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अगर ग्वार का स्टॉक पड़ा हुआ है तो यह रिपोर्ट जरूर देख लें | जानिए ग्वार में तेजी के क्या हैं चांस

अगर ग्वार का स्टॉक पड़ा हुआ है तो यह रिपोर्ट जरूर देख लें | जानिए ग्वार में तेजी के क्या हैं चांस
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किसान साथियों काफी लंबे समय से गवार के भावों में उम्मीद कर अनुसार तेजी नहीं बन पाई है। लंबे समय से इसमे गिरावट का दौर चालू है। गवार की उपयोगिता की बात करें तो गवार एक बहु उपयोगी फसल है, इससे अनेक प्रकार की औषधियां तैयार की जाती हैं। फिर भी दिन प्रतिदिन ग्वार का निर्यात घटता जा रहा है, इसी के चलते गवार को भारी मंदी का सामना करना पड़ रहा है। साल 2012 में ग्वार के दामों में भारी उछाल आया था। उस समय ग्वार के भाव ₹32000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे। लेकिन बाद में भाव अचानक से नीचे आने लगे। और अब हालात यह बने हुए हैं कि जो गवार 12 साल पहले 32000 रूपए प्रति क्विंटल बिक रहा था वही गवार आज के दिन चारे के भाव बिक रहा है। वर्ष 2012 के बाद गवार में 2021 में कुछ तेजी देखने को मिली थी, 2021 में ग्वार के भाव 15000 रूपए प्रति क्विंटल के थे,लेकिन उसके बाद गवार कभी भी 7000 के आंकड़े को भी नहीं छू पाया। दोस्तो इस गिरावट क्या के पीछे का क्या कारण है और आने वाले समय में तेजी की क्या उम्मीद है आईए जानते हैं इस रिपोर्ट में। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

निर्यात में नहीं निकल रही मांग
वर्ष 2012 में अमेरिका की डिमांड पर गवार का भारी निर्यात हुआ था। उस समय अमेरिका ने क्रूड ऑयल के कुएं खुदवाए थे, इन कुओं की दीवारों पर विशेष लेप करने के लिए ग्वार ग़म का उपयोग किया गया था। उस वर्ष ग्वार का अमेरिका में भारी निर्यात हुआ था, इस बात को ध्यान में रखते हुए अगले वर्ष किसानों ने ग्वार का भारी उत्पादन किया। व्यापारियों ने भी गवार के बढ़ते दामों को देखकर ग्वार का भंडारण काफी अधिक मात्रा में कर लिया था, लेकिन बाद में गवार की मांग कम हो गई और निर्यात मांग बहुत ज्यादा घट गई । जैसा कि आप सबको पता है कि ग्वार की फ़सल का सबसे लंबे समय तक भंडारण होता है। अधिक भंडारण होने के कारण भी व्यापारी अब गवार की खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे, जिसके कारण गवार के भाव अपने निचले स्तर 5000 के आसपास आ गए और इसी दायरे में कारोबार कर रहे हैं। अगर सरकार निर्यात को बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम उठाती है और निर्यात को बढ़ाने में सफलता प्राप्त कर लेती है तो गवार के दामों में तेजी की कुछ उम्मीद की जा सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

क्या कहते हैं ग्वार की बुवाई के आंकड़े
ग्वार के बड़े जानकार कन्हैया लाल जी चांडक द्वारा धरातल पर किए गए सर्वे के अनुसार ऑल इंडिया वाइज गवार का बुवाई रकबा करीब करीब गत साल के बराबर ही है। हालांकि ज्यादा बारिश व खारी जमीन होने के कारण खाजूवाला नेहरी बेल्ट , नागौर वह मेड़ता कम से कम गवार फसल में 50% के नुकसान का अंदाजा है । दोस्तो बुवाई के आंकड़े उत्पादन की सही तस्वीर पेश नहीं कर सकते क्योंकि फ़सल कितनी कम ज्यादा होगी इसका निर्धारण 15 से 25 सितम्बर की सेकेंड राउंड की बारिश करेगी। बात सरकारी आंकड़ों की करें तो पिछले साल देश के 30 लाख हेक्टेयर की बुवाई के मुकाबले इस साल 18 अगस्त तक करीबन 27 लाख हेक्टेयर में ग्वार की बुवाई हुई है। इस हिसाब से देखा जाए तो ग्वार का रकबा थोड़ा सा घटा है जिसका भाव पर पॉजिटिव असर दिख सकता है।

