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सोयाबीन के किसान हो तो बस यह काम कर लो | उत्पादन के टूटेंगे सारे रिकार्ड | जाने पूरी डिटेल्स

सोयाबीन के किसान हो तो बस यह काम कर लो | उत्पादन के टूटेंगे सारे रिकार्ड | जाने पूरी डिटेल्स
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किसान साथियों सोयाबीन की खेती में कई बार यह देखा जाता है कि फलियों में दानों का आकार छोटा रह जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, अत्यधिक या अत्यल्प वर्षा, और सही दूरी पर पौधों की बुवाई न होना। इन सभी कारकों का फलियों और दानों के आकार पर सीधा प्रभाव पड़ता है। दोस्तों सोयाबीन या किसी भी फसल के लिए सबसे अच्छा उर्वरक मिश्रण कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे मिट्टी का प्रकार, पोषक तत्वों की कमी, फसल का विकास चरण, और स्थानीय परिस्थितियाँ। हालांकि, एक अच्छा उर्वरक मिश्रण आमतौर पर मुख्य पोषक तत्वों (नाइट्रोजन - N, फॉस्फोरस - P, पोटेशियम - K) और सूक्ष्म पोषक तत्वों (जैसे बोरॉन, जिंक, आयरन आदि) के संयोजन से बना होता है। इस लेख में हम जानेगे कि कैसे हम सोयाबीन की फसल में सोयाबीन में दाना का आकार और सांख्य कैसे बढ़ाएं |

पोषक तत्वों की कमी

सोयाबीन की फसल में पोटाश और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण दानों का आकार छोटा रह जाता है। जब पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, तो फलियों में दानों का भराव ठीक से नहीं हो पाता। इसके समाधान के लिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) उर्वरक का प्रयोग करें। यदि आपकी फसल हरी-भरी है, तो एनपीके 00:00:50 का छिड़काव करें। यदि पीलापन दिखाई दे रहा है, तो एनपीके 13:00:45 का छिड़काव एक किलो प्रति एकड़ की दर से करें।

पौधों की दूरी और वायु संचार:

किसान अक्सर अधिक फसल की इच्छा में पौधों को बहुत पास-पास लगाते हैं, जिससे पौधों के बीच वायु संचार ठीक से नहीं हो पाता। इससे फलियों में दानों का भराव कम हो सकता है। पौधों के बीच उचित दूरी (18-22 इंच) बनाए रखना आवश्यक है ताकि उन्हें पर्याप्त वायु और पोषक तत्व मिल सकें। सही दूरी से पौधों को पर्याप्त हवा मिलती है, जिससे उनकी वृद्धि और दानों का भराव बेहतर होता है।

वैरायटी का चयन:

फसल की किस्म का भी दानों के भराव पर असर पड़ता है। यदि किसान पुरानी और रोग-प्रवण किस्मों की बुवाई करते हैं, तो उन पर रोगों का प्रकोप अधिक होता है, जिससे फलियों में दानों का विकास प्रभावित होता है। इसलिए, नई और रोग-प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए, जो बेहतर वृद्धि और दानों के भराव को सुनिश्चित करती हैं।

पोटाश और प्लांट रेगुलेटर्स का उपयोग:

फलियों में दानों के विकास को बढ़ावा देने के लिए पोटाश का छिड़काव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ही, प्लांट रेगुलेटर्स जैसे कि Lihocine, Taboli, और 6-Benzyl Adenine का उपयोग भी दानों के भराव को बेहतर बनाने में मदद करता है। इनका स्प्रे उस समय करना चाहिए जब फलियों में दाने भरना शुरू हो जाएं, ताकि दानों की गुणवत्ता और भराव में सुधार हो सके।

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का स्प्रे

पौधों की जड़ों के विकास और पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए Chelated Micronutrients का स्प्रे भी उपयोगी होता है। यह पौधों की जड़ों के विकास को प्रोत्साहित करता है, जिससे पौधों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं और फलियों का भराव अच्छा होता है।

सही समय पर सही स्प्रे का महत्व

स्प्रे का सही समय पर उपयोग भी महत्वपूर्ण है। अगर फसल की फलियां 30% से 45% तक भर चुकी हैं, तो उस समय स्प्रे करने का सही समय होता है। अगर आप इस समय पर स्प्रे करते हैं, तो आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। इसके बाद स्प्रे का कोई फायदा नहीं होता।

एन-पी-के उर्वरक मिश्रण (N-P-K Fertilizer Mix):

एन-पी-के उर्वरक का चयन फसलों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होता है। NPK 20-20-20 एक संतुलित मिश्रण है जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटेशियम का 20% प्रत्येक होता है। यह मिश्रण सभी प्रकार की फसलों के सामान्य विकास के लिए उपयुक्त है, विशेषकर शुरुआती चरणों में, जब पौधों को पत्तियों, जड़ों, और तनों के विकास के लिए पोषण की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, NPK 0-0-50 या 13-0-45 मिश्रण पोटेशियम (K) में उच्च होते हैं। पोटेशियम फूल और फल बनने के समय आवश्यक होता है क्योंकि यह फल को भरने और पौधे के संपूर्ण स्वास्थ्य में मदद करता है।

