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चने में कब तक आई गई बढ़िया वाली तेजी | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

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किसान साथीयो सरकार द्वारा हाल ही में स्टॉक सीमा लगाए जाने से देसी चने के दाम में पहले 600 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई, लेकिन फिर यह 200 रुपए बढ़कर स्थिर हो गए हैं। इन भावों पर उत्पादक मंडियों से माल मिलना मुश्किल हो गया है, जिससे आगे और तेजी की संभावना बन रही है और भाव 7500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना है। देसी चने में आई तेजी को देखते हुए सरकार ने जून के तीसरे सप्ताह में थोक व्यापारियों के लिए 200 टन की स्टॉक सीमा लगा दी। इस घोषणा के बाद, लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में राजस्थानी चना 7200 रुपए प्रति क्विंटल से गिरकर 6850 रुपए पर आ गया था। हालांकि, इन भावों पर दाल मिलों को माल नहीं मिलने और उत्पादक मंडियों में आवक कम हो जाने से कीमतें पुनः उछलकर 7150 रुपए प्रति क्विंटल हो गई हैं।

आवक में आई गिरावट
साथीयो मई के अंतिम सप्ताह में, देसी चने की कीमतें 7550 रुपए प्रति क्विंटल तक भी पहुंच गई थीं, हालांकि यह केवल एक दिन के लिए था। वास्तविकता यह है कि मध्य प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, बीनागंज आदि उत्पादक मंडियों में देसी चने की आवक पूरी तरह से बंद हो गई है। महाराष्ट्र में डेढ़ महीने पहले ही माल आना काफी कम हो गया था। वर्तमान में, केवल राजस्थान के शेखावाटी, नोहर, भादरा, सवाई माधोपुर, तारानगर, सरदारशहर आदि उत्पादक मंडियों से ही माल आ रहा है। लेकिन यहां भी आवक कम हो जाने के कारण दिल्ली में पड़ते दाम काफी ऊंचे हो गए हैं। सरकार की सख्ती के कारण, यहां कारोबारी 10-12 दिनों के अंतराल पर स्टॉक का माल घटाकर बेचने लगे हैं, क्योंकि सरकार ने पोर्टल पर स्टॉक की जानकारी प्रत्येक शुक्रवार को लोड करने की बात कही है।

क्या पिछले भाव को पार कर सकती है तेजी
साथीयो सोचने की बात तो यह है कि देश में देसी चने की खपत 120 लाख मीट्रिक टन है, जबकि कुल उत्पादन का व्यापारिक अनुमान मुश्किल से 70-75 लाख मीट्रिक टन है। वहीं सरकारी उत्पादन अनुमान 115 लाख मीट्रिक टन के आसपास है, जो कि मंडियों में आपूर्ति और स्टॉक को देखकर काफी अधिक लग रहा है। दिल्ली-एनसीआर में चने का स्टॉक अधिक नहीं है और स्टॉक सीमा की सख्ती के कारण काफी माल बाजार में आ चुका है। इस वजह से वर्तमान भाव में देसी चने की कीमतें और घटने की संभावना नहीं है। सरकार द्वारा 200 टन की स्टॉक सीमा लगाई गई है, जबकि सामान्य व्यापारी एक दिन में ही 100 टन माल बेच देते हैं। इस स्थिति में यदि स्टॉक सीमा नहीं बढ़ाई गई तो पाइपलाइन में माल धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा और आगे चलकर बाजार फिर से पुराने ऊंचे भाव को पार कर सकता है।

भाव में आगे क्या रह सकता है
जानकारों का कहना हैं कि सरकार की सख्ती के कारण वर्तमान में मंदी का दौर चल रहा है। पिछले 10-12 दिनों में जितनी मंदी आनी चाहिए थी, उतनी नहीं आई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्टॉक कहीं भी अधिक नहीं है और मंदी के दौरान दहशत के चलते औने-पौने भाव में माल कट जाने के बाद आगे चलकर कमी अधिक हो जाएगी, जिसे नियंत्रित करना काफी कठिन हो जाएगा। सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से आयात की अनुमति कम कस्टम ड्यूटी पर दे दी है और सौदे भी हो रहे हैं, लेकिन वहां पर भी बाजार तेज हो जाने से वर्तमान भाव से सस्ता नहीं पड़ रहा है। इसलिए कुछ दिन ठहरने के बाद देसी चना की कीमतों में तेजी बन सकती है । बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।