1 जनवरी 2025 से DAP सहित इन उर्वरकों के बढ़ रहे है रेट | जाने खादों के रेट की लिस्ट में
किसान साथियो नववर्ष 2025 से किसानों पर उर्वरकों का बोझ बढ़ने वाला है। केंद्र सरकार ने डीएपी समेत कई अन्य उर्वरकों के दामों में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। ये नए दाम 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होंगे। सरकार इस निर्णय के पीछे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों के कच्चे माल की बढ़ती कीमतों को कारण बता रही है। लगभग चार वर्षों के अंतराल के बाद उर्वरकों के दामों में यह वृद्धि देखने को मिल रही है। हालांकि, सरकार ने किसानों को राहत देते हुए उर्वरकों पर सब्सिडी जारी रखने का फैसला किया है।
डीएपी की कीमतों में कितनी होगी वृद्धि
1 जनवरी 2025 से डाईअमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतों में करीब 240 रुपये प्रति बोरी की वृद्धि होने की संभावना है। वर्तमान में 1,350 रुपये प्रति बोरी बिकने वाला डीएपी अब 1,590 रुपये प्रति बोरी का हो जाएगा। यह वृद्धि डीएपी की कीमतों में लगभग 12 से 15 प्रतिशत का इजाफा दर्शाती है। डीएपी की कीमतों में यह वृद्धि कच्चे माल की कीमतों में हुई तेजी के कारण की गई है। सरकार ने कीमतों पर लगी अनौपचारिक पाबंदी हटा दी है, जिसके परिणामस्वरूप कंपनियों को डीएपी और अन्य जटिल उत्पादों की कीमतों में एक निश्चित सीमा तक वृद्धि करने की अनुमति मिल गई है। गौरतलब है कि यूरिया के बाद डीएपी देश में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला उर्वरक है और इसकी एक बोरी का वजन 50 किलोग्राम होता है। इस वृद्धि से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है, जिससे उनकी उत्पादन लागत बढ़ सकती है।
सरकार यूरिया पर देती हैं बंपर सब्सिडी
भारत सरकार किसानों को कृषि उत्पादन में मदद करने के लिए कई योजनाएं चलाती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण योजना यूरिया पर सब्सिडी देना है। वर्तमान में, सरकार किसानों को यूरिया की 45 किलोग्राम की एक बोरी पर 1969.87 रुपये की सब्सिडी देती है। इसका मतलब यह है कि किसानों को यह बोरी केवल 266.50 रुपये में मिलती है, जबकि इसकी वास्तविक कीमत 2236.37 रुपये है। सरकार द्वारा दी जाने वाली इस सब्सिडी से किसानों का काफी बोझ कम होता है। अगर सरकार यह सब्सिडी देना बंद कर दे, तो किसानों को यूरिया की एक बोरी के लिए 739% अधिक यानी लगभग 2000 रुपये से अधिक का भुगतान करना होगा। यह किसानों की आय पर एक बड़ा बोझ होगा और उनके मुनाफे को कम कर सकता है। यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली यूरिया सब्सिडी किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह सब्सिडी किसानों को कम लागत पर उर्वरक उपलब्ध कराकर उनकी आय बढ़ाने में मदद करती है। हालांकि, सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सब्सिडी का लाभ केवल वास्तविक किसानों को ही मिले और इसका दुरुपयोग न हो।
1 जनवरी 2025 से किन उर्वरकों में होगी बढ़ोतरी
1 जनवरी, 2024 से खाद की कीमतों में वृद्धि होने जा रही है। डीएपी खाद की 50 किलो की बोरी अब 1350 रुपये की जगह 1590 रुपये की होगी, यानी इसमें 240 रुपये का इजाफा हुआ है। इसी तरह, टीएसपी (ट्रिपल सुपर फॉस्फेट) 46% की 50 किलो की बोरी की कीमत 50 रुपये बढ़कर 1350 रुपये हो जाएगी। एनपीके 10-26-26 और एनपीके 12-32-16 दोनों ही खादों की 50 किलो की बोरी की कीमत में 255 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इन दोनों खादों की नई कीमत 1725 रुपये प्रति बोरी होगी।
डीएपी खाद का संकट
