वैज्ञानिको ने विकसित की धान की यह नयी किस्म | कम ख़र्चे में बना देगी आपको अमीर
किसान साथियों धान की खेती भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इस फसल में समय-समय पर नए शोध और नवाचार किसानों की उत्पादकता और लाभ को बढ़ाने में मदद करते हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने हाल ही में आठ वर्षों की कड़ी मेहनत और गहन शोध के बाद धान की एक नई और उन्नत किस्म, पीआर 132, विकसित की है। यह किस्म किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है क्योंकि यह केवल अधिक उत्पादन ही नहीं देती, बल्कि उर्वरकों की खपत को भी नियंत्रित करती है। पीआर 132 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह नाइट्रोजन उर्वरकों, विशेष रूप से यूरिया की खपत को लगभग 25 प्रतिशत तक कम करती है। यह धान की किस्म रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी अन्य किस्मों से कहीं अधिक बेहतर साबित हुई है। पारंपरिक धान की खेती में दस प्रकार के झुलसा रोगों का खतरा होता है, लेकिन इस नई किस्म में इन बीमारियों से बचाव की क्षमता काफी अधिक है। यह विशेषता इसे अन्य किस्मों की तुलना में अधिक टिकाऊ और कम देखभाल में अधिक उत्पादन देने वाली फसल बनाती है।
पीआर 132 की वैज्ञानिक विशेषताएँ और बुआई का सही समय
पीएयू के निदेशक (रिसर्च) डॉ. अजमेर सिंह दत्त के अनुसार, इस धान की किस्म को अन्य किस्मों के मुकाबले कम नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए भी अधिक अनुकूल साबित होती है। इसकी बुआई के लिए सही समय 20 से 25 मई के बीच निर्धारित किया गया है, जिससे यह अपनी अधिकतम क्षमता के साथ विकसित हो सके। धान की यह किस्म लगभग 30 से 35 दिनों में तैयार पनीरी के रूप में खेतों में लगाने के लिए उपयुक्त हो जाती है। इसके बाद रोपाई के 111 दिनों के भीतर यह पूरी तरह से पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई लगभग 113 सेंटीमीटर होती है, जो इसे मजबूत और जलवायु परिवर्तनों के प्रति अधिक सहनशील बनाती है। इसके कारण किसानों को अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिससे श्रम और लागत दोनों में बचत होती है।
क्या है पीआर 132 के चावल की गुणवत्ता
इस धान की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक इसकी चावल की गुणवत्ता है। इस किस्म से उत्पन्न चावल देखने में आकर्षक, चमकदार, लंबे और पतले होते हैं, जो इसे बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, इस चावल की मिलिंग क्षमता भी उत्कृष्ट पाई गई है, जिससे मिलिंग इंडस्ट्री को भी इसका लाभ मिलेगा। आमतौर पर, जब भी किसी नई धान की किस्म को बाजार में लाया जाता है, तो शेलर्स और मिलिंग इंडस्ट्री के विशेषज्ञों को आमंत्रित कर मिलिंग ट्रायल किए जाते हैं। पीआर 132 ने इन ट्रायल्स में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिससे इसे व्यापक स्तर पर अपनाने की संभावना प्रबल हो गई है।
मूल्य निर्धारण की बात करें तो इस किस्म के बीज की चार किलो की पैकिंग की कीमत 500 रुपये रखी गई है, जिसे किसान पीएयू से सीधे खरीद सकते हैं। इसका मतलब है कि यह उच्च गुणवत्ता के बावजूद किसानों के लिए किफायती विकल्प रहेगा।
कितने % यूरिया की बचत होगी
पीआर 132 की सबसे अनूठी विशेषताओं में से एक इसकी कम यूरिया खपत है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के धान विशेषज्ञ डॉ. बूटा सिंह के अनुसार, इस किस्म की खेती करने से लगभग 25 प्रतिशत यूरिया की बचत संभव है। आमतौर पर, धान की अन्य किस्मों में प्रति एकड़ दो बैग (90 किलोग्राम) यूरिया की आवश्यकता होती है, जबकि पीआर 132 में प्रति एकड़ केवल डेढ़ बैग (67 किलोग्राम) यूरिया की जरूरत पड़ती है। यह बचत न केवल किसानों की लागत को कम करती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी मदद करती है।
यूरिया का अत्यधिक उपयोग मिट्टी और जल संसाधनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की संरचना खराब होती है और जल स्रोतों में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस नई किस्म के विकास से इन समस्याओं को कम करने में भी सहायता मिलेगी।
पीआर 132 की उपज और उत्पादन क्षमता
पीआर 132 की उपज को देखते हुए यह किस्म किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है। अन्य किस्मों की तुलना में यह किस्म अधिक उत्पादन देने के साथ-साथ कम लागत में बेहतर परिणाम प्रदान करती है।
धान की किस्म | उपज प्रति एकड़ (क्विंटल) | यूरिया की खपत (बैग) |
---|---|---|
पीआर 132 | 31.5 | डेढ़ बैग (67 किग्रा) |
पीआर 131 | 31 | दो बैग (90 किग्रा) |
पीआर 130 | 31 | दो बैग (90 किग्रा) |
पीआर 129 | 30 | दो बैग (90 किग्रा) |
पीआर 128 | 30 | दो बैग (90 किग्रा) |
इस तालिका से स्पष्ट होता है कि पीआर 132 अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देती है और उर्वरकों की कम खपत के कारण अधिक लाभदायक साबित होती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।