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आलू की खेती से बम्पर उत्पादन लेना है तो इन रोगों का कर लें इलाज | जाने क्या है तरीका

आलू की खेती से बम्पर उत्पादन लेना है तो इन रोगों का कर लें इलाज | जाने क्या है तरीका
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किसान साथियों, अक्सर देखा जाता है कि आलू की फसल मे (40 से 60 दिन की अवस्था) ब्लाइट रोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है इसलिए आलू की फसल में 40 से 60 दिन की अवस्था महत्वपूर्ण होती है, चाहे वह अगेती खुदाई के लिए हो या पछेती खुदाई के लिए। इस समय, अधिकांश किसान अपने फसल पर आवश्यक सभी उपचार कर चुके होते हैं। लेकिन इसी अवधि में ब्लाइट रोग (अगेती और पछेती) का प्रकोप एक गंभीर समस्या बन सकता है। जिन खेतों में यह रोग 20-25 दिन पहले लक्षण दिखा रहा था, वहां सही समय पर नियंत्रण न करने से यह अब बड़े रूप में दिखाई देने लगा है।

ब्लाइट रोग की शुरुआत लक्षणों नीचे की पत्तियों से होती है, जहां झुकने और चकते जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यदि इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह नई और ताजा फुटाव वाली पत्तियों तक तेजी से फैलने लगता है। जैसे ही यह नई पत्तियों को कवर कर लेता है, पौधे का संपूर्ण विकास रुक जाता है, और आलू के ट्यूबर का बढ़ना बंद हो जाता है। हल्के फंगीसाइड का उपयोग करने वाले किसान इस रोग को नियंत्रित नहीं कर पाते, जिससे पूरी फसल प्रभावित हो सकती है।

ब्लाइट रोग के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना किसान के लिए बड़ी गलती साबित हो सकता है। खेत में छुटपुट चकते दिखने पर इसे तुरंत नियंत्रित करना आवश्यक है, क्योंकि यह कुछ ही रातों में पूरे खेत को कवर कर सकता है। जब पत्तियों में सुकड़ वाले लक्षण दिखें, तो यह रोग नियंत्रण के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है। अगर यह स्पॉट में बदल जाए, तो इसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

ब्लाइट रोग पौधे के लिए घातक होता है, और जैसे ही यह नई पत्तियों को कवर करता है, आलू के विकास और उत्पादन पर पूरी तरह रोक लग जाती है। किसान को इस स्थिति में सजग रहने और समय पर उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। खेत में नियमित निरीक्षण और प्रभावी फंगीसाइड का सही समय पर उपयोग करके इस रोग से फसल को बचाया जा सकता है।

इस रोग को रोकने के लिए शुरुआत में ही सजगता आवश्यक है। हल्के फंगीसाइड के बजाय प्रभावी और उचित फंगीसाइड का चयन करें। पौधों की स्थिति पर ध्यान देते हुए और शुरुआती लक्षणों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए, किसान अपनी फसल को इस गंभीर समस्या से बचा सकते हैं।

पौधों में जड़ गलन की समस्याऔर उसके प्रावधान

कई किसानों साथियों के खेतों में देखा गया है कि पौधों की जड़ें गलने लगती हैं, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादन पर बुरा असर डालती हैं। जब पौधों की जड़ को उखाड़ा जाता है, तो वह गली हुई और खराब अवस्था में निकलती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए हेक्साकोनजोल जैसे फंगीसाइड का उपयोग अत्यधिक प्रभावी माना गया है।

हेक्साकोनजोल एक भरोसेमंद और किफायती फंगीसाइड है, जिसे 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करना चाहिए। यह पौधे के सिस्टम में जाकर फंगस को जड़ से समाप्त करता है। यदि जड़ गलन की समस्या अधिक गंभीर हो, तो इसकी मात्रा को बढ़ाकर 1 लीटर प्रति एकड़ तक किया जा सकता है। इसे स्प्रे करने से पौधों की जड़ पर मौजूद फंगस पूरी तरह समाप्त हो जाती है, और पौधे स्वस्थ तरीके से बढ़ने लगते हैं।

