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धान की फसल में बारिश का अधिक पानी होने पर क्या करे किसान | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

धान की फसल में बारिश का अधिक पानी होने पर क्या करे किसान  | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान सथियो कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, किसानों के लिए अपने खेतों में उचित जल निकासी व्यवस्था करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होगी, तो बारिश या सिंचाई के पानी का निकास नहीं हो पाएगा और खेतों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। जलभराव से फसलों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है, जैसे कि जड़ों का सड़ना, पौधों का पीला पड़ना और फसल उत्पादन में कमी आना। इसलिए, खेतों में जल निकासी को सुधारने से फसलों को होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है और किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

धान में अधिक पानी होने से क्या नुकसान होता है 
धान की फसल के गिरने और खेतों में जलभराव होने से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जलभराव की स्थिति फंगस के विकास के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती है, जिससे धान के दानों का रंग बदल सकता है और चावल निकालते समय दाने टूट सकते हैं। इससे धान की गुणवत्ता और किसानों की आय दोनों प्रभावित होती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को तुरंत खेतों से पानी निकालने के उपाय करने चाहिए। इसके अलावा, गिरती फसल और जलभराव की स्थिति में भूरा फुदका नामक कीड़ा भी धान के पौधों पर हमला कर सकता है। यह कीड़ा पौधों के तने से रस चूसकर उन्हें कमजोर बना देता है और धीरे-धीरे पूरे पौधे को नष्ट कर सकता है। इससे फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं। किसानों को इस कीड़े के प्रकोप को रोकने के लिए उचित कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए और कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए।

धान फसल को अधिक पानी से कैसे बचाये 
किसानों को धान की फसल को बचाने के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय अपनाने चाहिए। एक तरीका है कि धान के 10-12 पौधों को एक साथ बांध दिया जाए। ऐसा करने से हवा का आवागमन बेहतर होता है और दाने मिट्टी के सीधे संपर्क में नहीं आते, जिससे फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, किसान धान के खेत में जगह-जगह बांस लगाकर उन्हें रस्सी से बांध सकते हैं। यह तकनीक गिर चुके धान के पौधों को सीधा करने में मदद करती है, जिससे फसल को अधिक सुरक्षा मिलती है और नुकसान कम होता है। ये दोनों ही तकनीकें किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।