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अगर लहसुन की फसल 60 दिन की हो गई है तो यह 3 गलतियां भूलकर भी मत करना

अगर लहसुन की फसल 60 दिन की हो गई है तो यह 3 गलतियां भूलकर भी मत करना
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अगर लहसुन की फसल 60 दिन की हो गई है तो यह 3 गलतियां भूलकर भी मत करना

किसान भाइयों, लहसुन की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही देखभाल और उचित खेती की तकनीकों का पालन जरूरी है। जब आपकी लहसुन की फसल 60-70 दिन की हो जाती है, तो 60 दिन के बाद लहसुन की फसल को विशेष ध्यान और कुछ महत्वपूर्ण कदमों की जरूरत होती है, ताकि फसल में वृद्धि सही तरीके से हो और उत्पादन में कोई कमी न आए। अगर किसानों ने इस समय में कुछ सामान्य गलतियां कर दीं, तो यह फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। आप यह याद रखें, कि लहसुन की फसल के सही विकास के लिए सही उर्वरक और खाद का उपयोग करना जरूरी है। इसके साथ ही, सिंचाई और पोषक तत्वों की सही मात्रा का भी ध्यान रखें। इन आसान उपायों को अपनाकर आप अपनी लहसुन की फसल से बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, इस लेख में हम आपको लहसुन की फसल में 60 दिन के बाद होने वाली कुछ सामान्य गलतियों के बारे में विस्तार से बताएंगे और समझाएंगे कि इनसे कैसे बचा जाए। हमारा उद्देश्य है कि किसानों को सही जानकारी मिले, ताकि वे अपनी मेहनत और समय का सही उपयोग कर सकें और अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें। तो चलिए उन महत्वपूर्ण गलतियों पर विस्तार से जानने के लिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।

ग्रोथ प्रमोटर खाद का उपयोग न करें

किसान साथियों, हमारे अधिकतर किसान भाई लहसुन की फसल में 60 दिन के बाद सबसे बड़ी गलती जो करते हैं, वह है ग्रोथ प्रमोटर (Growth Promoter) खाद का अधिक इस्तेमाल। यह खाद आमतौर पर पौधों की जल्दी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए उपयोग की जाती है, लेकिन जब लहसुन के पौधे 60 दिन के हो जाते हैं, तो जमीन के अंदर कंद (bulb) बनना शुरू हो जाता है। अगर इस समय पर ग्रोथ प्रमोटर खाद का उपयोग किया जाता है, तो कंद फटने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, तना भी फट सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है और फसल का उत्पादन भी अत्यधिक मात्रा में प्रभावित हो सकता है।इसीलिए, 60 दिन के बाद लहसुन में Growth Promoter का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यह फसल के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। खासकर यूरिया जैसी खादों का अधिक उपयोग, जो पौधों को अधिक बढ़ावा देती हैं, कंद के फटने का कारण बन सकता है। यदि आप अपने खेत में उटी फर्स्ट लहसुन लगा रहे हैं, तो 60 दिन के बाद यूरिया का उपयोग न करें।

डीएपी और 12-32-16 का प्रयोग न करें

किसान साथियों, फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के चक्कर में हमारे कुछ किसान 60 से 70 दिन की अवस्था में डीएपी (Diammonium Phosphate) और 12-32-16 जैसे उर्वरक का उपयोग करते हैं। यह उर्वरक पौधों की शुरुआती अवस्था में बहुत प्रभावी होते हैं, लेकिन जब लहसुन की फसल 60 दिन की हो जाती है, तो इन उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है।अगर आप इन उर्वरकों का प्रयोग अपनी लहसुन की फसल में 60 से 70 दिन की अवस्था में करेंगे, तो यह लहसुन के पौधों के लिए लाभकारी नहीं होगा। इसके बजाय, इस समय Muriate of Potash (MOP) का उपयोग किया जा सकता है, जो लहसुन के कंद को बेहतर तरीके से विकसित करने में मदद करता है और पौधों की वृद्धि को संतुलित बनाए रखता है।

जल्दी-जल्दी सिंचाई से बचें

किसान साथियों, किसान भाई फसल की पैदावार को अधिक करने के चक्कर में कई प्रकार के प्रयोग करते हैं। इसी कारण से कई बार किसान भाई लहसुन के 60-70 दिन की अवस्था में अक्सर जल्दी-जल्दी सिंचाई करने की गलती करते हैं। जब लहसुन की फसल कंद बनाना शुरू करती है, तो इस दौरान अधिक पानी देने से फसल के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ज्यादा पानी से कंद का आकार प्रभावित हो सकता है और उसकी गुणवत्ता भी कम हो सकती है।इसलिए, इस अवस्था में सिंचाई को थोड़ी देर से करें। अधिक जल की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि जमीन में नमी बनाए रखनी होती है, ताकि कंद अच्छी तरह से विकसित हो। सिंचाई को समय पर और नियंत्रित तरीके से करना लहसुन की फसल के लिए अधिक लाभकारी है।

60 दिन के बाद करें इन उर्वरकों का उपयोग

 पोटाश और कैल्शियम नाइट्रेट

किसान भाइयों, 60-70 दिन की अवस्था में अगर आपकी लहसुन की फसल में कंद का आकार छोटा हो रहा है, या फिर आपको तना फटने की समस्या दिखाई दे रही है, तो इस स्थिति में आपको Muriate of Potash (MOP) और Calcium Nitrate का उपयोग करना चाहिए। ये दोनों उर्वरक लहसुन के कंद की गुणवत्ता और आकार में सुधार करते हैं।60 से 70 दिन की अवस्था में इन दोनों उर्वरकों का उपयोग लहसुन की फसल में खासतौर पर कंद को बड़ा और मजबूत बनाने में सहायक होता है। इससे कंद का आकार बढ़ता है और उसकी गुणवत्ता में भी सुधार आता है।

एनपीके और बोरान का स्प्रे

किसान साथियों, यदि आप उर्वरकों के छिड़काव की जगह अगर अपनी फसल में स्प्रे के माध्यम से पोषक तत्वों की पूर्ति करना चाहते हैं और अगर आपकी फसल में कंद फटने या तना फटने की समस्या हो रही है, तो इस स्थिति में एनपीके 0-52-34 का स्प्रे बहुत प्रभावी साबित हो सकता है। इसके साथ ही Boron का स्प्रे भी करें। एनपीके 0-52-34 को 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें और बोरान का उपयोग कम से कम 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।यह स्प्रे लहसुन के पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार लाता है। यह उर्वरक कंद को मजबूत बनाता है और पौधे की वृद्धि को संतुलित रखता है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष: लहसुन की फसल में 60 दिन के बाद उचित देखभाल और खाद का उपयोग करना बहुत जरूरी है। इन सामान्य गलतियों से बचकर और सही तकनीक अपनाकर आप अपनी लहसुन की फसल से बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।