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ठंड न पड़ने से गेहूं की फसल पर पड़ सकता है असर | दिसंबर महीने में ठंड का कोई अता पता नहीं

ठंड न पड़ने से गेहूं की फसल पर पड़ सकता है असर | दिसंबर महीने में ठंड का कोई अता पता नहीं
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किसान साथियो सर्दियों का मौसम अपने ठंडे दिन और ठिठुरती रातों के लिए जाना जाता है। लेकिन इस साल दिसंबर के शुरू होने के बावजूद भी ठंड का असर अब तक कमजोर ही नजर आ रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल सर्दियों के दौरान तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। यह न केवल सर्दियों के अनुभव को प्रभावित करेगा, बल्कि रबी की फसलों और देश के कृषि पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है।

सर्दियों में तापमान का नया ट्रेंड
IMD ने यह खुलासा किया है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच देश के ज्यादातर हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि इस अवधि में सर्दी के मौसम का पारंपरिक स्वरूप देखने को नहीं मिलेगा। खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे उत्तरी राज्यों में ठंड कम पड़ेगी, जहां आमतौर पर इस समय कड़ाके की ठंड का अनुभव होता है। इसके अलावा, IMD ने यह भी बताया कि नवंबर 2024 का महीना 1901 के बाद से अब तक का सबसे गर्म नवंबर दर्ज किया गया है। इस तथ्य ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों पर चिंता को और बढ़ा दिया है।

कोल्डवेव की कमी: एक असामान्य परिदृश्य
सर्दियों के दौरान कोल्डवेव (ठंड के तीव्र दौर) एक आम घटना है, खासकर उत्तर भारत में। लेकिन IMD का अनुमान है कि इस साल कोल्डवेव के दिन सामान्य से कम रहेंगे। यह न केवल आम जनजीवन को बल्कि कृषि पर भी सीधा असर डालेगा। रबी की फसलों, जिनमें गेहूं और दालें प्रमुख हैं, को ठंडे तापमान की जरूरत होती है। ठंड की कमी से फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

रबी फसलों पर प्रभाव
रबी फसलें, खासतौर पर गेहूं, ठंडे मौसम में पनपती हैं। इन फसलों को अंकुरण, विकास और उपज के लिए सर्द और स्थिर तापमान की आवश्यकता होती है। यदि तापमान सामान्य से अधिक रहता है, तो इसका सीधा प्रभाव फसल के विकास और उपज पर पड़ेगा।
1. अंकुरण में बाधा: अधिक तापमान से गेहूं और दालों के बीजों का अंकुरण प्रभावित हो सकता है। इससे पौधों की संख्या में कमी आ सकती है।
2. फसल की वृद्धि में कमी: ठंड की कमी से पौधों की वृद्धि धीमी हो सकती है, जिससे उपज में गिरावट आ सकती है।
3. रोग और कीट प्रकोप का बढ़ना: गर्म तापमान रोग और कीट प्रकोप के लिए अनुकूल होता है, जो फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
4. गुणवत्ता में गिरावट: उच्च तापमान से फसलों के दाने समय से पहले सूख सकते हैं या उनका आकार छोटा हो सकता है, जिससे बाजार में उनकी कीमत प्रभावित हो सकती है।

दक्षिण भारत में अपवाद
जहां देश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है, वहीं South Peninsular India के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से कम रह सकता है। यह इन क्षेत्रों के किसानों के लिए राहत की बात हो सकती है। ठंडा तापमान इन इलाकों की फसलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन का असर
यह नया मौसम चक्र जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। बढ़ते वैश्विक तापमान, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और अनियमित मौसम चक्रों ने सर्दियों का परंपरागत स्वरूप बदल दिया है। नवंबर 2024 का सबसे गर्म महीना होना इस बात का प्रमाण है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल एक अवधारणा नहीं बल्कि एक सच्चाई बन चुका है।

किसानों के लिए सुझाव
रबी फसलों को उच्च तापमान के प्रभाव से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. सिंचाई प्रबंधन: फसल को समय पर पानी देना सुनिश्चित करें। मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए फव्वारा सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है।
2. फसल की निगरानी: फसल पर नियमित रूप से नजर रखें और कीट या रोगों के शुरुआती संकेत मिलने पर तुरंत उपचार करें।
3. उन्नत बीजों का उपयोग: ऐसे बीजों का चयन करें जो उच्च तापमान और कीट प्रतिरोधी हों।
4. खरपतवार नियंत्रण: समय-समय पर खेत से खरपतवार हटाकर फसल को पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करें।
5. मल्चिंग: मल्चिंग तकनीक का उपयोग करके मिट्टी की नमी और तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।

आम जनता के लिए सर्दी का अनुभव
इस बार सर्दियों में सामान्य से अधिक तापमान का मतलब है कि ज्यादातर लोग हल्के कपड़ों में सर्दियां बिताएंगे। ठिठुरती रातों और गर्म चाय की चुस्कियों का आनंद लेने वाले लोगों को इस बदलाव का एहसास जरूर होगा। हालांकि, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में ठंड का अनुभव सामान्य से अधिक हो सकता है, जिससे वहां के निवासियों को ठंड का पारंपरिक अनुभव मिलेगा।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।