आवक में आई कमी
भारत विश्व का सबसे बड़ा गवार उत्पादक देश है। विश्व का 80% गवार का उत्पादन अकेला भारत करता है, भारत में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और पंजाब में ग्वार का उत्पादन सबसे अधिक होता है। अकेले राजस्थान में भारत का 70% ग्वार का उत्पादन होता है। उत्पादन बढ़िया होने के बावजूद बाजार में गवार की आवक काफी कम हो गई है क्योंकि बाजार में सही दाम न मिलने के कारण किसानों ने ग्वार का भंडारण कर लिया है। किसान भी इस वक्त गवार को मंडी में लाने से मुंह मोड़ने लगे हैं। किसानों को उम्मीद है कि गवार के भाव में जल्दी तेजी देखने को मिलेगी, इसलिए उन्होंने गवार को स्टॉक कर रखा है। कुछ किसान भाइयों का कहना है कि बाजार में ग्वार के जो दाम मिल रहे हैं उन्हें दामों में पशुओं का चारा आता है, इस कारण किसान ग्वार को मंडी में लाने की बजाए पशुओं को खिलाने में फायदे का सौदा मान रहे हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

 ग्वार गम वायदा कीमतों में गिरावट
हाजिर बाजारों में चल रही कमजोरी के रुख के अनुरूप व्यापारियों ने अपने सोदो में कटान की, जिससे वायदा कारोबार में गवार गम की कीमतों में गिरावट आई। एनसीडीईएक्स पर गवार गम के सितंबर में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 10135 रुपए प्रति क्विंटल रह गई । बात ग्वार सीड की करें तो भाव 5192 के चल रहे हैं। बाजार सूत्रों ने बताया कि हाजिर बाजार की कमजोर मांग और उत्पादक क्षेत्र से पर्याप्त आपूर्ति के कारण ग्वार गम वायदा कीमतों पर दबाव बना हुआ है ।

ग्वार के आंकड़ों का गणित
किसान साथियो ट्रेंड को देखें तो ग्वार की दिसंबर तक की आवक से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्वार का उत्पादन कितना हुआ है। पिछले 4 साल का रूझान यह रहा है कि जितनी आवक 31 दिसंबर (शुरुआती 3 महीने) तक होती है उतनी ही आवक बचे हुए साल में होती है। साल 2018 में 31 दिसंबर तक ग्वार की आवक 40 लाख बोरी की हुई थी और पूरे साल का उत्पादन 80 लाख बोरी रहा था। साल 2019 में यह आंकड़ा 32 लाख और 65 लाख बोरी का था। 2020 में 31 दिसंबर तक 27 लाख बोरी और कुल 60 लाख बोरी का उत्पादन हुआ था। 2021 की बात करें तो शुरुआती 3 महीने में 37 लाख बोरी की आवक हुई थी जबकि कुल 56-57 लाख बोरी का उत्पादन हुआ था। ऐसे में 2022 के साल में 3 महीनों में 32 लाख बोरी की आवक हुई थी जिसके आधार पर  कुल उत्पादन 60 से 70 लाख बोरी माना गया। 2023 में भी ऐसा ही रूझान निकलकर सामने आया था। बाजार के जानकारों का मानना है कि भारी बारिश के कारण जो नुकसान हुआ है उसके बाद ग्वार का उत्पादन 50 लाख बोरी से नीचे आ सकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गवार के भाव की साप्ताहिक रिपोर्ट
साथियों अगर पिछले एक सप्ताह की बात की जाए तो गवार के भाव में कोई ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला। हिसार मंडी की बात की जाए तो पिछले दो-तीन दिनों में ग्वार के दामो में 100 रूपए की गिरावट र्दज की गई है। गवार और गवार गम की कीमतों को देखा जाए तो गवार में इस समय मंदी का ही दौर चल रहा है। हम आपको समय-समय पर गवार के भावों के बारे में अपडेट करते रहते हैं। हाजिर मंडियों के ताजा भाव को देखें तो नोहर मंडी में ग्वार का भाव 5047 सिरसा मंडी में 4988, आदमपुर मंडी में 5090, ऐलनाबाद मंडी में 4880 बट्टू में 5014 श्रीगंगानगर में 5000 अनूपगढ़ में 4900 बीकानेर में 5000 गोलूवाला में 4981 गजसिंहपुर में 4840 और श्री विजयनगर में 4975 रुपए प्रति क्विंटल तक ग्वार बिक रहा है। औद्योगिक मांग घटने और निर्यात कम होने के कारण ग्वार के भाव में नरमी चल रही है। ताजा आंकड़ों के अनुसार इस समय बाजार में गवार का भाव 4750 से 5200 रुपए क्विंटल  के बीच चल रहा है। स्टोकियो की बिकवाली बढ़ने के कारण एमडीएस वायदा बाजार में गवार की कीमत कम होती नजर आ रही है, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है की अभी कुछ समय तक ग्वार की कीमतें बढ़ने की उम्मीद कम हीं है।

