। कुछ मंडियों में दाम बढ़े हैं, तो कहीं पर स्थिरता बनी हुई है। अगर सरसों के तेल की कीमतों की बात करें तो जयपुर में सरसों तेल के भाव 100 रुपये बढ़कर 14,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं, जबकि ग्राहकी (डिमांड) में सुधार देखने को मिला है। इसके अलावा कोटा में कच्ची घानी सरसों तेल के दाम 1,470 रुपये प्रति 10 किलो तक पहुंच गए, जबकि भरतपुर में कीमतें घटकर 1,435-1,445 रुपये प्रति 10 किलो रह गईं। वहीं कोलकाता मंडी में सरसों तेल के भाव 1,430 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर बने हुए हैं। इस तरह, सरसों तेल की कीमतें अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रदर्शन कर रही हैं, जो मांग और स्थानीय आपूर्ति पर निर्भर करता है।

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सरसों की दैनिक आवक

सरसों की दैनिक आवक पिछले कुछ दिनों से स्थिर बनी हुई है, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। देशभर की मंडियों में सरसों की रोजाना आवक 5.25 लाख बोरियों के स्तर पर बनी हुई है, जो पिछले दिनों के समान है। इसके अलावा उत्पादक राज्यों में किसानों और व्यापारियों के पास सरसों का अच्छा-खासा स्टॉक मौजूद है, जिसके कारण आवक अगले कुछ हफ्तों तक बनी रह सकती है। चूंकि सरसों तेल की खपत का मौसम चल रहा है, इसलिए घरेलू बाजार में मांग बनी रहने की उम्मीद है। इस तरह, आवक और स्टॉक की स्थिति बताती है कि बाजार में अभी तेजी या गिरावट का कोई बड़ा दबाव नहीं है।

भविष्य में संभावनाएं

आने वाले दिनों में सरसों के बाजार की दिशा कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें मुख्य रूप से वैश्विक तेल कीमतें, घरेलू मांग और सरकारी नीतियां शामिल हैं। अगर पाम ऑयल और सोया तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत में सरसों तेल की मांग और बढ़ सकती है। क्योंकि देश में इस समय सरसों तेल की खपत का मौसम जारी है, इसलिए घरेलू स्तर पर मांग बनी रह सकती है। वहीं अगर किसान और व्यापारी सरसों का स्टॉक धीरे-धीरे बेचते हैं, तो बाजार में आपूर्ति का दबाव कम रहेगा। इन सभी पहलुओं को देखते हुए, अगले कुछ हफ्तों में सरसों के दामों में मामूली उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, लेकिन बड़ी गिरावट या तेजी की संभावना कम ही दिखाई दे रही है।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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