फिर से भारतीय चावल की कीमतों में आया बदलाव | जाने विदेशी बाजारों से क्या आई अपडेट
दोस्तों, भारत के चावल निर्यात कारोबार में इस हफ्ते कुछ ऐसा देखने को मिला जो बीते दो वर्षों में शायद ही कभी हुआ हो। निर्यात कीमतें अब अपने दो साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं। यह खबर न सिर्फ कारोबारियों के लिए चौंकाने वाली है, बल्कि उन किसानों और मिलर्स के लिए भी चिंता का कारण है, जो चावल उत्पादन और प्रोसेसिंग से जुड़े हैं। दरअसल, बीते सप्ताह भारत का सबसे प्रमुख निर्यात चावल 5% टूटे दाने वाला पारबॉयल्ड चावल 382 से 389 डॉलर प्रति टन के दायरे में बिकता देखा गया। इसकी तुलना में एक सप्ताह पहले इसका भाव 384 से 393 डॉलर प्रति टन था। वहीं भारत के 5% टूटे दाने वाले सफेद चावल की कीमत अब 375 से 381 डॉलर प्रति टन तक रह गई है। इसका मतलब है कि निर्यात बाजार में धीरे-धीरे भाव ढीले होते जा रहे हैं।
इस गिरावट के पीछे कई वजहें सामने आई हैं। सबसे पहले तो रुपया कमजोर हुआ है, जिससे निर्यातकों को डॉलर में कम लाभ मिल रहा है। दूसरा कारण है कि बाजार में मांग कमज़ोर बनी हुई है। और तीसरा बड़ा कारण है कि भारत में स्टॉक बढ़ते जा रहे हैं, यानी गोदामों में चावल भरा पड़ा है, जिससे बाजार में भाव पर दबाव आ रहा है। कारोबारियों का मानना है कि जब तक एशिया में फसलें बंपर आती रहेंगी और स्टॉक बढ़ता रहेगा, तब तक चावल की कीमतों में ज्यादा उछाल की उम्मीद नहीं की जा सकती। एक कारोबारी ने साफ कहा कि अब कीमतें बहुत नीचे आ चुकी हैं, लेकिन शायद और गिरावट नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक स्तर पर चावल पहले ही सस्ते हो चुके हैं, और खरीदार अब सस्ते सौदों की तलाश में हैं। हालांकि, वे बाजार पर नज़र भी बनाए हुए हैं कि कब कीमतें सही स्तर पर स्थिर होती हैं ताकि वे बड़े ऑर्डर दे सकें।
🔥💥 सिर्फ ₹ 500 में 6 महीने तक रोज़ाना धान, चावल, सरसों, सोयाबीन और चना के लाइव भाव पाएँ। सिर्फ सर्विस लेने वाले ही *WhatsApp करें – 9729757540* ध्यान दें दोस्तों सिर्फ भाव पूछने के लिए कॉल/मैसेज न करें। धन्यवाद 🙏😊
चावल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में हो रहे इस उतार-चढ़ाव और उसके पीछे के कारणों को विस्तार से समझने के लिए चलिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
शिया के देशों में निर्यात में आई कमी
भारत के अलावा थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे बड़े एशियाई देश भी चावल के निर्यात बाजार में सुस्ती का सामना कर रहे हैं। लेकिन यहां हालात भारत से थोड़ा अलग हैं। थाईलैंड में 5% टूटे दाने वाले चावल की कीमत इस सप्ताह 405 से 410 डॉलर प्रति टन रही, जबकि एक हफ्ते पहले यह 410 डॉलर पर टिकी हुई थी। यानी हल्की गिरावट तो है, लेकिन उतनी तेज नहीं जितनी भारत में। थाई कारोबारियों का मानना है कि उनकी कीमतों पर ज्यादा असर मुद्रा विनिमय दर (currency exchange rate) के उतार-चढ़ाव का है, न कि मांग की कमी का। हालांकि मांग की रफ्तार वहां भी धीमी है। एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, "इस साल मांग का जोश बिल्कुल नहीं है।" ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे बड़े खरीदारों ने इस बार घरेलू उत्पादन बढ़ा लिया है और उन्हें बाहर से चावल मंगाने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ रही।
वहीं अगर वियतनाम की बात करें तो वहां 5% टूटे दाने वाले चावल की कीमत 397 डॉलर प्रति टन पर टिकी रही। यहां की विशेषता यह है कि विदेशी खरीदारों की सुस्ती ने न सिर्फ निर्यात को प्रभावित किया है बल्कि घरेलू बाजार में भी धान की कीमतें गिरने लगी हैं। हो ची मिन्ह सिटी के एक कारोबारी के मुताबिक, मेकांग डेल्टा क्षेत्र में धान का भाव अब 5200 से 6800 डोंग प्रति किलोग्राम के बीच है, जबकि एक हफ्ते पहले यह 5400 से 7200 डोंग था। इस पूरे परिदृश्य में एक बात सामने आ रही है कि पूरे एशिया रीजन में चावल की डिमांड लो है, लेकिन सप्लाई हाई बनी हुई है। इससे भाव दबाव में हैं और व्यापारियों की रणनीति भी काफी संभलकर चल रही है। वे फिलहाल खरीदारों की हरकतों पर नज़र बनाए हुए हैं और बड़े सौदों के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं।
