रुखड़ी (मरगोजा) से बचाएं सरसों की फसल को | जानिए क्या है इसका समाधान
किसान भाइयों अगर आप भी सरसों की खेती करने की सोच रहे हैं तो आपको रुखडी नामक खरपतवार से होने वाले सरसों की फसल के नुकसान के बारे में जानना बहुत जरूरी है। आज की इस रिपोर्ट में किसान भाइयों के लिए सरसों की खेती में रुखड़ी और मरगज के प्रभाव को कम करने के लिए एक प्रभावी उपाय का विवरण दिया गया है। रुखड़ी या मरगज, जो कि एक प्रकार की खरपतवार है, यह एक परजीवी है जो सरसों की पैदावार को काम कर देता है । रुखड़ी सरसों की फसल के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। यह सफेद रंग की होती है और इसमें क्लोरोफिल नहीं होता। इस खरपतवार को पशु भी नहीं खाते हैं। यदि ये खरपतवार खेत में उगती है, तो यह सरसों की फसल की जड़ों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है, जिसके परिणामस्वरूप सरसों की फसल को पानी और पोषण की कमी हो जाती है। इसके चलते सरसों की उपज में कमी आ सकती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
रुखड़ी का प्रभाव
किसान भाइयों सरसों की खेती पर रुखड़ी खरपतवार का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। यह खरपतवार मिटृटी में मौजूद नमी और पोषक तत्वों को पूरी तरह से चुस लेता है, जिसके कारण फसल में नमी और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर दिखाई देता है। यह खरपतवार सरसों के उत्पादन को 50% तक कम कर सकता है। रुखड़ी खरपतवार का अधिक प्रकोप दिसंबर या फरवरी के महीने में दिखाई देता है। यदि इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो सरसों की उपज घटने का खतरा बढ़ता जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में, सरसों की उपज में कमी का सबसे बड़ा कारण रुखड़ी का बढ़ता हुआ प्रभाव है। किसानों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि सरसों की फसल की उत्पादन क्षमता को बनाए रखा जा सके।
उपाय
किसान भाइयों रुखड़ी की समस्या से निपटने के लिए, हमारी टीम ने अलग-अलग क्षेत्र में जाकर किसानों से बात की। और पता लगाने की कोशिश की, के सरसों की फसल में रुखड़ी के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है। हम राजस्थान के अलवर जिले में एक किसान से मिले जो लगभग 80 से 100 एकड़ में सरसों की खेती करता है। उन्होंने बताया कि रुखड़ी के समाधान के लिए आप 10 मिलीग्राम ग्लाइसोफेट को पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर दें। उन्होंने अपने खेत में रुखड़ी की समस्या को कम करने के लिए इस दवा का प्रयोग किया, जिसके कारण उनकी सरसों की फसल में नुकसान नहीं हुआ। यह प्रक्रिया फसल के रंग और उसकी नमी को बनाए रखने में सहायक रही है। उन्होंने यह भी बताया कि छिड़काव करने के बाद फसल में कोई पीला पन नहीं आया और उसकी बढ़वार निरंतर बनी रही। किसान ने दवा को छिड़कने से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखा। इस प्रक्रिया के बाद, उन्होंने छिड़काव किया, जिससे रुखड़ी की समस्या में कमी आई। किसान ने इसे 100% सफल प्रयोग मानते हुए बताया कि यदि रुखड़ी खेत में उगती है, तो उसकी जड़ें नीचे ही सड़ जाती हैं, जिससे वह सरसों की फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाती। किसान ने यह सुझाव दिया कि सरसों की फसल में पहली सिंचाई के समय इस विशेष दवा का उपयोग किया जाए। मात्र 5 से 6 मिलीलीटर प्रति टंकी की मात्रा में ग्लाइफसेट दवा और जाइटोनिक सुरक्षा का प्रयोग कर रुखड़ी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस उपाय को अपनाकर किसान अपनी सरसों की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। रुखड़ी और मरगज की समस्या से निपटने के लिए उचित दवा का प्रयोग बेहद प्रभावी हो सकता है। यदि किसान इस विधि को अपनाते हैं, तो वे सरसों की खेती को सुरक्षित रख सकते हैं और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं। इस प्रकार की जानकारी और उपाय साझा करना आवश्यक है, ताकि सभी किसान भाई अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकें और अच्छी उपज प्राप्त कर सकें।
नोट :- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।