NCDEX गवार भाव के कारण बाजार में  दबाव
साथियों मंडी भाव टुडे का मानना है कि ग्वार वायदा के अंदर कुछ तो गड़बड़ हो रही है, कुछ तो बाजार में ऐसा हो रहा है जो बाजार को मंदी की तरफ खींच रहा है। लेकिन साथियों ग्वार की आवक इतनी कम हो गई है कि ऐसे में बाजार को फंडामेंटल के विरुद्ध ज्यादा दिनों तक चलना किसी के बस की बात नहीं है, अगर इन बातों पर गौर किया जाए तो ग्वार के दामों में तेजी की उम्मीद बन सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

ग्वार के भाव में तेजी कब आएगी
भाइयों घरेलू बाजार से लेकर विदेशी बाजारों मे ग्वार की घटती औद्योगिक मांग और कमजोर ग्राहकी को देखते हुए यह कहना थोड़ा मुश्किल है की ग्वार के दामों में जल्दी ही कोई तेजी बन पाएगी। लंबे समय में तेजी का रूझान जरूर दिख रहा है। ग्वार को तेजी की तरफ लेकर जाने वाले तथ्यों को देखें तो ज्यादा बारिश के चलते ग्वार की फ़सल में अगर नुकसान बढ़ता है तो भाव उपर की तरफ चल सकते हैं। लेकिन असली उत्पादन की स्थिति सितंबर महीने में ही साफ़ हो पाएगी। तब तक अगर घटती आवक को देखें तो भाव 100-200 रुपये तक तो बढ़ सकते हैं लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। अगर सरकार निर्यात को बढ़ाने के लिए कोई योजना बनाने में सफल होती है तो आने वाले समय में ग्वार के दामों में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। सरकार को निर्यात बढ़ाने के लिए कुछ विशेष कदम उठाने की आवश्यकता है। पिछले दो-तीन सालों से ग्वार के भाव न बढने के कारण उत्पादन में भी कमी आई है, किसानों ने ग्वार की खेती से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। जिससे ग्वार की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। नई फसल आने पर भी दामों में 100-200 बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही है। फिलहाल ग्वार के दामों में बड़ी तेजी के कोई आसार नजर नहीं आ रहे।

Note: रिपोर्ट में दी गई जानकारी मंडियों के भ्रमण, इंटर्नेट के विश्वसनीय स्रोतो और निजी अनुभव पर इकट्ठा की गई है, बाजार में किसी वक्त भी उतार-चढ़ाव आ सकता है, इसलिए किसान भाइयों से निवेदन है कि वह व्यापार अपने विवेक और समझ से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।