चने में आ सकती है तेजी। जानिए क्या कहती है बाजार की चाल
किसान साथियों, भारतीय दालों का बाजार हमेशा से ही किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण रहा है। खासकर चना, जो भारतीय खानपान का एक अहम हिस्सा है, इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। पिछले कुछ हफ्तों में देसी चने के भाव में उतार-चढ़ाव देखने को मिला, लेकिन अब लगता है कि बाजार में एक बार फिर तेजी आने वाली है। ऑस्ट्रेलियाई चने के आयात में कमी और घरेलू स्टॉक की सीमित उपलब्धता के चलते देसी चने के दामों में इजाफे की संभावना है। वहीं, अगर काबुली चने की बात करें तो काबुली चने की स्थिति थोड़ी अलग है। काबुली चने में पिछले साल के मुकाबले इस बार उत्पादन लगभग समान रहा है, लेकिन बाजार में मांग की कमी और पुराने स्टॉक की अधिकता के कारण भाव में गिरावट देखी गई। हालांकि, अब यह माना जा रहा है कि काबुली चने के भाव और नीचे नहीं जाएंगे और आने वाले महीनों में इसमें भी सुधार हो सकता है। इस रिपोर्ट में हम देसी चना, काबुली चना और बाजार की मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
चने में अब तेजी की उम्मीद
पिछले कुछ समय से देसी चने के बाजार में मंदी का दौर चल रहा था। ऑस्ट्रेलिया से सस्ते दामों पर चने के आयात और घरेलू बाजार में आवक बढ़ने के कारण भाव में गिरावट देखी गई। लेकिन अब स्थिति बदलती नजर आ रही है। ऑस्ट्रेलियाई चने के आयात में कमी आई है और घरेलू स्टॉक भी सीमित है, जिसके चलते देसी चने के दामों में सुधार की संभावना है। देखा जाए तो अभी मांग थोड़ी ठंडी है, लेकिन जिन व्यापारियों ने सब्र किया और जो किसान अब भी माल रोककर बैठे हैं, उनके लिए ये बाजार जल्दी ही रंग दिखा सकता है। सरकारी खरीद और आयात पर ड्यूटी जैसे फैक्टर मिलकर आने वाले हफ्तों में चने के भाव को ऊपर खींच सकते हैं। दाल मिलों में जैसे ही डिमांड बढ़ेगी, भावों में मजबूती आएगी। व्यापारी भाइयों को सलाह यही है — जल्दबाज़ी न करें, मंडी के हालात पर नज़र रखें, और भाव नीचे होने पर भी घबराएं नहीं।
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राजस्थान और मध्य प्रदेश का चना मजबूत
राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश भारत के प्रमुख चना उत्पादक राज्य हैं। इस बार इन राज्यों में उत्पादन अनुमान से कम रहा है। खासकर कर्नाटक और आंध्र में तो चने की आवक 50% से ज़्यादा घट गई है। और जो माल मंडियों में आ रहा है, उसका दाना छोटा और हल्का है, जिससे बाजार में माल की आपूर्ति सीमित है। हालांकि अभी मंडियों में मांग कुछ खास नहीं है, फिर भी आयात शुल्क में 10% की बढ़ोतरी के बाद विदेशी चना महंगा पड़ने लगा है, जिसका सीधा फायदा देसी चना को मिल रहा है। जिसके चलते राजस्थानी चने के भाव पहले 5,400 रूपए प्रति क्विंटल थे, जो अब बढ़कर 5,850 रूपए तक पहुंच गए हैं। यह संकेत देता है कि बाजार में तेजी का रुख है। बाजार की चाल को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि अगले एक महीने में देसी चने के भाव में 200-300 रूपए प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी हो सकती है। क्योंकि फसल का सीजन खत्म हो चुका है और नए स्टॉक की आवक कम होगी, जिससे दामों को सपोर्ट मिलेगा। इसके अलावा, दाल मिलों की खरीदारी भी बढ़ सकती है, जो बाजार को और मजबूती देगी।
काबुली चने में स्थिरता की उम्मीद
काबुली चने का बाजार पिछले कुछ महीनों से मंदी का सामना कर रहा था। पुराने स्टॉक की अधिकता और मांग में कमी के कारण भाव लगातार गिरते रहे। लेकिन अब लगता है कि बाजार ने निचले स्तर को छू लिया है और आगे इसमें सुधार हो सकता है। इस साल काबुली चने का उत्पादन पिछले साल की तरह ही लगभग 31 लाख मीट्रिक टन रहा है। हालांकि बुवाई ज्यादा हुई थी, लेकिन कुछ क्षेत्रों में मौसम की वजह से फसल प्रभावित हुई। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्पादन सामान्य रहा। पिछले साल अगस्त में काबुली चना 114-115 रूपए प्रति किलो के भाव पर बिक रहा था, लेकिन अब यह गिरकर 58-63 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। हालांकि, अब इसमें और गिरावट की संभावना नहीं है। जून से सितंबर के बीच इसमें 14-15 रूपए प्रति किलो तक की तेजी आ सकती है। इसके अलावा भारत में काबुली चने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले काफी कम हैं। मेक्सिको और अन्य देशों से आयातित चने के भाव भी ऊंचे हैं, जिससे घरेलू बाजार को सपोर्ट मिल सकता है।
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पुराना स्टॉक खत्म होने की कगार पर, नया माल दूर
अब बात करें स्टॉक की, तो पहले बाजार में भारी दबाव था। लेकिन धीरे-धीरे व्यापारी उस पुराने माल को डिस्पोज़ करते चले गए हैं। अब हाल ये है कि पुराना स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है और नई फसल आने में वक्त है। व्यापारी मान रहे हैं कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से मांग में तेजी आ सकती है, क्योंकि तब तक पुराना माल बिल्कुल खत्म हो जाएगा। अभी कर्नाटक और महाराष्ट्र का काबुली चना 90-95 रूपए प्रति किलो चल रहा है। अनुमान ये है कि दिसंबर के अंत तक भाव 100 रूपए तक पहुंच सकते हैं। अब जब भाव सबसे नीचे हैं, और गिरने की कोई खास गुंजाइश नहीं है, तो व्यापारियों को चाहिए कि मौके का फायदा उठाएं। इस समय जितना भी स्टॉक लिया जाएगा, उसमें आगे चलकर मुनाफा मिलने की पूरी संभावना है। खासकर जब नया माल कम क्वालिटी का हो और विदेशी माल भी अनिश्चित हो — तो लोकल काबुली चना अपना रंग दिखा सकता है। लेकिन व्यापारी बाजार के बदलते हालातों पर नजर बनाए रखें और व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।