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धान में 20% पैदावार बढ़ाने के लिए करें यह असान और सस्ता इलाज | फूटेंगे भरपूर कल्ले

फूटेंगे भरपूर कल्ले
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धान में फुटाव ज्यादा लंबाई कम
 
किसान साथियों धान की रौपाई लगभग पूरी हो चुकी है और किसान भाई धान के कल्लों और फूटाव को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के केमिकल और दवाइयां का प्रयोग करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें उम्मीद के अनुसार फायदा नहीं होता,आज हम बात करेंगे धान में ज्यादा से ज्यादा फुटाव किस प्रकार किया जा सके और धान की ज्यादा लंबाई को कैसे रोका जा सके।धान की वैरायटी बासमती हो, हाइब्रिड हो या फिर पीआर अगर कद, लंबाई, हाइट ज्यादा हो तो पौधों के गिरने का खतरा बना रहता है डर लगता है यदि तेज हवा आती है या खेत में पानी अधिक हो गया तो फसल में नुकसान होने का खतरा बना रहता है। इसी कारण बासमती धान में कुछ किसान पौधों की लंबाई ज्यादा होने पर 50-55 दिन पर लेबर से पत्ते कटवाते हैं, और वह पौधे दोबारा फिर बड़े हो जाते हैं जिससे फसल पर आने वाला खर्च तो बढ़ता ही है साथ में समय की भी बर्बादी होती है। साथ ही फसल की पैदावार पर भी असर पड़ता है। किसान भाई सोचते हैं कि अगर किसी तरह से पौधों का कद कम हो जाए पौधे की वही एनर्जी कल्ले बढ़ाने
में लग जाए तने की गांठों का अंतर कम हो जाए तना थोड़ा मजबूत हो जाए, फाइनली फसल
 गिरे नही,पैदावार बढ़ जाए खर्चा और मेहनत ना के बराबर हो। कुछ कृषि विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हमने इसका कारण और समाधान पता करने की कोशिश की।

लंबाई अधिक होने का कारण

अगर आपके पौधों की लंबाई ज्यादा बढ़ रही है तो उसका कारण है पौधे के अंदर जिबरेलिन नाम का हार्मोन।जिसकी
बायोसिंथेसिस पौधे के अंदर कुदरती होती है, इसी हार्मोन के कारण धान के पौधों की लंबाई ज्यादा हो जाती है जिसका असर फसल की पैदावार पर भी पड़ता है 

क्या है समाधान

इस हार्मोन कि बायोसिंथेसिस को
रोकने के लिए भी एक केमिकल है जिसका नाम है पैक्लोबूत्राजोल जो मार्केट में 23% और 40% फॉर्मूलेशन में उपलब्ध है
पैक्लोबूत्राजोल पौधों की इम्युनिटी और रेजिस्टेंस को बढ़ाता है। इसके प्रयोग से
 पौधों का फोकस प्रोडक्शन पर ज्यादा होता है जिससे पैदावार
बढ़ती है हरियाली बढ़ती है। जब कल्ले फूटने शुरू हो तो पैक्लोबूत्राजोल का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रयोग से धान की फसल की लंबाई कम होनी शुरू हो जाती है और फुटाव ज्यादा होता है। जब आपकी फसल 22-25 दिन की हो जाए तो आप 50 मिलीलीटर पैक्लोबूत्राजोल 40% वाली को
यूरिया में मिलाकर डाल सकते हैं । पैक्लोबूत्राजोल का मेन काम जिबरेलिन की बायोसिंथेसिस को रोकना है।

प्रयोग करने की विधि

 पैक्लोबूत्राजोल का आप स्प्रे भी कर सकते हो और जड़ के द्वारा भी दे सकते हो, इसको आप यूरिया में मिलाकर भी डाल सकते हो।यूरिया में मिलाने का एक तरीका है कि पहले दवाई को थोड़े
पानी में मिला लो आधी दवा को यूरिया में डाल दो और अच्छी तरह से काट मार लो मतलब कि दवा हर एक दाने के ऊपर चढ़ जाए फिर आधी दवा को दोबारा फिर उसी यूरिया के ऊपर
डाल दो और अच्छी तरह से मिलाओ फिर एक ही बारी में खेत में बिखेर दे। अगर आपने बासमती की खेती कर रखी है तो आप इस दवा का प्रयोग रेत मिलाकर भी कर सकते हैं क्योंकि बासमती धान में अधिक यूरिया हानिकारक हो सकती है।

कितनी मात्रा में डालें और कब डालें 

धान की लंबाई को कंट्रोल में रखने के लिए पैक्लोबूत्राजोल 40 % की 50 एमएल और 23% की 100 एमएल मात्रा को रेत में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए।क्योंकि यूरिया का ज्यादा प्रयोग हम बासमती में कर नहीं सकते ,वैसे इस प्रोडक्ट
को एक बारी तो प्रयोग करना ही चाहिए लंबे समय वाली लंबे कद वाली वैरायटी में 30 दिन तक तो इसका प्रयोग कर ही लेना चाहिए।रेत में दवा को मिलाने का
भी एक तरीका है रेत में दवा मिलाने के लिए पहले थोड़ी रेत में आधी दवा को अच्छी तरह
मिला लो फिर उसी आधी दवा को उसी रेत में फिर दोबारा मिला
लो और फिर कटाई कर लो जब दवा थोड़ी रेत में अच्छी तरह से मिक्स हो जाए जैसे हर एक
दाने पर परत चढ़ जाए फिर इस दवा वाली रेत को सारी रेत के ऊपर एक सार बराबर मात्रा
में डालकर फिर सारी रेत को मिलाकर खेत में एक सार डालना है एक सार मिलाना जरूरी है नहीं तो जहां पर दवा ज्यादा डल जाएगी वहां पौधे कुछ ज्यादा ही छोटे हो जाएंगे और हमें उम्मीद के अनुसार फायदा नहीं होगा।

फायदा क्या होगा

इस दवा का प्रयोग करने से धान के पौधों में कल्ले फुटने लगते है, और तना और जड़े मजबूत होती हैं कृषि विशेषज्ञो के अनुसार अगर यह दवा आपकी फसल पर असर दिखाती है और कल्लो में 10% की भी बढ़ोतरी होती है तो उसका मतलब है कि आपकी पैदावार 10% बढ़ रही है और तना मजबूत होता है जिससे पौधों के गिरने की संभावना बहुत कम हो जाती है।


हमने यह जानकारी सार्वजनिक तथ्यों से इक्ट्ठा की है अपनी फसल में किसी भी प्रकार की दवाई या केमिकल का प्रयोग करने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह जांच पड़ताल करले। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य ले।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।