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गेहूं के दाने को छोटा होने और सिकुड़ने से बचाने का सीक्रेट फार्मूला मिल गया है | यहां जानें

गेहूं के दाने को छोटा होने और सिकुड़ने से बचाने का सीक्रेट फार्मूला मिल गया है | यहां जानें
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किसान साथियों, गेहूं की फसल भारतीय कृषि में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है, क्योंकि यह हमारे देश की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक है। गेहूं की खेती न केवल किसानों के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह देश की खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम भूमिका निभाती है। हालांकि, कई बार किसानों को गेहूं की फसल में अच्छे परिणाम नहीं मिलते। खाद, पानी, घास, और कीटनाशकों का उचित प्रबंधन करने के बावजूद भी कई बार फसल कमजोर रह जाती है। ऐसे में जब वे फसल को काटते हैं, तो गेहूं के दाने अपेक्षित आकार और गुणवत्ता के नहीं होते, जिससे किसान निराश हो जाते हैं। यही समस्या विशेष रूप से गेहूं के दानों के कमजोर होने के रूप में सामने आती है, जबकि पौधे की ऊंचाई, बाली, और कल्ले तो सामान्य होते हैं। यह समस्या कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि पौधों में पोषक तत्वों की कमी, जलवायु के प्रभाव, नमी की कमी, और रोगों का संक्रमण। इसलिए इन कारणों को समझना और सही तरीके से इनका समाधान करना आवश्यक है ताकि फसल का सही तरीके से उत्पादन हो सके और किसान लाभ उठा सकें। इस रिपोर्ट में हम गेहूं के दाने के कमजोर होने के कारणों और उनके उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

गेहूं का दाना कैसे बनता है

साथियों, जब हम गेहूं के दाने की गुणवत्ता की बात करते हैं, तो सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि गेहूं का दाना कैसे बनता है। गेहूं की बाली में जब फूल आते हैं, तो उनके द्वारा निषेचन (fertilization) की प्रक्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप बीज (seed) का निर्माण होता है। यह बीज बाली में बनता है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि बीज को आकार और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए उसे पौधे से भोजन मिलना चाहिए। गेहूं के पौधे में पत्तियां प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) करती हैं, और इस प्रक्रिया के दौरान तैयार होने वाले कार्बोहाइड्रेट्स बाली में भेजे जाते हैं, ताकि बीज का आकार बढ़ सके। इसलिए, जब गेहूं के दाने कमजोर होते हैं, तो यह मुख्यत: पत्तियों के सही तरीके से काम न करने या पोषण के ट्रांसलोकेशन (Translocation) में बाधा आने कारण हो सकता है। अगर पत्तियां पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं बना पातीं, या भोजन का प्रवाह बाली तक ठीक से नहीं होता, तो दाना छोटा और कमजोर रह जाएगा। इस प्रक्रिया को समझना और इसमें आ रही समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है।

पत्तियों की फोटोसिंथेसिस का महत्व

दोस्तों, फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया गेहूं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पत्तियां सूर्य के प्रकाश से कार्बोहाइड्रेट्स बनाती हैं, जो पौधे के अन्य हिस्सों, खासकर बाली में पहुंचते हैं। अगर फोटोसिंथेसिस में कोई कमी आती है, जैसे कि पत्तियां ठीक से काम नहीं कर पातीं, तो बाली में बीज का आकार प्रभावित हो सकता है। फोटोसिंथेसिस को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है:

1. कार्बोहाइड्रेट का निर्माण: इसमें पत्तियां सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके भोजन (कार्बोहाइड्रेट) बनाती हैं।

2. ट्रांसलोकेशन: ट्रांसलोकेशन में प्रक्रिया में भोजन पत्तियों से होते हुए तने और बाली तक पहुंचता है, जिससे बीज का आकार और गुणवत्ता बढ़ती है। अगर इन दोनों प्रक्रियाओं में किसी प्रकार की रुकावट होती है, तो बीज का आकार छोटा रह सकता है, और दाना कमजोर हो सकता है।

नमी की कमी का प्रभाव

दोस्तों, गेहूं की फसल के लिए खेत में नमी की कमी एक और प्रमुख कारण है, जो गेहूं के दाने के कमजोर होने में सहायक हो सकता है। गेहूं के पौधों को विशेष रूप से बाली के विकास के समय पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। अगर पौधों को नमी की कमी होती है, तो फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया सही से नहीं हो पाती, जिससे बीज के आकार और गुणवत्ता में कमी आती है। इस दौरान, पत्तियां ठीक से काम नहीं कर पातीं, और पौधे की वृद्धि भी प्रभावित होती है। इसलिए यह जरूरी है कि बाली बनने के समय खेत में नमी की कमी न हो। हालांकि, फसल में अत्यधिक पानी का भी नुकसान हो सकता है, इसलिए पानी की सही मात्रा का प्रबंधन आवश्यक है। हल्का पानी देने से पत्तियों से लेकर बाली तक पोषण का प्रवाह सही तरीके से होता है।

पोषक तत्वों की कमी

साथियों, गेहूं के पौधे को अच्छे आकार में बीज विकसित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इनमें पोटेशियम (potassium) और बोरन (boron) जैसे तत्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। ये तत्व फोटोसिंथेटिक भोजन के ट्रांसलोकेशन को बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे बीज का आकार और गुणवत्ता बेहतर होती है। अगर इन तत्वों की कमी हो, तो यह प्रक्रिया बाधित होती है और बीज कमजोर बनता है। अगर आपके खेतों में इन तत्वों की कमी हो, तो आप पोटेशियम नाइट्रेट (KNO3), म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP), या पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग कर सकते हैं। बोरन के लिए बोरेक्स का उपयोग किया जा सकता है। इनका छिड़काव करके आप गेहूं के पौधों में ट्रांसलोकेशन को बेहतर बना सकते हैं और बीज का आकार बढ़ा सकते हैं।

तापमान का असर

किसान साथियों, गेहूं की फसल तापमान पर भी बहुत अधिक निर्भर होती है। गेहूं की फसल को ठंडे मौसम में अच्छे परिणाम मिलते हैं, लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है। जब तापमान 28-30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, तो यह बीज के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। विशेष रूप से देर से बोई गई गेहूं की फसल में बाली का विकास ठीक से नहीं हो पाता। इस समस्या का समाधान पोटेशियम के छिड़काव से किया जा सकता है, जो तापमान के प्रभाव को कम करता है और बीज के आकार को बेहतर बनाता है।

रोगों का नियंत्रण

दोस्तों, गेहूं की फसल में रस्ट रोग (rust disease) जैसे रोगों का संक्रमण भी दाने के कमजोर होने का एक कारण हो सकता है। यह रोग पत्तियों पर लगकर उन्हें पीला या भूरा बना देता है, जिससे पत्तियां ठीक से काम नहीं कर पातीं और पौधे की पोषण प्रक्रिया बाधित हो जाती है। ऐसे में समय पर रासायनिक उपचार आवश्यक होता है। प्रोपेकिनाजोल जैसी दवाओं का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे पौधों की वृद्धि सही रहती है और दाने का आकार बेहतर होता है। इससे बचाव के लिए आप प्रोपेकिनाजोल की एक ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।