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गेहूं में जिंक डालने का सही तरीका और सही समय जान लो |भूलकर भी ये गलती मत करना

गेहूं में जिंक डालने का सही तरीका और सही समय जान लो |भूलकर भी ये गलती मत करना
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गेहूं में क्या है सर्दियों में जिंक डालने का सही तरीका, जानें इस रिपोर्ट में।

किसान भाइयों, खेती में इस्तेमाल होने वाले पोषक तत्वों में से जिंक (Zinc) एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो फसलों की विकास प्रक्रिया को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है। वैसे तो फसल की वृद्धि के लिए सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, लेकिन जिंक की कमी से फसलों की वृद्धि धीमी हो सकती है और यह फसल की गुणवत्ता और पैदावार को भी प्रभावित कर सकता है। जिंक का उपयोग हम अपनी फसलों में किस प्रकार करें, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है, खासकर जब तापमान कम हो, जैसे कि सर्दी के मौसम में। जिंक का सही तरीके से प्रयोग करना फसल की वृद्धि और पैदावार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सर्दी के मौसम में जिंक का अवशोषण कम होने की वजह से यह जरूरी है कि हम इसे सही समय पर और सही तरीके से फसलों तक पहुंचाएं। छिड़काव और सिंचाई के माध्यम से जिंक देने के विकल्पों को समझकर, किसान इस महत्वपूर्ण पोषक तत्व का सही उपयोग कर सकते हैं और अपनी फसलों की पैदावार में सुधार ला सकते हैं। किसी रिपोर्ट के माध्यम से हमारा यह प्रयास है कि किसानों को जिंक के उपयोग के बारे में सही जानकारी मिल सके ताकि वे इसका सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें और अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। इस रिपोर्ट में हम जिंक के प्रयोग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे, विशेष रूप से सर्दी के मौसम में जिंक के सही इस्तेमाल के बारे में। तो चलिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।

सर्दियों में जिंक की उपलब्धता में कमी

किसान साथियों, सर्दी के मौसम में तापमान का गिरना फसलों के पोषक तत्वों की उपलब्धता पर असर डालता है। खासकर गेहूं और सरसों जैसी फसलों पर सर्दी का प्रभाव अधिक होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि जड़ों की सक्रियता (Root Activity) कम हो जाती है। जब तापमान ठंडा होता है, तो जड़ें धीरे-धीरे काम करती हैं और पानी का अवशोषण कम हो जाता है। इसके अलावा, पोषक तत्वों का अवशोषण भी कम हो जाता है, जिससे जिंक जैसी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की उपलब्धता भी प्रभावित होती है। इसके साथ ही, जिंक का अवशोषण मिट्टी से जड़ों तक डिफ्यूजन (Diffusion) के जरिए होता है। यह प्रक्रिया तापमान के साथ बदलती है। जाड़ों में जब तापमान कम होता है, तो अणुओं की ऊर्जा भी कम हो जाती है, और डिफ्यूजन की गति धीमी पड़ जाती है। इसका मतलब है कि जिंक मिट्टी में स्थिर हो सकता है और पौधों तक आसानी से नहीं पहुंच पाता।

डिफ्यूजन प्रक्रिया

किसान भाइयों, जिंक जैसे पोषक तत्वों की जड़ों तक पहुंचने के तीन मुख्य तरीके हैं:

मास फ्लो (Mass Flow):
दोस्तों, इस प्रक्रिया में पोषक तत्व पानी के साथ बहते हुए जड़ों तक पहुंचते हैं। यह प्रक्रिया तब होती है जब पानी मिट्टी से बहकर जड़ों तक पहुंचता है और साथ ही पोषक तत्वों को भी अपने साथ लाता है।