तने और पत्तियों पर फंगस का प्रकोप

पौधों के तनों और पत्तियों पर फंगस के धब्बे या गलन दिखाई देना भी एक आम समस्या है। तनों पर मौजूद ब्लाइट या फंगस को नियंत्रित करने के लिए कर्जत फंगीसाइड का उपयोग किया जा सकता है। कर्जत में साइमोक्सनिल और मैंगोज़ेब का मिश्रण होता है, जो एक सिस्टमिक और कॉन्टेक्ट फंगीसाइड है। यह प्रभावी रूप से फंगस को नियंत्रित करता है

कॉन्टेक्ट फंगीसाइड का उपयोग तब किया जाता है जब फंगस पौधे की पत्तियों के ऊपरी सिरे पर दिखाई देती है। यह फंगीसाइड सीधे संपर्क में आकर फंगस को समाप्त कर देता है। वहीं, यदि फंगस पत्तियों के नीचे वाले हिस्से में भी मौजूद हो, तो सिस्टमिक फंगीसाइड की आवश्यकता होती है। सिस्टमिक फंगीसाइड पौधे के अंदर जाकर फंगस को जड़ से खत्म करता है। यदि पत्तियों के दोनों ओर फंगस हो, तो कॉन्टेक्ट और सिस्टमिक फंगीसाइड का मिश्रण बनाकर उपयोग करना चाहिए।

कार्बेंडाजिम और अन्य प्रभावी फंगीसाइड

कार्बेंडाजिम एक सिस्टमिक फंगीसाइड है, जो पौधे के अंदर जाकर फंगस को समाप्त करता है। यह पत्तियों और तनों में गहराई तक जाकर काम करता है। दूसरी ओर, यदि केवल पत्तियों की ऊपरी सतह पर फंगस हो, तो कॉन्टेक्ट फंगीसाइड का उपयोग किया जा सकता है।

कॉन्टेक्ट और सिस्टमिक फंगीसाइड का संयोजन एक प्रभावी उपाय है, विशेषकर तब जब फंगस पूरी पत्ती और तने पर फैला हुआ हो। इनका उपयोग सही मात्रा और समय पर करने से फंगस को नियंत्रित किया जा सकता है।

कासुगामाइसिन: एंटीबायोटिक फंगीसाइड

कासुगामाइसिन एक सिस्टमिक और एंटीबायोटिक फंगीसाइड है, जो फंगस के गंभीर मामलों में उपयोगी होता है। यह फंगस को तेज़ी से नियंत्रित करता है और पौधे में नए फुटाव को सुरक्षित बनाता है।  अगर आपकी दवाई अच्छी है तो इस फुटाव में कहीं भी आपको कोई भी स्पॉट दिखाई नहीं देगा| अगर आपकी पत्तियां ऊपर से झुलस भी गई हैं  तो यह तने का फुटाव को यहां पर सुरक्षित रखेगा और आलू को लास्ट तक यहां पर बढ़ाता रहेगा लेकिन अगर इस फुटाव में भी यहां पर फंगस आ गई है तो फिर कोई विकल्प नहीं होता इसलिए हैवी फंगीसाइड का उपयोग करना ही आपके लिए एक सॉल्यूशन है और दूसरा कोई सॉल्यूशन नहीं है
कासुगामाइसिन का प्रभाव स्प्रे के 24 से 36 घंटे के भीतर दिखने लगता है। यह पौधे के अंदर जाकर फंगस जनित रोगाणुओं को नष्ट करता है। पौधे के अंदर जैसे ही इसको इंजेक्ट किया या स्प्रे किया वो तुरंत काम करना स्टार्ट कर देता है सिस्टम में पौधे के वो दवाई को तेजी से लेकर जाता है और अंदर जाकर जितने भी फंगस जनित जितने भी जीवाणु रोगाणु होते हैं उनको वो वहीं का वहीं खत्म करता है तो हमारी फंगस जितनी आई हुई होती है वो वहीं का वहीं रुक जाती है हालांकि फंगस खत्म नहीं होगी मतलब पत्तियां आपकी जो जिनमें फंगस आ गई है वो पत्तियां तो वैसी की वैसी रहेंगी रुक जाएगा लेकिन उसके जो सिराए हैं पत्तियों के भीतर वाली जो कोर है यहां से फुटाव आना स्टार्ट हो जाएगा ठीक है ये

हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि जिन पत्तियों में पहले से फंगस आ चुकी है, वे पत्तियां पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सकतीं। लेकिन यह फंगीसाइड नए फुटाव को फंगस से बचाकर पौधे को स्वस्थ बनाए रखता है। इसका समय पर उपयोग पौधे के विकास को बढ़ावा देता है 

फंगस नियंत्रण में हैवी फंगीसाइड

यदि फंगस बहुत अधिक फैल गई है और तने के नए फुटाव में भी प्रवेश कर चुकी है, तो हैवी फंगीसाइड का उपयोग आवश्यक हो जाता है। यह पौधों को अंतिम क्षण तक बचाने का एकमात्र समाधान है। सही समय पर फंगीसाइड का उपयोग करने से न केवल फंगस को रोका जा सकता है

फंगीसाइड के सही चुनाव और समय पर उपयोग से पौधों को फंगस से बचाना संभव है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फंगस की पहचान होते ही उपयुक्त फंगीसाइड का उपयोग करें और पौधों की जड़ों, तनों, और पत्तियों को स्वस्थ बनाए रखें।

आलू की फसल में पाला जमने और झुलसा रोग की समस्या किसानों के लिए गंभीर चुनौती बन जाती है। पाला पड़ने से पौधे की कोशिका भित्ति फट जाती है, जिससे पौधा भोजन नहीं बना पाता और उसकी पत्तियां झुलसने लगती हैं। इससे बचने के लिए कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का उपयोग एक प्रभावी उपाय है।

कॉपर ऑक्सी क्लोराइड एक कांटेक्ट फंगीसाइड है, जो पौधे की बाहरी सतह पर काम करके पाले के प्रभाव को कम करता है। इसे प्रति एकड़ 250 ग्राम की मात्रा में 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। यह फसल को पाले और झुलसा रोग से बचाने में अत्यधिक मददगार होता है। यदि पाले का असर पहले से हो, तो कॉपर ऑक्सी क्लोराइड पौधे को जल्दी रिकवरी करने में मदद करता है।

वेलिडामाइसिन और कासुगामाइसिन के साथ संयोजन

कॉपर ऑक्सी क्लोराइड के प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसे वेलिडामाइसिन या कासुगामाइसिन के साथ मिलाया जा सकता है। वेलिडामाइसिन और कासुगामाइसिन दोनों ही सिस्टमिक फंगीसाइड हैं, जो पौधे के अंदर जाकर फंगस और बैक्टीरिया जनित रोगों को नियंत्रित करते हैं।

प्रति एकड़ के लिए 250 ग्राम कॉपर ऑक्सी क्लोराइड और 250 मिलीलीटर वेलिडामाइसिन या कासुगामाइसिन का मिश्रण तैयार करना चाहिए। इस मिश्रण का स्प्रे करने से झुलसा और पाले से प्रभावित पौधों में तेज़ी से फुटाव होने लगता है और पत्तियों की झुलस को समाप्त करने में मदद मिलती है।

कॉपर ऑक्सी क्लोराइड और वेलिडामाइसिन का उपयोग करना न केवल प्रभावी है, बल्कि अन्य महंगे फंगीसाइड की तुलना में सस्ता भी है। धानुका या सिजेंटा जैसी कंपनियों के उत्पाद आसानी से उपलब्ध हैं और ₹625 की लागत में 2 एकड़ फसल का उपचार किया जा सकता है। इसके मुकाबले बाजार में उपलब्ध महंगे ब्रांड ₹1300 में केवल 6 बीघा तक उपयोग किए जा रहे है

झुलसा रोग चाहे पत्तियों के आगे के हिस्से में हो या पीछे, कॉपर ऑक्सी क्लोराइड और वेलिडामाइसिन का संयोजन इसे खत्म करने में कारगर है। यह मिश्रण तने और पत्तियों की गलन को रोकने के साथ-साथ पाले के प्रभाव को समाप्त करता है। पौधे के विकास में रुकावट को खत्म करके यह फुटाव को तेज़ी से बढ़ावा देता है।

नोट: किसान साथियों को सलाह दी जाती है कि वे इस मिश्रण का समय पर उपयोग करें। पाले, झुलसा, और अन्य रोगों से बचाव के लिए नियमित देखभाल और सही मात्रा में फंगीसाइड का उपयोग करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बेहतर होगा।
रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।