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गेहूं की पीली पड़ रही पत्तियों के कारण और इलाज

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अगर गेहूं की पत्तियां पीली पड़ रही हैं तो करें ये इलाज
किसान साथियो इस साल रबी के सीज़न में बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती की जा रही है। गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। इन दिनों किसानों को गेहूं की फसल लगाए हुए 30 दिन के करीब हो चुके हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या ने किसानों को घेर रखा है और समस्या है है गेहूं की पत्तियों के पीले पड़ने की। यह संभावना है कि अधिकांश किसानों ने अपने उत्पादन के वर्षों में किसी बिंदु पर गेहूं में पीलापन - क्लोरोसिस - का अनुभव किया है। ऐसे कई कारक हैं जो पीलेपन का कारण बन सकते हैं और सही न होने पर उपज पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। आइए जानते हैं इसके क्या क्या कारण हैं और इसका क्या इलाज है। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

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नाइट्रोजन की कमी के कारण
किसान साथियो नाइट्रोजन की कमी के कारण भी गेहूँ की फसल की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। यदि आपने सही मात्रा में यूरिया का प्रयोग नहीं किया तो उपज में नाइट्रोजन की कमी हो सकती है। इसके अलावा बारिश अधिक होने से मिट्टी में नाइट्रोजन की भी कमी हो जाती है। इसलिए सही मात्रा में यूरिया का प्रयोग करके इससे बचा जा सकता है। पीलेपन का पहला सबसे आम कारण नाइट्रोजन की कमी ही है। कम यूरिया के प्रयोग के अलावा यूरिया डालने में देरी, लीचिंग के कारण नाइट्रेट के रूप में नाइट्रोजन की हानि, संतृप्त मिट्टी में विनाइट्रीकरण हानि आदि कुछ अन्य ऐसे कारण है जिनसे नाइट्रोजन की कमी पड़ जाती है। गेहूँ में नाइट्रोजन की कमी के लक्षणों को निचली पत्तियों के पीलेपन के रूप में पहचाना जाता है क्योंकि नाइट्रोजन पौधे के भीतर गतिशील होती है। नाइट्रोजन के अलावा पोटेशियम की कमी भी निचली पत्तियों में पीलापन पैदा कर सकती है। वास्तव में अंतर बताने के लिए मिट्टी का नमूना लेना होगा। हालाँकि, शुरुआत में, नाइट्रोजन की कमी से आपके गेहूं के पीले होने की संभावना अधिक होती है। यदि इस नाइट्रोजन की कमी को ठीक नहीं किया गया तो गेहूं की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोटैशियम की कमी से भी पत्तियाँ पीली पड़ सकती है। लेकिन ज्यादा संभावना नाइट्रोजन की कमी की ही रहती है। देखें आज के गेहूं/कनक के लाइव रेट wheat kanak gehu Live Rate Today 31 Dec 2022

कमी को कैसे पूरा करें: नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए यूरिया, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट (CAN), एनपीके उर्वरक, एजोस्पिरिलम, एजोटोबेक्टर जैव उर्वरक और कार्बनिक खाद आदि के इस्तेमाल किया जा सकता है.

सल्फर की कमी
पीले गेहूं का दूसरा सबसे आम कारण सल्फर की कमी है। किसानों के लिए नाइट्रोजन और सल्फर की कमी के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन सल्फर की कमी से पौधे के बढ़ने के साथ नई/ऊपरी पत्तियों में पीलापन आ जाता है। चूंकि सल्फर पौधे के भीतर आसानी से नहीं जाता है, नई कल्लो /फुटाव में कमी के लक्षण दिखाई देंगे। सल्फर की कमी नाइट्रोजन के समान कारणों से हो सकती है। कम तापमान मिट्टी का खनिजकरण को कम करता है, भारी वर्षा के कारण सल्फेट के रूप में नुकसान होता है, और या फिर उर्वरक का कम इस्तेमाल भी इसकी एक वज़ह हो सकता है। यदि सल्फर की कमी के कारण पत्तियाँ पीली पड़ी है तो अतिरिक्त यूरिया का प्रयोग भी कमी को ठीक नहीं करेगा देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 31 Dec 2022

गेहूं में गंधक (Sulphur) की कमी को दूर करें – गंधक (Sulphur) की कमी को दूर करने के लिये गंधक युक्त उर्वरक जैसे अमोनियम सल्फेट अथवा सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग अच्छा रहता है। जस्ते की कमी वाले क्षेत्रों में जिंक सल्फेट 10कि.ग्रा./एकड़ की दर से धान-गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में साल में कम से कम एक बार प्रयोग करें। यदि इसकी कमी के लक्षण खड़ी फसल में दिखाई दें तो 40 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट तथा 200 ग्रा. बुझा हुआ चूना 80 ली. पानी में घोलकर 2-3 छिडक़ाव करें। इसके बाद आवश्यकतानुसार एक सप्ताह के अंतर पर 2-3 छिडक़ाव साफ मौसम एवं खिली हुई धूप में करें। मजबूत संकेतों के बावजूद सरसों में नरमी | देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

अत्याधिक सिंचाई या जल भराव
साथियो सिंचाई के दौरान कई बार ऐसा हो जाता है कि गेहूं की फसल में जरूरत से ज्यादा पानी आ जाता है जिसके कारण गेहूं की जड़ को कई दिन तक हवा नहीं मिल पाती है। जिससे गेहूं की फसल के पत्ते पीले होने लगते हैं। ऐसे में आपको ध्यान रखना है कि गेहूं की फ़सल में जरूरत के हिसाब से ही पानी दिया जाए।