सूक्ष्म पोषक तत्व और द्वितीयक पोषक तत्व (Micronutrients and Secondary Nutrients):

पौधों के स्वस्थ विकास के लिए सूक्ष्म और द्वितीयक पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। बोरॉन (B) कोशिका दीवार निर्माण और प्रजनन वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। इसे 20% की मात्रा में 200 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पानी में मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है। जिंक (Zn) एंजाइम के कार्य और वृद्धि हार्मोन के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, और चिलेटेड जिंक का 200 ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग किया जाना चाहिए। आयरन (Fe) चिलेटेड आयरन के रूप में क्लोरोफिल संश्लेषण में मदद करता है, और यह आयरन की कमी वाली मिट्टियों में उपयोगी होता है। मैग्नीशियम (Mg) प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है, और इसे एप्सम नमक (मैग्नीशियम सल्फेट) के रूप में 5-10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग किया जा सकता है। कैल्शियम (Ca) कोशिका दीवार संरचना के लिए महत्वपूर्ण है, और इसे कैल्शियम नाइट्रेट या कैल्शियम सल्फेट (जिप्सम) के रूप में मिट्टी के पीएच के अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।

विकास नियामक और पौधों के हार्मोन (Growth Regulators and Plant Hormones):

फसलों की वृद्धि और उपज को बढ़ाने के लिए विकास नियामकों और पौधों के हार्मोन का उपयोग किया जाता है। जिबरेलिक एसिड (GA3) तने की लंबाई बढ़ाने, बीज अंकुरण, और फूलों के विकास को प्रोत्साहित करता है। इसे सामान्यतः छोटे मात्रा (लगभग 10-15 पीपीएम) में प्रयोग किया जाता है। 6-बेंज़ाइलामिनोप्यूरिन (6BAP) एक पौध वृद्धि नियामक है जो कोशिका विभाजन को बढ़ावा देता है, फल सेट करता है और उपज बढ़ाता है। इसे 2-3 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग किया जाना चाहिए।

फूल और फल बनने के लिए विशेष उर्वरक मिश्रण (Specialty Fertilizer Mix for Flowering and Fruit Set):

फूल और फल बनने के चरणों में फसल की देखभाल के लिए विशेष उर्वरक मिश्रण का उपयोग किया जाता है। कॉम्बिनेशन स्प्रे में 1 किलोग्राम NPK 0-0-50, 200 ग्राम बोरॉन, और 150 ग्राम चिलेटेड आयरन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से फोलियर स्प्रे के रूप में लगाया जाता है। यह मिश्रण विशेष रूप से फूल और फल बनने के चरणों में प्रभावी होता है, जिससे अच्छे फल का विकास और उपज सुनिश्चित होती है।

जैविक विकल्प (Organic Options):

जैविक उर्वरकों का उपयोग फसल के विकास और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें कंपोस्ट और खाद का उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है। कंपोस्ट और खाद धीरे-धीरे पोषक तत्वों की रिहाई करते हैं, जिससे पौधों को लंबे समय तक पोषण मिलता है और साथ ही यह मिट्टी की संरचना में भी सुधार करते हैं। इसके अलावा, हड्डी का चूर्ण (Bone Meal) भी एक अच्छा जैविक उर्वरक है, जो फॉस्फोरस में उच्च होता है। यह जड़ विकास और फूलों के बेहतर उत्पादन में सहायक होता है। इसी तरह, सीवीड एक्सट्रैक्ट्स भी जैविक उर्वरकों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो सूक्ष्म पोषक तत्वों और विकास हार्मोनों की एक पूरी श्रृंखला प्रदान करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है।

उर्वरक के उपयोग के दिशा-निर्देश (Application Guidelines):

उर्वरक का सही उपयोग फसल की सेहत और उत्पादन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए सबसे पहले मिट्टी परीक्षण करना आवश्यक है। इससे मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है, इसका पता चलता है और उसी के अनुसार उर्वरक का चयन किया जा सकता है। इसके बाद, फोलियर फीडिंग का उपयोग किया जा सकता है। यह विशेष रूप से सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को जल्दी से दूर करने के लिए प्रभावी है। फोलियर स्प्रे का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि इसे सुबह जल्दी या देर दोपहर में करें ताकि पत्तियों को जलने से बचाया जा सके। अंत में, ड्रिप फर्टिगेशन का उपयोग घुलनशील उर्वरकों के लिए सबसे अच्छा होता है। यह सुनिश्चित करता है कि उर्वरक का प्रभावी उपयोग हो और बर्बादी कम से कम हो। इस प्रकार, उर्वरक के सही उपयोग से फसलों की बेहतर वृद्धि और अधिक उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है।

एक संतुलित उर्वरक कार्यक्रम, जिसमें मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्व दोनों शामिल हों, जो फसल के विशिष्ट विकास चरणों के अनुरूप हो, इष्टतम विकास और उपज सुनिश्चित करता है। उर्वरक का सही मिश्रण और अनुपात मिट्टी के परीक्षण और फसल की विशेष जरूरतों के आधार पर समायोजित किया जाना चाहिए।

नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध भरोसेमंद स्त्रोतों से जुटाई गई है। किसी भी जानकारी को प्रयोग में लाने से पहले नजदीकी कृषि सलाह केंद्र से सलाह जरूर ले लें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।