सरसों की फसल को नुकसान से बचाना है | तो पहली सिंचाई के समय ही कर ले यह काम
किसान साथियो भारत में सरसों की खेती को प्रमुख फसलों में गिना जाता है, क्योंकि यह न केवल तेल उत्पादन के लिए अहम है, बल्कि इसकी पत्तियां और खली भी उपयोगी होती हैं। सरसों की खेती करते समय सिंचाई का सही तरीका अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पानी की अधिकता या कमी दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस लेख में हम सरसों की खेती में सिंचाई से जुड़ी प्रमुख बातें और अन्य आवश्यक जानकारी साझा करेंगे, ताकि आप अपनी फसल से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकें।
सरसों में सिंचाई का क्या महत्व है
अन्य फसलों की तरह सरसों की खेती में भी सिंचाई जरूरी होती है। लेकिन इसका सही समय और मात्रा का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। अधिक पानी देने से जहां फसल खराब हो सकती है, वहीं कम पानी देने से पौधों का विकास रुक सकता है। इसलिए किसानों को यह समझना चाहिए कि सरसों की खेती में कब और कितनी बार सिंचाई करनी है।
सरसों में सिंचाई करने का सही समय क्या है
सरसों की फसल में सिंचाई चार से पांच बार करनी चाहिए। यह सिंचाई फसल की अवस्था और मिट्टी की नमी के आधार पर होनी चाहिए। आइए जानते हैं कि फसल के किस चरण पर सिंचाई करनी चाहिए:
पहली सिंचाई कब करनी चाहिए
बुवाई के समय खेत में नमी बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसलिए पहली सिंचाई फसल बोने के तुरंत बाद करनी चाहिए। यह बीज के अंकुरण और शुरुआती विकास के लिए आवश्यक होती है।
दूसरी सिंचाई कब करनी चाहिए
जब सरसों के पौधों में शाखाएं विकसित होने लगती हैं, उस समय दूसरी सिंचाई करनी चाहिए। यह फसल की शाखाओं को मजबूत बनाने और पौधों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करती है।
तीसरी सिंचाई कब करनी चाहिए
सरसों में फूल आने का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस समय पौधे को सही मात्रा में पानी की जरूरत होती है। फूल बनते समय पानी की कमी फसल की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।
चौथी सिंचाई कब करनी चाहिए
फसल में फलियां बनने के दौरान चौथी सिंचाई करनी चाहिए। यह फसल के दानों को विकसित करने और मोटा बनाने में सहायक होती है।
पांचवी सिंचाई (यदि आवश्यक हो):
यदि खेत में पानी की कमी है या मौसम शुष्क है, तो फसल पकने से पहले, यानी लगभग 100-110 दिन के बाद, पांचवी सिंचाई की जा सकती है। यह अंतिम सिंचाई दानों की परिपक्वता के लिए लाभकारी होती है।
पहली सिंचाई और दूसरी सिंचाई के बीच कितने दिनों का अंतर होना चाहिए
पहली सिंचाई के बाद दूसरी सिंचाई के बीच 25-30 दिन का अंतर होना चाहिए। इसके बाद, तीसरी सिंचाई के लिए 40-45 दिन और चौथी सिंचाई के लिए 70-80 दिन का अंतराल रखें। इस अंतराल का पालन करना फसल की वृद्धि और उत्पादन को प्रभावित करता है।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।