कपास में जान डालदेगा यह आखिरी स्प्रे | उत्पादन के टूटेंगे सारे रिकॉर्ड | पड़ौसी भी पूछेंगे क्या डाला भाई
किसान भाइयों कपास की फसल लगभग 100 से 120 दिन की हो चुकी है। थोड़े दिन में आपकी फसल तैयार हो जाएगी लेकिन उससे पहले कुछ ऐसे उपाय करने हैं जो आपके उत्पादन में आपके चार चाँद लगा सकते हैं। आखिरी समय में फसल की देखभाल बहुत जरुरी है इसलिए आज हम चर्चा करेंगे कि कपास में आखिरी स्प्रे कब करनी चाहिए। साथियो यह समय कपास की फसल में फ्लॉवरिंग और फ्रूटिंग का समय है, इस समय हमें फसल पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है और पौधों को भी इस समय अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है और बीमारियों से भी फसल को बचाना बहुत जरूरी होता है। इसलिए इस समय कपास की फसल को खुराक और इलाज देना बहुत ही जरूरी होता है,क्योंकि यह टाइम फ्रूटिंग का टाइम होता है। टिंडे काफी ज्यादा लग चुके होते हैं और उनको भी खुराक चाहिए और जो नए टिंडे बनने शुरू होते हैं तो नए टिंडे बनने के लिए भी खुराक अच्छी चाहिए, साथ ही आपको बीमारियों की रोकथाम के लिए भी उपाय करने जरूरी हैं तो खुराक का एक खाद का स्प्रे तो आपको करना ही करना है। आज की रिपोर्ट में हम जानने की कोशिश करेंगे कि वह कौन से उत्पाद हैं जिनसे हम अपनी फसल को बीमारियों से बचाकर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते, तो आईए जानते हैं आज की रिपोर्ट में। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
अधिक उत्पादन का क्या है फार्मूला
साथियो अगर आप चाहते हैं कि आगे चलकर आपकी फसल का उत्पादन अच्छी मात्रा में हो सके, और पौधों पर टिंडो की संख्या अधिक से अधिक बने, तो आपको इस आखिरी चरण में एक स्प्रे करना बहुत ही जरूरी है। आखिरी चरण में आप कोई भी लिक्विड, जिसमें फर्टिलाइजर आते हैं वह ले सकते हो, एनपीके के साथ में दूसरे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स जैसे कि जिंक, मैग्नीशियम सल्फेट, ,बोरोन और कैल्शियम आदि ये ऐसे सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कपास की फसल के लिए बहुत ही जरूरी है, अगर ये सभी तत्व आपको ऑल इन वन, मिक्स एक बोतल में मिल जाते हैं तो आप उसका स्प्रे कर सकते हैं। अन्यथा आप NPK 13-00 -45 मात्रा 1 किग्रा, जिंक 100 ग्राम जो चिलेटेड फॉर्म में आता है, मैग्नीशियम सल्फेट 1 किग्रा और बोरोन 100 ग्राम लेना है । अगर आपके नरमा की हाइट काफी ज्यादा है तो आप इसके साथ में कोई भी PGR को मिक्स करके स्प्रे जरूर करें ताकि उसके ऊपर से फूल फल नीचे ना गिरे और उसके ऊपर जो फूल और फल लगे हुए हैं उनका साइज बढ़े उनका वेट बढ़े, न की पौधे की हाइट बढे। कोई भी स्प्रे करने से पहले आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि खेत में नमी अच्छी पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए तभी आपको स्प्रे का रिजल्ट अच्छा मिल पाएगा। अगर आपके खेत में नमी कम है तो पहले आप अपनी फसल में सिंचाई करें पानी दें उसके बाद में ही स्प्रे करना चाहिए। फल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने के लिए आखिरी चरण में यह एक स्प्रे करना बहुत ही जरूरी है।
बीमारियों से बचाव