चालू रबी सीजन में देश में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की उपलब्धता में गंभीर संकट देखने को मिला है। इसका मुख्य कारण वैश्विक बाजार में डीएपी की बढ़ती कीमतें हैं। इन बढ़ती कीमतों के कारण उर्वरक कंपनियों को मौजूदा दाम पर डीएपी का आयात करने पर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था, जिसके परिणामस्वरूप डीएपी का आयात काफी कम हो गया। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार को विशेष प्रोत्साहन देने पड़े। डीएपी के आयात में कमी के पीछे कई कारण हैं, जिनमें चीन से आयात में कमी, भू-राजनीतिक तनाव और लाल सागर के रास्ते परिवहन में आ रही दिक्कतें प्रमुख हैं। इसके अलावा, वैश्विक बाजार में डीएपी के उत्पादन की सीमित क्षमता और कीमतों में अस्थिरता ने भी आयात को प्रभावित किया है।
भारत आयात पर कितना है निर्भरता
भारत में फॉस्फेटिक उर्वरकों, विशेषकर डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की मांग काफी अधिक है। देश में खपत होने वाले डीएपी का लगभग 60% हिस्सा आयात किया जाता है। यह बताता है कि भारत फॉस्फेटिक उर्वरकों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है। देश में जो डीएपी का उत्पादन होता है, उसके लिए भी अधिकांश कच्चा माल जैसे रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड विदेशों से आयात किया जाता है। यह निर्भरता देश की खाद्य सुरक्षा के लिए एक चुनौती है और हमें घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
कितनी है डीएपी की मांग
भारतीय उर्वरक उद्योग ने उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया प्रस्ताव रखा है। उनके अनुसार, उर्वरकों की कीमतें उनके पोषक तत्वों के आधार पर तय की जानी चाहिए। इस प्रस्ताव के अनुसार, डीएपी जैसी उर्वरक, जिनमें पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, की कीमत अन्य उर्वरकों की तुलना में अधिक होनी चाहिए। फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच देश में डीएपी का उत्पादन और आयात दोनों में कमी आई है। इसी अवधि में डीएपी की बिक्री में भी 25.4% की कमी देखी गई है। इसके विपरीत, एमओपी और एनपीके जैसी अन्य उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि हुई है। यह संकेत देता है कि किसान डीएपी के विकल्प के रूप में अन्य उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। उद्योग का मानना है कि पोषक तत्व आधारित मूल्य निर्धारण से किसानों को उर्वरकों का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। इससे खाद्य उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरण को बचाने में भी मदद मिलेगी।
फर्टिलाइजर शेयरों में दिखी तेजी
डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतों में बढ़ोतरी की खबर ने 19 दिसंबर को उर्वरक शेयरों में तेजी ला दी है। खबरों के मुताबिक, डीएपी की कीमतों में 12-15% तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान में 1350 रुपये प्रति बैग बिकने वाली डीएपी की कीमत बढ़कर 1590 रुपये प्रति बैग हो सकती है। यूरिया के बाद भारत में डीएपी की खपत सबसे अधिक है। इसलिए, इसकी कीमतों में बढ़ोतरी से उर्वरक कंपनियों को काफी फायदा होने की उम्मीद है। इस खबर के बाद NFL के शेयरों में 5% और आरसीएफ के शेयरों में 4% से अधिक की तेजी देखी गई है। इसके अलावा, FACT, GSFC, Madras Fertilizer, Deepak Fertilizer और Chambal Fertilizer जैसे अन्य उर्वरक शेयरों में भी तेजी देखी जा रही है। सीएनबीसी-आवाज़ के यतिन मोता ने इस तेजी का कारण कच्चे माल की बढ़ती कीमतों को बताया है। उन्होंने कहा कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण डीएपी महंगा हो रहा है, जिससे उर्वरक कंपनियों की मुनाफे में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।