अंग्रेजो के जाने के बाद पहली बार अनाज पर टैक्स - जाने किसानों और जनता पर इसका असर
आम आदमी पर कितना असर?
क्या बिल ना लेने पर भी देना होगा GST?
लेबल लगते ही लगेगा GST?
किसानों पर कितना फर्क़ ?
किसान साथियो ऐसा पहली बार हुआ है जब अँग्रेजी हुकूमत के जाने के बाद किसी सरकार ने अनाज पर टैक्स लगाया हो। अनाज पर कल से टैक्स लागू हो जाएगा। इससे आटा 130 रुपये प्रति क्विंटल व चावल 400 प्रति क्विंटल तक महंगा होगा
साथियो आजादी के बाद 75 वर्ष में पहली बार अनाज एवं अनब्रांडेड खाद्य वस्तुओं पर सोमवार से जीएसटी लागू हो जाएगी। अब चावल, आटा, गेहूं, मैदा, सूजी, दही, छाछ, लस्सी सहित अन्य प्री-पैक्ड अनाज, बीज आदि पर 5 प्रतिशत GST लगेगा। जाहिर सी बात है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से हर घर का बजट बिगड़ेगा। पहले ही घरेलू गैस सिलेंडर के दाम आसमान छू रहे हैं और अब आटा, चावल और दाल के दाम बढ़ने से उपभोक्ताओं पर महंगाई की दोहरी मार पड़ेगी।
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सोमवार से आटा के दाम 130 रुपए और बासमती चावल जो की ज्यादातर पेकिंग में ही आता है। बासमती के भाव 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ जाएंगे। गेहूं के आटा का दाम 2600 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। 5 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद उपभोक्ताओं को 2730 रुपए प्रति क्विंटल मिलेगा। एक अनुमान के अनुसार बासमती चावल का भाव चावल क्वालिटी के हिसाब से 8000-9500 रुपए प्रति क्विंटल है। 5% GST लागू होने के बाद इसके दाम बढ़कर 8400 से 8475 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएंगे।
व्यापारियों के अनुसार आजादी के बाद देश में पहली बार अनाज सहित अन्य खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया गया है। इससे पहले कभी भी दाल, चावल, आटा, गेहूं, मैदा, सूजी जैसी खाने पीने की चीजों पर टैक्स नहीं लगा था। व्यापारी अपनी दुकानों को बंद करके इसका विरोध जता रहे हैं इसीलिए शनिवार को बहुत सारी मंडियों में अनाजों की खरीद फरोख्त का कारोबार नहीं हुआ। व्यापारियों द्वारा बाजार बंद के कारण नरेला, बवाना और शहर के अन्य हिस्सों में थोक अनाज मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा। शहर की कई खुदरा अनाज मंडियां भी बंद रहीं।
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आम आदमी पर कितना असर
एक अनुमान के अनुसार लगभग 85 प्रतिशत घरों में अनब्रांडेड प्री पैक्ड खाने पीने की वस्तुओं का उपयोग किया जाता है अब ईन सभी सभी पर टैक्स चुकाना होगा ऐसे में जीएसटी लगने के बाद ईन सामानों की कीमतें बढ़ेगी। खास तौर पर शहरी परिवार पर कम से कम 800 से 1000 रुपए का भार आएगा। ज्ञातव्य है कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद ज्यादातर खाद्य उत्पाद जो कि दैनिक जरूरतों में शामिल हैं, इसे जीएसटी से अलग रखा गया था। लेकिन अब सभी प्रकार की खाने पीने की चीजें जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे। इससे बाजार में महंगाई बढ़ेगी। साथ ही लघु एवं कुटीर उद्योगों को भी महंगाई का सामना करना पड़ेगा। अनाज पर 18 जुलाई से 5 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद चावल, आटा, मैदा, सूजी, पोहा, दही, छाछ, लस्सी, सभी प्रकार के गुड़, फूला हुआ चावल (मुरी), चपटा या पीटा हुआ चावल, बीज आदि महंगे हो जाएंगे। उदाहरण के तौर पर आटे की बंद पैकिंग थैली खरीदने पर 5 प्रतिशत टैक्स लगने के बाद 25 किलो की थैली के पहले जहां 650 रुपए लगते थे अब 682.5 रुपए देने होंगे।
क्या बिल ना लेने पर भी देना होगा GST
साथियो अब सोचने वाली बात यहा है कि आमतौर पर आटे की थैली खरीदने पर दुकानदार पक्का बिल नहीं देता है तो भी क्या टैक्स लगेगा? साथियो व्यापारी चाहें पक्का बिल दें या ना दें लेकिन GST के नाम पर आपसे तो वसूली कर ही लेंगे क्योंकि अब दुकानदार जीएसटी लगाकर ही अब आटे के नए दाम तय करेंगे। ऐसे में आप पक्का बिल अवश्य प्राप्त करें।
लेबल लगते ही लगेगा GST
पैक खाद्य सामग्री पर लगा लेबल रजिस्टर्ड नहीं होने पर भी जीएसटी लगेगा। नोटिफिकेशन के अनुसार दुकानदार खाद्य वस्तु को पहले से पैक करके दुकान पर रखता है व लेबल लगाता है तो उस पर जीएसटी लग जाएगा। चाहे वो लेबल रजिस्टर्ड है या नहीं। ग्राहक के दुकान पर जाने के बाद पैकिंग करता है। तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। जीएसटी लगने से महंगाई और बढ़ेगी। इससे आम आदमी पर बोझ बढ़ेगा। पहले होटल कमरे के 1000 रुपए से कम किराए पर जीएसटी नहीं था। अब इस पर भी जीएसटी लगेगा। मिल से चावल या दाल खरीदने पर भी क्या जीएसटी लगेगी? सभी मिल संचालक अपनी फर्म के नाम से पैकिंग में ही चावल और दाल देते हैं। सभी पर टैक्स लगेगा। अगर गेहूं भी बंद पैकिंग में खरीदेंगे तो भी 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होगा।
किसानों पर कितना फर्क़
किसान साथियो अनाजों पर GST लगने के बाद अनाज का भाव बढ़ेगा। लेकिन बढ़े हुए भाव का फायदा किसान की बजाय सरकार को जीएसटी के रूप मे मिलेगा। किसान को इसका नुकसान होने की संभावना ज्यादा है। जीएसटी लगने के बाद व्यापारी लोग जीएसटी का पैसा काट कर ही किसान से अनाज खरीदेंगे। इससे किसान को उसकी फसल का कम भाव मिलने की संभावना ज्यादा है।