 डिफ्यूजन (Diffusion):
साथियों, यह प्रक्रिया तब होती है जब एक स्थान पर पोषक तत्वों का कंसंट्रेशन (Concentration) ज्यादा होता है, तो वह कम कंसंट्रेशन वाले स्थान की ओर बढ़ते हैं। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और दूरी भी बहुत कम होती है (मिलीमीटर या सेंटीमीटर में)। जब तापमान कम होता है, तो यह प्रक्रिया और धीमी हो जाती है, जिससे जिंक का अवशोषण कम हो जाता है।


दूरी पर निर्भर जड़ों की सक्रियता:
किसान साथियों, जड़ों के द्वारा पोषक तत्वों को सीधे मिट्टी से अवशोषित करना भी एक तरीका है, लेकिन यह प्रक्रिया कम प्रभावी होती है। तो, जब जिंक का अवशोषण डिफ्यूजन के माध्यम से होता है, तब ठंडे मौसम में यह प्रक्रिया कम हो जाती है और जिंक की उपलब्धता में कमी हो जाती है।

क्या करें जब तापमान कम हो

किसानों भाइयों, अब सवाल यह उठता है कि जब तापमान कम हो और जिंक का अवशोषण सही से न हो, तो हमें क्या कदम उठाने चाहिए? अगर आप सर्दी में गेहूं या अन्य फसलों की बुवाई कर रहे हैं, तो आपको सही समय पर जिंक का प्रयोग करना चाहिए। यदि आपने गेहूं की बुवाई के समय जिंक सल्फेट का प्रयोग नहीं किया है, तो आप पहली सिंचाई के दौरान इसे यूरिया के साथ डाल सकते हैं। यह जिंक पानी के साथ जड़ों तक पहुंच जाएगा। लेकिन यदि तापमान बहुत कम हो गया है, तो यह विधि उतनी प्रभावी नहीं होगी। इसके समाधान के लिए यदि पहली सिंचाई के बाद तापमान में बहुत गिरावट हो गई है और जड़ें नीचे चली गई हैं, तो जिंक को पानी के साथ डालना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका है जिंक सल्फेट का छिड़काव (Spraying) करना। आप 0.5% जिंक सल्फेट का घोल बनाकर फसल पर छिड़काव कर सकते हैं। यह छिड़काव फसल को जिंक उपलब्ध कराता है, और इससे पौधों में सल्फर (Sulfur) की भी आपूर्ति होती है, जो सर्दी के मौसम में पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

छिड़काव का सही तरीका

किसान साथियों, सर्दियों में जिंक देने का सबसे अच्छा तरीका छिड़काव है। इस दौरान आप 5 ग्राम जिंक सल्फेट को एक लीटर पानी में घोलकर उसका छिड़काव कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि आप नेपक (Knapsack sprayer) का उपयोग कर रहे हैं, तो 15 लीटर पानी में 75 ग्राम जिंक सल्फेट डालें और इसका छिड़काव करें। छिड़काव करते समय आपको ध्यान रखना होगा कि छिड़काव का समय सही होना चाहिए। 200 लीटर पानी प्रति एकड़ का औसत पानी आवश्यकता होती है, खासकर जब फसल छोटी हो और जड़ें ऊपर की ओर हों। यदि फसल बड़ी हो गई है और जड़ें नीचे चली गई हैं, तो आपको यह छिड़काव दो बार करना पड़ सकता है, ताकि जिंक फसल तक पूरी तरह से पहुंच सके।

यदि पिछली फसल में जिंक डाला हो

किसान साथियों, जिंक की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर आपने पिछली फसल में जिंक सल्फेट डाल दिया था, तो आपको आगामी कुछ वर्षों तक जिंक डालने की आवश्यकता नहीं होती। जिंक सल्फेट की एक अच्छी खुराक (10 किलोग्राम प्रति एकड़) डालने से यह पोषक तत्व मिट्टी में स्थिर हो जाता है और आने वाली फसलों को भी लाभ मिलता है। यदि आपने पिछले साल जिंक डाला था, तो अगले दो-तीन साल तक आपको जिंक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे न केवल आपका खर्च बचता है, बल्कि फसलों की उर्वरता भी बनी रहती है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।