गेहूं में 90 मण का उत्पादन लेना है | तो बुवाई के समय कर लें ये तीन काम
किसान साथियों, 1 नवंबर से गेहूं की बुआई का श्री गणेश हो चुका है। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार से विधिपूर्वक कृषि के कार्यों का पालन करके और सावधानीपूर्वक अपनी फसल की देखभाल करके अधिक से अधिक उपज अपने गेहूं की फसल से प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आज की रिपोर्ट में हम उन कारकों पर भी चर्चा करेंगे जिनसे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है। आप अपनी फसल की गुणवत्ता में सुधार करके फसल के उत्पादन को बंपर स्तर तक कैसे पहुंचा सकते हैं, यह भी बताएंगे। फसल चक्र, खेत की जुताई की सही विधि, सीमित मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता, उत्तम किस्म का चुनाव, बीज उपचार की विधि, सिंचाई का सही तरीका और खरपतवार नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण कृषि कार्यों को विधिपूर्वक करके आप अपने उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इस साल आपकी फसल से अधिक से अधिक मुनाफा हो, यही हमारी कामना है। इन उपायों का सही ढंग से पालन करने से न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि आपकी आय में भी अच्छी खासी वृद्धि होगी। तो, आइए इन सब बातों पर विस्तारपूर्वक चर्चा के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट। पाम में आई तूफ़ानी तेजी की क्या है वजह | और कितना तेज होगा पाम तेल ? जाने इस रिपोर्ट में
1. फसल चक्र
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में कम उत्पादन का एक सबसे बड़ा कारण फसल चक्र में बदलाव न करना भी है। किसान भाई एक ही खेत में लगातार गेहूं की बुआई बार-बार करते हैं। यदि आप लगातार एक ही खेत में हर साल गेहूं की बुआई करेंगे तो मिट्टी की उर्वरक शक्ति में कमी आएगी, जिसके कारण फसल के विकास, गुणवत्ता और उत्पादन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। फसल चक्र को सही तरीके से अपनाना, यानी आप अपने खेत में एक साल गेहूं और अगले साल किसी अन्य फसल की बुआई करें। इससे मिट्टी में सभी पोषक तत्वों की मात्रा संतुलित रहती है और मिट्टी का पीएच मान भी सही बना रहता है, जो खेत की उर्वरक शक्ति को बनाए रखने में सहायता करता है। फसल चक्र को विधिपूर्वक अपनाने से फसल रोगों और कीटों के प्रकोप से भी बची रहती है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है, जो किसान की आय को बढ़ाने में मदद करता है।
2. खेत की तैयारी
किसान साथियों, गेहूं की फसल में ज्यादा उत्पादन लेने के लिए खेत की तैयारी सही तरीके से करना बहुत ही जरूरी है। अगर आप बुआई से पहले खेत की अच्छी प्रकार से जुताई नहीं करेंगे तो आपकी फसल अंकुरण के समय से ही कमजोर होगी। आप जुताई के समय पिछली फसल के अवशेषों को मिट्टी में सही तरीके से मिलाएं। अन्यथा उन अवशेषों के कारण आपकी फसल में दीमक और अन्य हानिकारक कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है। खेत की सही जुताई और रोटावेटर का उपयोग करने से मिट्टी में सुधार होता है और मिट्टी में नमी की मात्रा बनी रहती है, जिससे फसल का अंकुरण सही प्रकार से होता है। अगर फसल का अंकुरण बढ़िया होगा तो पौधों का विकास भी सही प्रकार से होगा और फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी स्वाभाविक है।
3. खाद का सही मात्रा में प्रयोग
किसान साथियों, अगर आप चाहते हैं कि आपकी गेहूं की फसल अत्यंत गुणकारी और अधिक उत्पादन वाली हो, तो आपको अपनी फसल के बेहतर विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व संतुलित मात्रा में अपने खेत में डालने होंगे। बेसल डोज में आप उचित मात्रा में डीएपी डालें; प्रति एकड़ एक बैग डीएपी का डाल सकते हैं। इससे पौधों की जड़ों के विकास में मदद मिलती है। इसके अलावा, नाइट्रोजन और पोटाश का संतुलित प्रयोग भी आवश्यक है, क्योंकि यह पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक होते हैं। साथ ही सल्फर, जिंक, और मैग्नीशियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। अगर आप इन सभी पोषक तत्वों का संतुलित मात्रा में उपयोग करते हैं तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होनी संभव है। पाम में आई तूफ़ानी तेजी की क्या है वजह | और कितना तेज होगा पाम तेल ? जाने इस रिपोर्ट में
4. उचित किस्म का चयन
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में अधिक उत्पादन लेने के लिए आपके क्षेत्र और मिट्टी के अनुसार सही किस्म का चयन करना भी बंपर उत्पादन के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि आप उत्तर भारत में हैं, तो श्रीराम सुपर 303 या अजीत 349 जैसी किस्में आपके लिए अनुकूल हो सकती हैं। ये किस्में उन्नत उत्पादन क्षमता वाली होती हैं और बेहतर अनुकूलता के कारण उच्च उपज देने में सक्षम हैं। बुआई का समय भी महत्वपूर्ण है; जल्दी और देर से बुआई के आधार पर उपयुक्त किस्में चुनें ताकि फसल की विकास दर बेहतर बनी रहे और उत्पादन में वृद्धि हो।
5. बीज उपचार
किसान साथियों, फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने के लिए बीज उपचार एक बहुत ही जरूरी प्रक्रिया है जो फसल की बीमारियों से बचाव करती है और उत्पादन को बढ़ाती है। बीज को फंगस और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए थायरम और कांटेक्ट फंगीसाइड जैसे रसायनों का प्रयोग करें। यह बीज के आसपास की मिट्टी को फंगस और रोगाणुओं से सुरक्षित रखता है। यह न केवल फसल की जड़ों को स्वस्थ रखता है बल्कि पूरे पौधे के विकास को बेहतर बनाता है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और फसल का स्वास्थ्य बना रहता है।
6. सिंचाई का सही प्रबंधन
किसान साथियों, सही सिंचाई प्रबंधन से फसल की वृद्धि दर में सुधार होता है और यह उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाता है। पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन बाद करनी चाहिए और उसके बाद हर 15-20 दिनों में सिंचाई का चक्र अपनाना चाहिए। इसके साथ ही, फसल के महत्वपूर्ण चरण जैसे कूट-फूट और बालियाँ बनने के समय विशेष ध्यान से सिंचाई करें। इससे फसल की जड़ें गहरी और मजबूत बनती हैं, जिससे पौधे की संपूर्ण वृद्धि होती है और उत्पादन स्तर ऊँचा होता है। पाम में आई तूफ़ानी तेजी की क्या है वजह | और कितना तेज होगा पाम तेल ? जाने इस रिपोर्ट में
7. खरपतवार नियंत्रण
किसान भाइयों, फसल के विकास और उत्पादन को बढ़ाने में खरपतवार का नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। खरपतवारों के प्रकोप के कारण आपकी फसल की गुणवत्ता भी खराब होती है। खरपतवार किसानों के लिए अत्यंत गंभीर समस्या हैं, जो पौधों के लिए मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को छीन लेते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए आपको प्रत्येक 25 से 30 दिनों में खेत में निराई करनी चाहिए या फिर आप खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवार नाशकों का छिड़काव भी कर सकते हैं, जिससे आप खरपतवारों से अपनी फसल को बचाकर अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।