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गेहूं में कब और कितनी बोरोन डालनी चाहिए | जाने बढ़िया उत्पादन लेने का फार्मूला

गेहूं में कब और कितनी बोरोन डालनी चाहिए | जाने बढ़िया उत्पादन लेने का फार्मूला
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किसान साथियों, गेहूं की फसल में अच्छी पैदावार लेने के लिए पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। इनमें से एक महत्वपूर्ण तत्व बोरोन है। यह एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जिसकी पौधों को बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है, लेकिन इसका असर काफी गहरा होता है। बोरोन पौधों की कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है और नई पत्तियों के विकास, परागण, निषेचन और बीज बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पौधों में बनने वाले भोजन (शर्करा) को पत्तियों से बीजों तक पहुंचाने का काम करता है, जिसे शर्करा का स्थानांतरण कहते हैं। यदि बोरोन की कमी हो जाए तो पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियां कमजोर और विकृत हो जाती हैं, और बालियों में दाने ठीक से नहीं बन पाते। इसलिए, बोरोन का संतुलित छिड़काव फसल की वृद्धि और उत्पादन में सुधार लाने में मदद करता है।

बोरोन की कमी के क्या है लक्षण
साथियो गेहूं में बोरोन की कमी का सबसे पहला संकेत पत्तियों पर दिखाई देता है। नई पत्तियां सीधी और सामान्य होने के बजाय टेढ़ी-मेढ़ी, पतली और उलझी हुई देखने को मिलती हैं। इन पत्तियों के किनारे आरी जैसे बन जाते हैं और उन पर छोटे-छोटे उभार (दाने) दिखने लगते हैं। अगर समय पर इस कमी को पूरा नहीं किया जाए, तो इसका असर बालियों पर भी पड़ता है। बालियां छोटी, टेढ़ी-मेढ़ी और कमजोर बनती हैं, जिनमें दाने या तो पूरी तरह नहीं बनते या फिर खाली रह जाते हैं। इसका सीधा असर उपज पर पड़ता है और फसल की पैदावार घट जाती है। कई बार ये लक्षण स्पष्ट नहीं होते, लेकिन बाद में बालियों का कमजोर और खाली रह जाना बोरोन की कमी का संकेत हो सकता है।

बोरोन का छिड़काव कब और कैसे करते है
बोरोन की कमी को दूर करने के लिए फसल में इसका छिड़काव करना आवश्यक है। सबसे प्रभावी परिणाम के लिए, बोरोन का छिड़काव बुवाई के लगभग 55 से 70 दिन बाद, बूट स्टेज पर करना चाहिए। इस अवस्था में, पौधे में बाली बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और ऊपरी पत्तियां खुलने लगती हैं। इस समय बोरोन का छिड़काव करने से निषेचन और बीज बनने की प्रक्रिया बेहतर ढंग से होती है। छिड़काव के लिए, 20% बोरोन को 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या 10.5% बोरोन (बोरेक्स) को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रयोग किया जा सकता है। ध्यान रखें कि बोरोन को गर्म पानी में घोलना आसान होता है। ठंडे पानी में घुलने में इसे अधिक समय लग सकता है।

बोरोन का छिड़काव करते समय ये सावधानियां बरते
छिड़काव करते समय कुछ सावधानियां रखना जरूरी है, ताकि इसका असर बेहतर हो और फसल को कोई नुकसान न पहुंचे। छिड़काव के लिए सुबह या शाम का समय सबसे उपयुक्त होता है, जब पत्तियों पर ओस न हो। अगर ओस होगी, तो घोल पत्तियों से नीचे गिर सकता है और उसका असर कम हो जाएगा। छिड़काव में बोरोन की मात्रा का खास ध्यान रखें। अधिक मात्रा में छिड़काव करने से पत्तियां झुलस सकती हैं और फसल को नुकसान हो सकता है। यह भी सुनिश्चित करें कि छिड़काव के दौरान पत्तियां पूरी तरह से भीग जाएं, ताकि घोल का अवशोषण अच्छे से हो सके और असर जल्दी दिखे।

किस मिट्टी में बोरोन की कमी अधिक पाई जाती है?
बोरोन की कमी ज्यादातर उन क्षेत्रों में पाई जाती है, जहां मिट्टी का pH 7.5 से ज्यादा होता है, यानी मिट्टी अल्कलाइन होती है। इसके अलावा, अत्यधिक अम्लीय (एसिडिक) मिट्टी में भी बोरोन की कमी देखी जाती है। सूखा पड़ने या मिट्टी में नमी की कमी होने पर भी यह समस्या होती है। ऐसे क्षेत्रों में बोरोन की कमी के लक्षण जल्दी और साफ दिखाई देते हैं। इसलिए, समय-समय पर मिट्टी की जांच करवाकर बोरोन की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है।

गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए क्या डाले
बोरोन का सही समय पर और सही मात्रा में छिड़काव करने से फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार होता है। फसल में बोरोन की कमी को दूर करने के लिए दो बार छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। पहला छिड़काव बूट स्टेज पर करें और दूसरा छिड़काव 10-15 दिन बाद दोहराएं। इससे बोरोन की निरंतर आपूर्ति बनी रहती है और पौधों की वृद्धि बिना किसी रुकावट के होती है। बोरोन के उपयोग से बालियां सीधी, लंबी और दानों से भरी होती हैं। इससे न केवल उपज की मात्रा बढ़ती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। फसल मजबूत बनती है और दाने मोटे, चमकदार और अच्छे वजन वाले बनते हैं।

इन बातो का रखे खास ख्याल
गेहूं की फसल के लिए बोरोन एक बेहद जरूरी पोषक तत्व है, जो कोशिकाओं के निर्माण, पत्तियों के विकास, निषेचन और बीज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से फसल की पत्तियां और बालियां विकृत हो सकती हैं, जिससे उपज पर बुरा असर पड़ता है। सही समय पर छिड़काव करके इस कमी को दूर किया जा सकता है। बूट स्टेज पर 20% बोरोन का 1 ग्राम या 10.5% बोरोन (बोरेक्स) का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार होता है। बोरोन के उपयोग से पौधों को सही पोषण मिलता है, जिससे बालियां सीधी, लंबी और दानों से भरी बनती हैं। छिड़काव के समय सावधानी बरतना, सही समय चुनना और घोल की मात्रा पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इस तरह बोरोन का उपयोग एक वैज्ञानिक और कारगर तरीका है, जिससे किसान अपनी गेहूं की फसल से अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।