🔥💥 सिर्फ ₹ 500 में 6 महीने तक रोज़ाना धान, चावल, सरसों, सोयाबीन और चना के लाइव भाव पाएँ। सिर्फ सर्विस लेने वाले ही *WhatsApp करें – 9729757540* ध्यान दें दोस्तों सिर्फ भाव पूछने के लिए कॉल/मैसेज न करें। धन्यवाद 🙏😊
बांग्लादेश के उत्पादन में आई कमी
चावल उत्पादन को लेकर बांग्लादेश से एक अलग ही तस्वीर सामने आई है, जो बाकी एशियाई देशों से काफी अलग है। यहां मांग कम नहीं, बल्कि उत्पादन में गिरावट की आशंका है, और यह स्थिति बीते चार सालों से लगातार बनी हुई है। इस बार भी बांग्लादेश का अनुमानित उत्पादन 27 लाख टन ही रह सकता है, जबकि पिछले साल यह 29 लाख टन था। इस गिरावट की वजह मौसम की मार और धान की रोपाई में कमी को बताया जा रहा है। जब समय पर बारिश नहीं होती या अचानक बाढ़ जैसे हालात बनते हैं, तो खेती की प्लानिंग पूरी तरह बिगड़ जाती है। और यही इस बार भी हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही सिलसिला चलता रहा, तो आने वाले वर्षों में बांग्लादेश की खाद्य सुरक्षा (food security) पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
बांग्लादेश की सरकार इस स्थिति को लेकर काफी चिंतित है और अंतरराष्ट्रीय बाजार से चावल खरीदने की संभावनाएं तलाश रही है। लेकिन जब दूसरे देशों में भी मांग कमज़ोर और सप्लाई बढ़ी हुई है, तो बांग्लादेश को अनुकूल भावों पर चावल मिल पाना आसान नहीं होगा। इससे साफ पता चलता है कि भले ही वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें गिर रही हों, लेकिन हर देश की स्थिति अलग है और उन्हें अपनी रणनीति उसी हिसाब से तय करनी होगी।
बारीक बासमती चावल में जबरदस्त तेजी
दोस्तों, भले ही चावल की निर्यात कीमतों में कमी आई है और साथ ही जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंदी है, उसी समय भारत के बासमती चावल बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिल रही है। खासकर 1509 सेला बासमती चावल की बात करें, तो इसकी कीमत में बीते सप्ताह करीब 200 रुपए प्रति क्विंटल की उछाल देखने को मिली है और अब यह 6100 से 6200 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है।
🔥💥 सिर्फ ₹ 500 में 6 महीने तक रोज़ाना धान, चावल, सरसों, सोयाबीन और चना के लाइव भाव पाएँ। सिर्फ सर्विस लेने वाले ही *WhatsApp करें – 9729757540* ध्यान दें दोस्तों सिर्फ भाव पूछने के लिए कॉल/मैसेज न करें। धन्यवाद 🙏😊
इस तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण है निर्यात मांग में अचानक उछाल। दरअसल, मिडल ईस्ट (खाड़ी देशों) और यूरोप के बाजारों में बासमती चावल की भारी मांग बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर, धान की आपूर्ति घटती जा रही है, खासकर 1509, 1718 और 1401 जैसे प्रमुख बासमती वैरायटीज़ में। इसका असर सीधे मिलर्स और एक्सपोर्टर्स की खरीद पर पड़ा है, जिसके चलते मिलिंग लागत भी अब पहले से ज्यादा हो गई है। इसका मतलब है कि मिलिंग पड़ता (processing cost) भी बढ़ गया है। यानी किसानों से धान खरीदकर उसे चावल में बदलना पहले से महंगा हो गया है, और यही महंगाई अंतिम चावल की कीमत में झलक रही है।
लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अभी घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह तेजी लॉजिकल है मांग असली है, और सप्लाई वाकई में कम हो रही है। इसके अलावा विशेषज्ञों के अनुसार बाजार में यह चर्चा है कि "अभी की तेजी बस शुरुआत है।" आने वाले दिनों में अगर निर्यात के नए ऑर्डर आते हैं और मानसून थोड़ा भी कमजोर पड़ता है, तो कीमतें और चढ़ सकती हैं। यानी बासमती चावल का यह सीजन किसानों और व्यापारियों के लिए गोल्डन मौका साबित हो सकता है — बशर्ते वे सही टाइमिंग और रणनीति से काम लें।
👉व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े
👉 चावल के रियल टाइम में भाव और चावल व्यापार के लिए एप डाउनलोड करें
👉 सिर्फ सर्विस लेने वाले ही *WhatsApp करें – 9729757540*
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।