साथियों इस समय बरसात का मौसम चल रहा है और बरसात के मौसम में फसल में अनेको बीमारियां आ जाती है, इसलिए आपको यह पता होना चाहिए कि आपकी फसल में आपके नरमा कपास में कौन से इंसेक्ट हैं कौन सी बीमारियां लगी हुई है। अगर आपको बीमारी का ज्ञान नहीं होगा तो आपको सप्रे का चुनाव करने में परेशानी आ सकती हैं । इसलिए आपको रोग के हिसाब से अच्छे कीटनाशक का ही चुनाव करना पड़ेगा । अच्छे कीटनाशक का चुनाव इसलिए जरूरी है क्योंकि ये लास्ट का स्प्रे है तो कम से कम 15 दिन का रिजल्ट तो हमें चाहिए ही चाहिए होगा । आईए जानते हैं कपास में लगने वाली कुछ प्रमुख बीमारियों और उनके क्या क्या उपाय हो सकते हैं । चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
1. वाइट फ्लाई: इस रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियों पर चमकीले धब्बे दिखाई देने लगते हैं और पौधों की वृद्धि भी रुक जाती है। इस बीमारी के बारे में आप आसानी से पता लगा सकते हैं, इस रोग के लगने पर पत्तियों के नीचे की तरफ छोटे कीट दिखाई देते हैं, यह कीट पौधों के रस को चूस लेते है जिससे पौधों की ग्रोथ पर असर पड़ता है और उत्पादन भी अधिक मात्रा में प्रभावित होता है। इस रोग से बचने के लिए आपको पायरी प्रोक्सी फेन और डाईफेंथियूरान सबसे घातक कीटनाशक होते हैं। सफेद मक्खी के लिए इन दोनों का कॉमिनेशन आता है। जो एसलआर 525 के नाम से आता है। आप इसकी 400 ग्राम मात्रा 250 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें। आपको इसका अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा।
2. फंगस: अगर आपकी फसल में फंगस का अटैक लग रहा है, तो फंगस के लिए आपको किसी अच्छे फंगीसाइड का प्रयोग करना चाहिए। यह बीमारी पौधों की पत्तियों को कमजोर कर देती है। इसके प्रभाव में आने से पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं, पतियों का रंग पीला हो जाता है और पौधा कमजोर होने लगता है। इसके उपचार के लिए आप कार्बेंडाजिम या मैनकोजेब की 400 से 500 ग्राम मात्रा ढाई सौ लीटर पानी के साथ 1 एकड़ में स्प्रे करना है। इसका भी अच्छा खासा लंबा रिजल्ट हमें मिलता है।
3. गुलाबी सुंडी: अगर आपकी फसल में गुलाबी सुंडी का अटैक है, तो इसे पहचानना बहुत ही आसान है, गुलाबी सुंडी का अटैक होने पर पौधों के फूलों और फलों पर गुलाबी रंग के कीट दिखाई देते हैं। यह कीट पौधों के फूलों और फलों को खराब कर देते हैं जिसके कारण फूल टूट कर गिर जाते हैं और फसल में नया फल नहीं बन पाता। इस रोग को समय रहते कंट्रोल करना बहुत जरूरी है नहीं तो वह बहुत ज्यादा नुकसान कर देगी वैसे तो गुलाबी सुंडी को स्टार्टिंग से ही कंट्रोल कर लेना चाहिए लेकिन आपने पहले कंट्रोल नहीं किया या फिर कोई कीटनाशक डाला था और काफी टाइम हो जाने पर फिर से गुलाबी सुंडी आपको टिंडो के अंदर दिखाई देती है, तो आप प्रोक्लेम के नाम से इमा मेक्टिन बेंजोएट नामक कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए, इसको आप 100 ग्राम एक एकड़ में 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते है। यह गुलाबी सुंडी की सबसे सस्ती दवाई आती है जो आपके बजट में भी फिट बैठती हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सावधानी: भाइयों कई बार हमारे किसान भाई समय और पैसा बचाने के लालच में सभी कीटनाशकों को मिक्स करके एक ही स्प्रे कर देते हैं, जिसके कारण पूरी फसल नष्ट हो जाती है, अगर आप इनको मिक्स करके स्प्रे करते हो तो यह आप अपने रिस्क पर ही करें, अगर आपकी फसल में अलग-अलग बीमारियां हैं तो आप उनकी अलग-अलग स्प्रे करें। किसी भी दवाइयां या कीटनाशक का प्रयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें और फैसला अपने विवेक और समझ से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।