अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं में आई तेजी। और तेजी आने की कितनी संभावना
किसान साथियों, अमेरिकी गेहूं के बाजार में हाल के दिनों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। चालू सप्ताह में शिकागो के गेहूं वायदा में तेजी दर्ज की गई, जिसकी मुख्य वजह फसल की रेटिंग का बाजार की उम्मीदों से नीचे आना बताया जा रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह तेजी थोड़े समय के लिए ही हो सकती है क्योंकि कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में मौसम में सुधार और आपूर्ति बढ़ने के आसार हैं। बाजार में ये उतार-चढ़ाव कृषि उत्पादों की वैश्विक मांग, मौसमी परिस्थितियों और आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर करते हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर किन कारणों से गेहूं के दामों में ये बदलाव आए हैं और भविष्य में बाजार के लिए क्या संभावनाएं हैं।
अमेरिकी गेहूं वायदा में तेजी
शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) में गेहूं का सबसे सक्रिय वायदा अनुबंध 1% बढ़कर 5.33-1/2 डॉलर प्रति बुशल पर पहुंच गया। इस तेजी की मुख्य वजह अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) द्वारा जारी फसल रेटिंग के आंकड़े हैं, जो बाजार की अपेक्षाओं से कम रहे। USDA के मुताबिक, अमेरिकी बासंती गेहूं की सिर्फ 45% फसल ही "अच्छी" या "बहुत अच्छी" स्थिति में है, जबकि विश्लेषकों को उम्मीद थी कि यह आंकड़ा इससे ऊपर होगा। इसी तरह, 50% गेहूं की फसल को "अच्छी" श्रेणी में रखा गया, जो पिछले कुछ सालों के मुकाबले तो बेहतर है, लेकिन बाजार की उम्मीदों से कम है। इसके अलावा, शॉर्ट कवरिंग (जब ट्रेडर्स अपनी शॉर्ट पोजीशन को बंद करते हैं) ने भी कीमतों को सपोर्ट दिया। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी अस्थायी हो सकती है क्योंकि अमेरिका, यूरोप और रूस के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश होने से फसल की स्थिति में सुधार की संभावना है।
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ऑस्ट्रेलिया में गेहूं के स्टॉक का दबाव
ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का स्टॉक बढ़ने की आशंका से वैश्विक बाजार में दबाव बना हुआ है। कारोबारियों का मानना है कि चीन द्वारा गेहूं के आयात में कमी और रूस से सस्ते दामों पर आपूर्ति के कारण ऑस्ट्रेलिया के पास गेहूं का अधिशेष स्टॉक बच सकता है। ऑस्ट्रेलिया के कस्टम डेटा के अनुसार, अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 के बीच चीन को सिर्फ 5.46 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया को अपने स्टॉक को कम करने के लिए कीमतों में छूट देने की जरूरत पड़ सकती है। विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर निर्यात की गति यही रही, तो 50-60 लाख टन गेहूं का स्टॉक बच सकता है, जो ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इससे कीमतों में और गिरावट आ सकती है।
भारत में गेहूं की स्थिति
भारत में नए गेहूं की आवक बढ़ने से दामों में स्थिरता बनी हुई है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से आने वाली गेहूं की आपूर्ति के कारण मंडियों में दाम 2500-2550 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बने हुए हैं। हालांकि, दिल्ली जैसे बड़े बाजारों में गेहूं की कीमतें 2760 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें 10-20 रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी होने के आसार नहीं हैं। सरकार द्वारा 300 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की खरीद हो चुकी है, जिससे बाजार में आपूर्ति पर्याप्त बनी हुई है।
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आगे क्या हो सकता है?
अगर अमेरिका और यूरोप में मौसम अनुकूल रहता है, तो गेहूं की फसल की स्थिति में सुधार हो सकता है, जिससे कीमतों पर दबाव बना रह सकता है। वहीं, रूस से सस्ते गेहूं की आपूर्ति भी वैश्विक बाजार को प्रभावित कर सकती है। ऑस्ट्रेलिया को अपने स्टॉक को कम करने के लिए कीमतों में कटौती करनी पड़ सकती है, जिससे निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। भारत में गेहूं की कीमतें स्थिर बनी रह सकती हैं, क्योंकि सरकारी खरीद और घरेलू आपूर्ति पर्याप्त है। कुल मिलाकर, गेहूं का बाजार इस समय कई कारकों से प्रभावित हो रहा है, और आने वाले दिनों में मौसम और वैश्विक मांग-आपूर्ति के आधार पर ही दिशा तय होगी।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।