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साल में तीन बार कर सकते हैं इस चीज की खेती | 45 दिन में हो जाती है तैयार

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साल में तीन बार कर सकते हैं इस चीज की खेती | 45 दिन में हो जाती है तैयार

किसान भाइयों, हमारे देश में किसानों के पास कृषि के कई विकल्प होते हैं, जिनमें से मिर्च की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है, बल्कि किसानों के लिए एक आकर्षक मुनाफे का स्रोत बन सकती है। औरंगाबाद जैसे जिलों में किसान मिर्च की खेती करके अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रहे हैं और अपनी खेती की तस्वीर को बदल रहे हैं। यहां के किसान पारंपरिक फसलों के बजाय सब्जी की खेती पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि सब्जियों की खेती से उन्हें ज्यादा लाभ मिल रहा है। औरंगाबाद के किसान कृषि में नवाचार और नए तरीके अपनाकर अपनी आय में भारी इज़ाफा कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का भी मानना है कि मिर्च की खेती कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती है। और यदि चयन किसी खास किस्म का किया जाए तो यह किसानों को अत्यधिक मुनाफा दिला सकती है इस रिपोर्ट में हम मिर्च की इस खास किस्म की खेती के फायदे, लागत और मुनाफे के बारे में विस्तार से बात करेंगे। अगर आप भी मिर्ची की खेती करते हैं या करना चाहते हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। इसलिए आप इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ें। 

किसान कमा रहे लाखों रुपये

किसान भाइयों, औरंगाबाद जिले के किसान अपनी ज़मीन का अधिकतम उपयोग करते हुए विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती कर रहे हैं। खासकर कुटुंबा, बारुण, नबीनगर और ओबरा प्रखंडों में किसानों ने अब पारंपरिक फसलों से हटकर सब्जी की खेती पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। यह बदलाव किसान भाइयों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है क्योंकि सब्जी की खेती में अधिक रिटर्न मिलता है और फसल जल्दी तैयार होती है। औरंगाबाद के किसान मिर्च की खेती को एक बेहतरीन विकल्प मानते हैं, क्योंकि इस खेती से उन्हें काफी मुनाफा हो रहा है। कृष्ण कुमार मेहता, जो कुटुंबा प्रखंड के रिश्यप गांव के एक अनुभवी किसान हैं, उन्होंने मिर्च की खेती में अपने हाथ आजमाए। उन्होंने पहले 15 कट्ठा जमीन पर मिर्च की खेती की और उसे देखकर उनका मनोबल बढ़ा। इसके बाद, उन्होंने लीज पर जमीन लेकर 1 एकड़ में मिर्च की खेती शुरू की। कृष्ण कुमार बताते हैं कि मिर्च की खेती से उन्हें पहले से दोगुना अधिक मुनाफा हो रहा है। मिर्च की खेती ऐसी फसल है, जो कम समय में तैयार हो जाती है और इसमें जोखिम भी कम है, जो किसानों के लिए आदर्श साबित हो रही है।

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मिर्च की किस्म 60/13

किसान भाइयों, कृष्ण कुमार मेहता ने जिस मिर्च की किस्म का चयन किया, वह 60/13 है। यह किस्म खासतौर पर जल्दी तैयार होती है और इसकी उत्पादन क्षमता भी काफी अच्छी है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि मिर्च की इस किस्म को साल में तीन बार उगाया जा सकता है। यानी, एक साल में तीन फसलें ली जा सकती हैं। यह किसानों के लिए एक बहुत बड़ा लाभ है, क्योंकि एक ही साल में तीन बार मिर्च की फसल तैयार करने से मुनाफा बढ़ जाता है। मार्च, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर के महीनों में इस किस्म की मिर्च बोई जाती है। और यह मिर्च सिर्फ 45 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका मतलब है कि किसान हर साल तीन बार मिर्च की फसल उगाकर अच्छे मुनाफे का लाभ उठा सकते हैं।

मिट्टी का चयन

किसान भाइयों, मिर्च की खेती के लिए मिट्टी का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह पौधों की वृद्धि और उपज पर सीधे प्रभाव डालता है। मिर्च की खेती के लिए काली दोमट मिट्टी आदर्श मानी जाती है। इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अच्छी मात्रा होती है, जो पौधों को स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद करती है। काली दोमट मिट्टी में जल निकासी की उचित व्यवस्था होती है, जिससे मिर्च के पौधे सड़न और अन्य रोगों से बच सकते हैं। मिर्च की खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर भी महत्वपूर्ण होता है। आदर्श पीएच रेंज 5.5 से 7 के बीच होती है, क्योंकि इस रेंज में पौधे अच्छे से पोषक तत्वों का अवशोषण कर पाते हैं। इसके अलावा, वर्टीसोल्स (थोड़ा उच्च पीएच वाले) मिट्टी में भी मिर्च की खेती की जा सकती है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि मिट्टी की जल निकासी सही हो, ताकि मिर्च के पौधे स्वस्थ रहें।

जलवायु का महत्व

किसान भाइयों, मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु का होना बहुत जरूरी है। मिर्च की खेती के लिए आर्द्र और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। अधिक गर्मी और अधिक सर्दी दोनों ही मिर्च के पौधों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। गर्मियों के मौसम में तेज़ हवाओं के कारण मिर्च के पौधों पर बनने वाले फूल और फल खराब हो सकते हैं, जबकि सर्दियों में पड़ने वाला पाला मिर्च के पौधों को नुकसान पहुंचाता है। मिर्च के पौधों के लिए सामान्य तापमान सबसे आदर्श होता है। सामान्य तापमान पर मिर्च के पौधे अच्छे से बढ़ते हैं। इस पौधे को 35 डिग्री तापमान तक सहन कर सकते हैं, और सर्दियों में कम से कम 10 डिग्री तापमान पर भी यह अच्छी तरह से विकास कर सकते हैं। इसके अलावा, मिर्च के पौधों को अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है। सामान्य रूप से, मिर्च को अच्छे से उगाने के लिए ठीक-ठाक वर्षा और उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता होती है।

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लागत और मुनाफा

किसान भाइयों मिर्च की खेती में आने वाली लागत भी अन्य फसलों के मुकाबले अपेक्षाकृत कम है, जो किसानों के लिए एक बड़ा लाभ है। मिर्च की खेती शुरू करने के लिए प्रति एकड़ लगभग 25,000 रुपये का खर्च आता है, जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी का खर्च शामिल है। लेकिन इस खर्च के मुकाबले मिर्च की बिक्री से जो मुनाफा होता है, वह बहुत अधिक होता है। मिर्च का बाजार मूल्य थोक में 50 से 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकता है। इस हिसाब से, एक कट्ठा भूमि से किसानों को लगभग 10,000 रुपये का मुनाफा हो सकता है। कृष्ण कुमार मेहता ने 15 कट्ठा जमीन से मिर्च की खेती शुरू की थी और अब एक एकड़ भूमि पर मिर्च उगा रहे हैं। इस खेती से उन्हें पहले से ज्यादा मुनाफा हो रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि मिर्च का उत्पादन तेजी से होता है और इसका बाजार मूल्य भी स्थिर रहता है, जो किसान को अच्छा लाभ देता है।


नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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