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सोयाबीन के बाजार के लिए कितना महत्वपूर्ण है अमेरिका से समझौता | जाने क्या है मसला

सोयाबीन के बाजार के लिए कितना महत्वपूर्ण है अमेरिका से समझौता | जाने क्या है मसला
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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वैश्विक व्यापार नीतियों के कारण भारत पर भी असर पड़ रहा है। भारत का सोयाबीन और खाद्य तेल उद्योग, जो पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रहा है, अब अमेरिकी सोयाबीन उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती के खिलाफ आवाज उठा रहा है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर भारत के सोयाबीन और खाद्य तेल क्षेत्रों के हितों की रक्षा करने का आग्रह किया है। यह मांग ऐसे समय में की गई है, जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। SOPA ने सरकार से सिफारिश की है कि वह द्विपक्षीय समझौते के दौरान भारतीय सोयाबीन और खाद्य तेल उद्योग के हितों को ध्यान में रखे। सोयाबीन की पल पल की जानकारी पाने के लिए ले हमरी प्रीमियम सर्विस केवल 500 रूपये में 6 महीनो तक लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करे |

SOPA ने भारत सरकार से किया अनुरोध?
हम भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि सोयाबीन, सोयाबीन तेल और सोयाबीन खली पर मौजूदा आयात शुल्क को बनाए रखा जाए। इन शुल्कों को कम करने से भारत में कम लागत वाले आयात की बाढ़ आ सकती है, जिससे घरेलू सोयाबीन उत्पादन कमजोर हो जाएगा। इस कदम से लगभग एक करोड़ सोयाबीन किसानों और संबंधित उद्योगों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा, जिससे भारत के कृषि क्षेत्र की चुनौतियाँ और बढ़ जाएँगी। इसके बजाय, दोनों देश सोया प्रोटीन आइसोलेट्स और कंसन्ट्रेट जैसे मूल्य-वर्धित सोया उत्पादों के लिए रियायती शुल्क व्यवस्था की संभावना तलाश सकते हैं। ये उत्पाद सीधे कच्चे सोयाबीन बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगे और भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नवाचार और विस्तार को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा। मूल्य-वर्धित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करके, हम अपने सोयाबीन उत्पादन से प्राप्त आर्थिक मूल्य को बढ़ा सकते हैं और इस क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। इससे देश में व्यापक रूप से फैली प्रोटीन की कमी को भी दूर करने में मदद मिलेगी।

खाद्य तेल आत्मनिर्भरता को लगेगा बड़ा झटका
खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है, विशेषकर सोयाबीन जैसे क्षेत्रों में, जहाँ हमारी उत्पादकता अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका से बहुत कम है। ऐसे में, रियायती शुल्क पर खाद्य तेलों का आयात करना, जो वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा निर्धारित दरों के लगभग आधे पर है, हमारी आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। सोयाबीन की पल पल की जानकारी पाने के लिए ले हमरी प्रीमियम सर्विस केवल 500 रूपये में 6 महीनो तक लेने के लिए 9518288171 पर मैसेज या कॉल करे | यह कदम उस क्षेत्र में भी हमारी आयात निर्भरता को बढ़ाएगा, जहाँ हम पहले से ही 60% से अधिक आयात पर निर्भर हैं। रियायती शुल्क पर खाद्य तेलों का आयात राष्ट्रीय खाद्य तेल (तिलहन) मिशन के अंतिम उद्देश्य को भी विफल कर देगा, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर आयात निर्भरता को कम करना है।

अमेरिका ने लगाया है जैविक सोयाबीन खली पर अधिक शुल्क
संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत से जैविक सोयाबीन खली के आयात पर 283.91 प्रतिशत का प्रतिपूरक शुल्क लगाया है, जो पहले 12 से 15 प्रतिशत की दर से बहुत अधिक है। इस भारी शुल्क के कारण, अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता में काफी कमी आई है। इसलिए, भारत सरकार से अनुरोध है कि वह इन शुल्कों को कम करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत करे, ताकि अमेरिकी बाजारों में भारतीय जैविक सोयाबीन खली के लिए उचित बाजार पहुंच सुनिश्चित हो सके।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।